अवैध खनन के भूकंप से हिली भाजपा हुई दो फाड़
भाजपा के तीन सांसदों ने कहा, अवैध खनन पर अंकुश से बढ़ा राजस्व
आईएएस एसोसिएशन व एससी /एसटी एम्प्लाइज यूनियन सक्रिय.
त्रिवेंद्र ने कहा, अधिकारियों के साथ मिल जुल कर काम किया
अविकल थपलियाल
देहरादून। बात निकली और दूर तक चली भी गयी। और भाजपा अवैध खनन कर मुद्दे पर दो फाड़ भी हो गयी। बीते पांच दिन में आईएएस एसोसिएशन और एस सी /एस टी एम्प्लाइज यूनियन भी पूर्व सीएम के- ‘शेर कुत्तों का शिकार नहीं करता’ सम्बन्धी बयान का ढके छिपे विरोध करते नजर आए। इधऱ, तीन सांसदों ने सांसद त्रिवेंद्र के बयान से नाइत्तफाकी जताई है।
इन पांच दिनों में यह भी खबर प्रमुखता से तैर रही है कि पूर्व सीएम प्रदेश सरकार के खनन सचिव के जवाब देने को मुद्दा बनाते हुए संसद में विशेषाधिकार प्रस्ताव ला सकते हैं। उस बाबत पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने की खबर भी सामने आ रही है।
इसके अलावा पूर्व सीएम का एक ताजा बयान भी वॉयरल हो रहा है । इस बयान में त्रिवेंद्र रावत कह रहे हैं कि उन्होंने कहावत के माध्यम से अपनी बात कही थी। किसी अधिकारी के बयान पर टिप्पणी नहीं की थी।

साथ ही यह भी जोड़ा कि उनके साथ सभी अधिकारियों ने मिल जुल कर काम किया है। अधिकारी उनके इशारे समझते थे। हाल ही में उन्होंने दिल्ली में आयोजित गढभोज में प्रदेश सरकार के अधिकारियों को भी बुलाया था।
बहरहाल, अवैध खनन के धूल धक्कड़ में भाजपा के वरिष्ठ नेता साफ तौर पर दो खेमे में बंट गए हैं। लम्बे समय से चर्चाओं में घिरे हुए राज्यसभा सांसद व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट , अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ के सांसद अजय टम्टा व राज्य सभा सदस्य नरेश बंसल ने खनन राजस्व बढ़ने की बात कहते हुए अवैध खनन पर कहा कि हो सकता है कि उनके पास कोई पुख्ता प्रमाण हों।
इन तीनों नेताओं ने अपने बयान से यह समझाने की कोशिश की हैं कि अवैध खनन पर अंकुश लगने से ही खनन राजस्व में काफी बढोत्तरी हुई है। और धामी सरकार चुगान नीति के तहत खनन राजस्व बढ़ा रही है।
यूं तो महेंद्र भट्ट अपने बयानों को लेकर ट्रोल होते रहे हैं लेकिन सुर्खियों से दूर रहने वाले सांसद बंसल व टम्टा का एकाएक बयान देना गुटीय जंग को हवा दे गया।
हालांकि, पार्टी के अन्य नेताओं ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। त्रिवेंद्र समर्थक नेता चुप्पी साधते हुए अंदरूनी नजर रखे हुए है। भट्ट,बंसल व टम्टा के मैदान में आने के बाद त्रिवेंद्र समर्थकों में हलचल मची हुई है।

गौरतलब है कि महेंद्र भट्ट और इस्तीफा दे चुके मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल के पुत्रों के संयुक्त व्यापारिक साझेदारी का मसला भी गरमाया हुआ था। इस मसले पर प्रेमचन्द के पुत्र ने बाकायदा सोशल मीडिया में महेंद्र भट्ट के पुत्र के साथ हुई जमीनी डील को निरस्त करने की सूचना देकर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की थी। इस मुद्दे पर विपक्षी राजनीतिक दलों ने भट्ट की घेराबंदी भी की थी।
और अब खनन के मुद्दे पर प्रदेश अध्यक्ष ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के साथ ही भाजपा सांसद त्रिवेंद्र के संसद में दिए गए बयान को एक तरह से झुठलाने की कोशिश की है। ‘सड़क छाप’ बयान के बाद प्रदेश अध्यक्ष भट्ट नये सिरे से चर्चाओं में है।
भाजपा नेताओं के मैदान में कूदने से अवैध खनन पर खिंची तलवारें जल्दी से म्यान में नहीं जाने वाली। इधऱ, पूर्व सीएम ने भी संसदीय नियमों के जानकारों से सलाह मशविरा करते हुए और प्रदेश सरकार के अधिकारी के बयान को आधार बनाते हुए विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की रणनीति तैयार की है।
माहौल यह भी बन रहा है कि क्या सांसद के लोकसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर उठाए गए मुद्दे पर कोई अधिकारी वीडियो व प्रेस बयान जारी करने की पात्रता रखता है? या फिर प्रदेश सरकार को अन्य किसी पात्र माध्यम के जरिये सांसद के सवालों का जवाब देना चाहिए।
उधर, आईएएस एसोसिएशन और एससी/एसटी एम्प्लाइज यूनियन ने भी पूर्व सीएम के बयान पर आपत्ति जताई। शेर-कुत्ते की कहावत को आधार बनाते हुए मुकदमे आदि दर्ज करने की बात भी उछल रही है।
बहरहाल, विपक्ष व सत्ताधारी दल की अंदरूनी राजनीति के चलते पहाड़ के ज्वलन्त अवैध खनन का यह एपिसोड भाजपा को ही झुलसा गया….

