कैंची धाम में तीन सौ प्रतिशत श्रद्धालुओं की बढ़ोतरी ने तोड़े रिकार्ड

तुलनात्मक अध्ययन- चारधाम में श्रद्धालुओं की संख्या में 16 प्रतिशत की कमी !

जुकरबर्ग, विराट व अन्य हस्तियों की आस्था से श्रद्धालुओं को मिली प्रेरणा

चार धामों में पंजीकरण और संख्या निर्धारण से हित धारकों में आक्रोश

डॉ बृजेश सती /अविकल उत्तराखंड

रुद्रप्रयाग/हल्द्वानी। इस साल पावन कैंची धाम प्रतिष्ठा दिवस समारोह 15 जून को
नीबकरौरी बाबा के कैंचीधाम में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ ने आसपास के इलाके में जाम की स्थिति पैदा कर दी। श्रद्धालुओं की लंबी लाइन ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। भारी जाम को देखते हुए नेता विपक्ष यशपाल आर्य ने जिला प्रशासन को आड़े हाथ लिया। और कह दिया कि सरकारी सिस्टम पूरी तरह फेल हो गया।
यूं तो बाबा के दरबार में भक्तों का रेला लगा ही रहता है। लेकिन
बीते सालों से कैंची धाम में श्रद्धालुओं के सैलाब ने बाबा के मन्दिर के प्रति आस्था को कई गुना बढ़ा दिया है। इसके पीछे जुकरबर्ग,विराट कोहली समेत कई अन्य प्रमुख हस्तियों की आस्था को भी प्रमुख कारणों में गिना जा रहा है।
दूसरी ओर, चारधाम तीर्थ पुरोहित पंचायत कैंची धाम में उमड़ रहे श्रद्धालुओं के सैलाब के पीछे कुछ अन्य कारण गिनाते हैं। इनका मानना है कि चारधाम यात्रा का पंजीकरण, मार्ग अवरुद्ध होना व यात्रा को डायवर्ट करने से श्रद्धालुओं के प्रतिशत में विशेष गिरावट दर्ज की गई है। तीर्थ-पुरोहित अपने तर्क में समर्थन में कई तथ्य भी पेश करते हैं।

उत्तराखंड के चार धामों में कैंची धाम से कम यात्री दर्शन के लिए पहुंचे। पिछले दो सालों के आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं और कैंची धाम में आए यात्रियों की संख्या के तुलनात्मक अध्ययन से मिले आंकड़े स्याह हकीकत को बयां करते हैं । कैंची धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या , चारों धामों में से किसी भी धाम में आने वाले श्रद्धालुओं से अधिक रही।

चार धाम में यात्रियों की कमी से स्थानीय तीर्थ पुरोहित , पंडा समाज, होटल कारोबारी , ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुडे लोगों में नाराजगी है और वो अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा चार धाम यात्रा में किए गए प्रयोगों ने यात्रियों की संख्या को कम करने में अहम भूमिका निभाई है।
चार धाम यात्रा के हित धारक सरकार को इसके लिए जवाबदेह मानते हैं। देश के किसी भी धाम और तीर्थ स्थल में न तो यात्रियों के लिए पंजीकरण की अनिवार्यता है और ना ही धामों में यात्रियों की संख्या का निर्धारण। मगर उत्तराखंड राज्य के चार धाम, अपवाद हैं। हालांकि जानकार कैंची धाम में यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी की वजह सोशल मीडिया और संचार माध्यम को बताते हैं।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 और 24 में चार धाम में क्रमशः 54 लाख और 46 लाख यात्रियों ने दर्शन किए। जबकि कैंची धाम में इसी अवधि के दौरान 8 लाख और 24 लाख यात्रियों की आमद हुई। यदि आंकड़ों पर बारीकी से नजर डालें तो, तस्वीर और साफ हो जाती है।
जहां वर्ष 2024 में चार धाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में लगभग 16 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वहीं कैंची धाम आने वाले यात्रियों की संख्या में तीन सौ फ़ीसदी का इजाफा हुआ।

कैंची धाम में तीन सौ फीसद का उछाल

चार धाम में यात्रियों की संख्या पिछले वर्ष 46 लाख 20 हजार थी। 2023 में 54 लाख 42 हजार रही। इस हिसाब से 2024 में 8 लाख 21 हजार यात्री धामों में कम हुए। यह 16 प्रतिशत की गिरावट है।
इसी दौरान कैंची धाम में एक अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2024 के बीच 24 लाख यात्रियों ने दर्शन किए। कैंची धाम में 2023 में कुल 8 लाख यात्री आए । इसमें तीन सौ प्रतिशत का उछाल आया।

यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ में यात्रा केवल छह महीने संचालित की जाती है। यदि प्रतिदिन के हिसाब से यात्रियों की संख्या पर गौर करें, तो कैंची धाम में चार धाम से अधिक यात्री पहुंचे।
जहां चार धाम में प्रति दिन 6416 यात्रियों ने दर्शन किए। वहीं कैंची धाम में एक दिन आंकड़ा 6666 है। इसी तरह एक महीने में चारों धामों में यात्रियों की कुल संख्या औसतन 7 लाख 70 हजार थी। जबकि कैंची धाम पहुंचने वाले यात्रियों की संख्या 2 लाख प्रति माह है।

इसमें केदारनाथ धाम में सबसे अधिक यात्री आते हैं। इसके बाद बदरीनाथ धाम में , फिर गंगोत्री और सबसे कम यमुनोत्री में आए। औसतन 2 लाख केदारनाथ, डेढ़ लाख बदरीनाथ , गंगोत्री और यमुनोत्री एक एक लाख से कुछ अधिक माना जा सकता है।
चार धामों में प्रतिदिन यात्रियों के दर्शन का औसत इस प्रकार रहा। यमुनोत्री धाम में 3970, गंगोत्री धाम में 4545, केदारनाथ में 9177 और बदरीनाथ धाम में 7974 श्रद्धालुओं ने प्रतिदिन दर्शन किए।

चार धाम यात्रा में एक ही यात्री को गिना जाता है चार बार

चार धाम आने वाले यात्रियों की असल संख्या और सरकारी आंकड़े में अंतर है। दरअसल एक ही यात्री को चार बार गिना जाता है। इससे यह संख्या अधिक हो जाती है। केदारनाथ धाम में आए यात्रियों की संख्या में कुछ अधिक यात्रियों को जोड़ दिया जाए, तो सही आंकड़ा चार धाम आने वाले यात्रियों बैठता है। क्योंकि चारों धामों में सर्वाधिक यात्री केदारनाथ धाम पहुंचते हैं। 40 से 45 प्रतिशत यात्री ऐसे हैं, जो चार धाम यात्रा करते हैं। दो धाम और केवल एक ही धाम की यात्रा करने वाले यात्री भी हैं।
पिछले साल 15 प्रतिशत यात्री यमुनोत्री, गंगोत्री धाम में 17 , बदरीनाथ धाम में 32 , जबकि सबसे अधिक 37 प्रतिशत यात्रियों ने केदारनाथ मंदिर में दर्शन किए।

क्या है चार धाम में यात्रियों की कमी का कारण

चार धामो में यात्रियों की कमी का एक कारण कैंची धाम में यात्रियों के डायवर्ट होने को माना जा रहा है। मगर इस यात्रा में शासन की ओर से जो प्रयोग किए गए, वो भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। मसलन यात्रियों की ऑनलाइन बुकिंग में यात्रियों की सीमित संख्या के कारण बहुत से यात्री ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कर पाए। हालांकि, पर्यटन विभाग की ओर से ऑफलाइन व्यवस्था के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश के अलावा अन्य स्थानों पर भी व्यवस्था की गई थी, लेकिन देश के अलग-अलग राज्यों के यात्रियों को ऑफलाइन पंजीकरण के बारे में समय पर जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
ऑफलाइन पंजीकरण के लिए भी सीमित संख्या रखी गई थी।
इधर जून माह तक जो ऑनलाइन के स्लॉट पूरे हो गए थे। उसमें से तीस प्रतिशत नहीं आए।
दूसरा कारण चारों धाम में यात्रियों की संख्या का निर्धारण है। इसके चलते यात्री अपेक्षाकृत कम पहुंचे।
मार्ग बंद होने और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं से भी यात्रियों के बीच गलत संदेश गया।

तीर्थ पुरोहितों और हित धारकों की नाराजगी

चार धाम में यात्रियों की संख्या में कमी से स्थानीय हित धारक बेहद खफा हैं । वह इसके लिए सरकार और शासन दोनों को जिम्मेदार ठहराते हैं। उत्तराखंड चार धाम तीर्थ पुरोहित महा पंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल कहते हैं कि यात्रियों की संख्या और पंजीकरण के मुद्दे को लेकर शासन और सरकार से कई दौर की वार्ता हुई, लेकिन उनकी बात को नहीं माना गया। वह कहते हैं कि पंजीकरण और चारों धामों में श्रद्धालुओं की संख्या सीमित की गई। उसके कारण यात्रियों की संख्या में कमी आई।

चार धाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश मेहता और यमुनोत्री घाटी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष सोवन सिंह राणा बताते हैं कि देश में किसी भी अन्य धाम या तीर्थ स्थल में ना तो पंजीकरण संबंधित कोई बाध्यता है और ना ही यात्रियों की संख्या का निर्धारण है। वह सवाल उठाते हैं कि आखिर उत्तराखंड के चार धामों में यात्रियों के लिए पंजीकरण और संख्या निर्धारण जैसे फॉर्मले क्यों तय किए गए हैं।
वह बताते हैं कि चार धामों के अलावा यात्रा के मुख्य आधार स्थल के होटल कारोबारियों की बहुत बुरी स्थिति है। पूरे सीजन के दौरान होटल अमूमन खाली रहे। जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।

केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी चार धाम में यात्रियों की संख्या में कमी का मुख्य कारण कैंची धाम में यात्रियों का डायवर्ट होने को मानते हैं। वह कहते हैं कि कैंची धाम में जो संख्या बड़ी, उसके कारण चार धाम आने वाले यात्रियों की संख्या में कमी आई है।
ट्रांसपोर्ट कारोबारी विकास शर्मा कुछ अलग सवाल उठाते हैं। वो कावड़ यात्रा, कुंभ मेला, राज्य के दूसरे तीर्थ स्थलों में किसी तरह की रोक-टोक नहीं होने के अहम मुद्दे की ओर ध्यान खींचते हैं। कहते हैं इनमें न पंजीकरण है और ना संख्या निर्धारण। तो फिर चार धाम यात्रा के लिए ही ऐसे नियम बनाने की वजह क्या है।

नैनीताल के वरिष्ठ पत्रकार और कैंची धाम के आंगन में अपना बचपन व्यतीत करने वाले प्रयाग पांडे बताते हैं की यात्रा डाइवर्ट की बात से सहमत नहीं हैं। कैंची धाम में अधिक संख्या में लोगों के आने का कारण सोशल मीडिया और संचार माध्यम में प्रचार और प्रसार को बताते हैं। इसके अलावा मार्क जुगरबर्ग और विराट कोहली जैसी सेलिब्रिटी के आने के बाद लोगों का आकर्षण इस ओर बढ़ा।

पंजीकरण की अनिवार्यता पर शासन का पक्ष

गढ़वाल मंडल आयुक्त की अध्यक्षता में यात्रा समीक्षा बैठक 5 फरवरी को ऋषिकेश में आयोजित की गई। इस बैठक में तीर्थ पुरोहितों , होटल एसोसिएशन और ट्रांसपोर्टरों ने चार धाम में पंजीकरण की बाध्यता और क्षमता निर्धारण के औचित्य पर सवाल उठाए। इस पर गढ़वाल मंडल कमिश्नर एवं सचिव मुख्यमंत्री विनय शंकर पांडे ने बताया कि वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश के क्रम में चार धाम में यात्रियों के लिए पंजीकरण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।

(लेखक उत्तराखंड चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के महासचिव हैं)

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