पांच जनवरी को लिखे पत्र में कहा, सीबीआई, ईडी व सीबीसीआईडी की जांच जरूरी
उत्त्तराखण्ड शीप एंड वूल डेवलपमेंट बोर्ड के सीईओ डॉ अविनाश आनंद पर लगाये कई गंभीर आरोप, विभागीय सचिव मीनाक्षी सुंदरम को भी जिम्मेदार बताया
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अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठतम लोकसभा सदस्य मेनका गांधी ने उत्त्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लिखे खत में उत्त्तराखण्ड शीप एंड वूल डेवलपमेंट बोर्ड के सीईओ डॉ अविनाश आनन्द पर भ्र्ष्टाचार के गहरे आरोप लगाए हैं। उन्होंने विभागीय सचिव मीनाक्षी सुंदरम को भी कठघरे में खड़ा कर डाला। मेनका के 5 जनवरी के दो पेज के पत्र से शासन में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।
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मेनका गांधी ने भेड़ एवम ऊन विकास बोर्ड को वर्ल्ड बैंक से मिले तीन हजार करोड़ के लोन की बंदरबांट का उल्लेख करते हुए इसे एक बड़ा घोटाला करार दिया। यही नहीं, इसकी तुलना बोफोर्स व कोल घोटाले से कर डाली।
अपने पत्र में मेनका गांधी ने 3 हजार करोड़ के वर्ल्ड बैंक के लोन के मामले में सीबीआई, सीबीसीआईडी व ईडी से जांच कराने को कहा है। मेनका गांधी ने कहा कि यह सब बिना विभागीय सचिव मीनाक्षी सुंदरम की इजाजत के नहीं हो सकता।
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पूर्व मंत्री ने अपने तर्क के समर्थन में सूचना के जन अधिकार के तहत मिले दस्तावेज भी मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भेजे हैं। उन्होंने 3 हजार करोड़ के घोटाले की तुलना बोफोर्स व कोल coal घोटाले से करते हुए शीप एंड वूल डेवलपमेंट बोर्ड की इस योजना को तत्काल बंद करने की सलाह दी है।
मेनका गांधी ने दो पेज के पत्र में कहा है कि डॉ अविनाश आनन्द वर्ल्ड बैंक के लोन का दुरुपयोग कर निजी हित में प्रयोग कर रहे हैं।
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सीईओ डॉ अविनाश आनन्द पर लगाए आरोप
– 13 लाख की लक्ज़री कार खरीद
– नोयडा में मकान खरीदा
-नियमों को ताक पर रख जिला योजना के पैसे से पशुओं के लिए पंजाब की फर्म से दोगुने दाम पर चारा खरीदा
– शीप बोर्ड में बिना पद सृजित किये डेपुटेशन पर कई अधिकारियों की तैनाती की। इससे कई पशु चिकित्सालय बंद हो गए। यह अधिकारी बिना काम के वेतन ले रहे हैं।
– 2.5 लाख के वेतन पर एक कंसल्टेंट की नियुक्ति की है जिसका वेतन मुख्य सचिव से भी ज्यादा है। जबकि सलाहकार की कोई जरूरत नही थी।
– सीईओ ने ऑस्ट्रेलिया से यंग शीप खरीदने के बजाय बूढ़ी भेड़ें खरीदी जिनसे ज्यादा प्रजनन सम्भव नहीं।
-सीईओ ने बकरे का कच्चा मटन की योजना शुरू की और निदेशालय को मटन शॉप में तब्दील कर दिया। इस योजना में भी भारी नुकसान हुआ।
इससे पूर्व, पीपल फॉर एनिमल की ट्रस्टी गौरी मौलेखी ने भी भेड़ एवम ऊन विकास बोर्ड के सीईओ डॉ अविनाश आनन्द पर भेड़ बकरियों के चारा खरीद समेत अन्य कई आरोप लगाते हुए मुख्य सचिव को पत्र भेजा था। नतीजतन, डॉ अविनाश आनन्द ने साफ कहा था कि नियमों के तहत चारा खरीद हुई।
अब मेनका गांधी के सीधे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखने से सत्ता के गलियारों में हड़कंप मच गया है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत पशुपालन विभाग से जुड़े इस घपले पर क्या एक्शन लेते हैं, देखना अब यही है।
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