एसजीआरआर विवि के कृषि वैज्ञानिकों ने धान में की बीमारी की पुष्टि

वॉयरस के प्रकोप से धान के उत्पादन में 10 से 12% तक कमी होने की संभावना

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा धान के खेतों का निरीक्षण किया गया । कृषि विशेषज्ञ द्वारा धान में इस वर्ष आने वाली बोने पन की समस्या के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया। स्कूल ऑफ़ एग्रीकल्चर साइंस के पादप रोग विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉक्टर खिलेंद्र सिंह द्वारा किसानों को धान की बोने पन की बीमारी की पहचान कराई गई ।

उन्होंने बताया कि खेत में कुछ पौधों की बढ़वार रुक गई है जिसका मुख्य कारण एक विषाणु है जिसका नाम सावधान राइस ब्लैक स्ट्रीक डार्फ वायरस है। इस वायरस के प्रकोप की वजह से इस बार धान में 10 से 12% तक उत्पादन में कमी होने की संभावना है।

उन्होंने बताया कि यह वायरस एक कीट जिसका नाम बाइट बैक प्लांट हॉपर के द्वारा बीमार पौधों से स्वास्थ्य पौधों में फैलता है यह कीट इस वायरस के वाहक का काम करता है अता बीमारी को नियंत्रित करने के लिए इस कीट को नियंत्रित करना अति आवश्यक है जिसके लिए किसान भाइयों को निरंतर अपने खेत का निरीक्षण करते रहना चाहिए तथा जिन पौधों पर इस कीट का प्रकोप दिखाई दे उन्हें तेजी से हिला कर कीट को पानी पर गिरा देना चाहिए ।

यह कीट पौधों की निचली सतह पर पाए जाते हैं पानी में गिरने के बाद यह पुनः पौधों को संक्रमित नहीं कर पाते रासायनिक नियंत्रण के लिए कीटनाशक ओसीन दवाई का छिड़काव करना चाहिए स्कूल ऑफ़ एग्रीकल्चर साइंस की डीन डॉ प्रियंका बनकोटी के द्वारा बताया गया कि यह बीमारी जल्दी रोपित किए गए धान में ज्यादा पाई जा रही है ।

उन्होंने कहा कि अगली बार किसान भाई श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कृषि विशेषज्ञों द्वारा बताई गई तिथि के अनुसार पौधों को खेत में रोपित करें शस्य विज्ञान के कृषि वैज्ञानिक डॉ जेपी सिंह द्वारा धान की फसल में खरपतवार के नियंत्रण के बारे में बताया गया व डॉक्टर मोइनुद्दीन द्वारा धान में उर्वरकों की सही मात्रा का इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया।

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