अविकल उत्तराखंड
सेलाकुई (देहरादून)। सगन्ध पौधा केन्द्र (कैप), सेलाकुई में 3 अप्रैल से 5 अप्रैल तक लखवाड़ कैट योजना के अन्तर्गत चयनित कृषकों के लिए सगन्ध फसलों के कृषिकरण, प्रसंस्करण एवं विपणन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
यह कार्यक्रम अभिमन्यु, भा.व.से., प्रभागीय वनाधिकारी, चकराता वन प्रभाग, कालसी के निर्देशन में गंगोत्री कौशल विकास एवं उत्थान समिति, देहरादून के सहयोग से सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कैप के वरिष्ठ तकनीकी सहायक सुनील सिंह बर्त्वाल ने प्रशिक्षणार्थियों का स्वागत करते हुए केन्द्र की गतिविधियों का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि कैप एक ऐसा संस्थान है जहां सगन्ध पौधों की खेती से लेकर प्रसंस्करण और विपणन तक की सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध हैं।

डैमस्क गुलाब से लेकर लैमनग्रास की दी विस्तृत जानकारी
प्रशिक्षण के दौरान बर्त्वाल ने डैमस्क गुलाब की खेती का सजीव प्रदर्शन कराते हुए इसके औद्योगिक उपयोग और आर्थिक लाभ पर प्रकाश डाला। प्रथम दिवस शाम को प्रशिक्षणार्थियों को भाऊवाला स्थित कैप की फील्ड का भ्रमण कराया गया, जहां अन्य सुगन्ध पौधों की खेती भी दिखाई गई।
दूसरे दिन आर.के. यादव ने सुगन्धित तेलों की बढ़ती मांग और सगन्ध फसलों की व्यावसायिक सम्भावनाओं की जानकारी दी। शंकर लाल सागर ने लैमनग्रास एवं तेजपात की खेती की तकनीकी जानकारी साझा की। जयप्रकाश चौहान ने तेजपात की छाल निकालने की विधि का प्रशिक्षण दिया।

सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर सगन्ध फसलों की ओर बढ़ें किसान: विशेषज्ञ
तीसरे दिन चेतन पाटिल ने किसानों को सगन्ध फसलों की खेती को प्रोत्साहन देने वाली विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में किसानों को सोलर ड्रायर व आसवन संयंत्र पर 75 प्रतिशत और मैदानी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है।
कैप के वैज्ञानिक सैयद ज़फ़र हैदर और अरविन्द कुमार ने संस्था की गतिविधियों और सगन्ध तेलों की गुणवत्ता बनाए रखने की सावधानियों पर प्रकाश डाला। समापन अवसर पर रमेश खत्री ने किसानों से सगन्ध पौधों की खेती से निरंतर जुड़े रहने का आह्वान किया। अंत में आर.के. यादव द्वारा सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए।
इस अवसर पर अशोक रतन, वन बीट अधिकारी बंटी सहगल तथा अनेक किसान प्रतिभागी अशोक तोमर, शुभम राणा, नरेश राणा, विनोद तोमर, गजेन्द्र सिंह चौहान, पिंटु नेगी, धजर्वीर सिंह नेगी आदि—उपस्थित रहे।

