खुश तो बहुत है कांग्रेस लेकिन…किंतु..परन्तु..

अभी थमी नहीं उत्त्तराखण्ड कांग्रेस में चेहरे की जंग

जिसके नेतृत्व को लेकर पार्टी में ही असमंजस हो उसको इतना आर्शीवाद मिलना जनता जनार्दन की कृपा है -हरीश

अविकल उत्त्तराखण्ड

देहरादून। विभिन्न दलों के राष्ट्रीय व प्रदेश स्तरीय नेताओं की उत्त्तराखण्ड में जारी दौरों के बीच  एक बात तो यह साफ तौर पर नजर आने लगी है कि इस समय कांग्रेसी खुश तो बहुत हैं। पार्टी की परिवर्तन यात्रा के समय कांग्रेसियों के चेहरे पर सुकून के कम लेकिन ऊहापोह के भाव ज्यादा थे जो राहुल गांधी की दून रैली के बाद जोश व खुशी में तब्दील हो गए।

रविवार 19 दिसंबर, पिथौरागढ़ में कॉंग्रेस रैली में उमड़ी स्थानीय जनता

राहुल गांधी व पीएम मोदी की दून रैली का विभिन्न एंगल से तुलनात्मक स्टडी जारी है। भीड़ के लिहाज से राहुल गांधी की रैली को बेहतर बताया जा रहा है। इसलिए भी कांग्रेस खुश है। रविवार को पार्टी के पूर्व विधायक मयूख महर के गढ़ पिथौरागढ़ में कांग्रेस की रैली में उमड़े जनसैलाब से भी कांग्रेस बहुत खुश है।

बीते काफी समय से राष्ट्रीय स्तर की चुनावी सर्वे एजेंसी के उत्त्तराखण्ड के बाबत किये जा रहे ओपिनियन पोल में भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर अब काफी क्लोज होती जा रही है। शुरुआती सर्वे में उत्त्तराखण्ड में भाजपा की बहुमत वाली सरकार बनते दिखाई गई थी। अब मुकाबला कांटे का हो गया है। इसलिए भी कांग्रेस बहुत खुश है।

कांग्रेस यह भी गणित लगा रही है कि चुनाव  में अभी दो महीने बाकी है। तब तक सर्वे में भाजपा से आगे हो जाएंगे।

कांग्रेस इसलिए भी बहुत खुश है कि उनके नेता हरीश रावत जनता की पहली पसंद बने हुए है। लेकिन कांग्रेस के अंदर हरीश रावत व उनसे जुड़े समर्थक इस बात से खफा है कि हाईकमान क्यों नहीं हरीश रावत को सीएम का चेहरा घोषित नहीं कर रहा। केंद्रीय नेता बार बार सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कह रहे। इस राजनीतिक मोड़ पर किंतु परन्तु की उलझन पूरे तौर पर बनी हुई है।

चेहरे की वकालत अभी थमी नहीं है। पूर्व सीएम हरीश रावत लगातार सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात कह रहे हैं। रविवार को भी सोशल मीडिया में कुछ अपनों और परायों पर इस अंदाज में टिप्पणी की।

हरीश रावत ने अपने ताजातरीन वक्तव्य में कुछ यूं कहा, एक तिहाई से ज्यादा लोगों की मुख्यमंत्री के रूप में पसंद बनना एक बड़ी सौगात है और ये सौगात उस समय और प्रखर हो जाती है जब इस पर पार्टी की शक्ति लगी हुई नही होती है | जिसके नेतृत्व को लेकर पार्टी में ही असमंजस हो उसको इतना आर्शीवाद मिलना जनता जनार्दन की कृपा है । लोग हरीश रावत को पसंद नही करते, लोग उत्तराखंडियत के साथ है ।

वे आगे लिखते हैं, मैं जानता हूँ कुछ बड़ी शक्तियाँ किसी भी हालत में मुझे 2014 से 2016 की और 2017 केे प्रारंभ तक की पुनरावृत्ती नही करने देंगे मुझे मुख्यमंत्री बनने से रोकने के लिए पूरी शक्तियाँ एकीकृत होकर काम करेंगी ।

खुश तो बहुत है कांग्रेस लेकिन चेहरे की जंग कई चेहरों को झुलसा भी रही है। जबकि कांग्रेस के एक धड़ा व हाईकमान अभी भी चुनाव में सामूहिक नेतृत्व की लाइन पर टिका हुआ है।

यही नहीं, राहुल की रैली के बाद पनपे खुशी के माहौल में हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिये मुख्य सूचना आयुक्त की कुर्सी को लेकर  सीएम धामी पर सौदेबाजी का गंभीर आरोप भी जड़ दिया। चूंकि , सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर गठित चयन समिति में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का भी नाम है। लिहाजा, सौदेबाजी के आरोप को लेकर कांग्रेस में प्रीतम समर्थकों में अजब उलझन देखी जा रही है।

कुल मिलाकर , चुनावी रैलियों में उलझे कांग्रेस नेता   पार्टी की स्थिति सुधरती ( सर्वे के मुताबिक) देख खुश तो बहुत हैं।पड़ोसी राज्य हिमाचल के हालिया उपचुनाव में भाजपा की हार से भी उत्त्तराखण्ड कांग्रेस बहुत खुश है, लेकिन नाखुशी के भी कई मसले अभी भी पार्टी के अंदर कुलबुला रहे हैं। मतदाता को इस कुलबुलाहट के दर्शन कभी सोशल मीडिया में हो जाते हैं तो कभी पार्टी के कार्यक्रमों में मौजूद नेताओं की परस्पर विरोधी भाव भंगिमाओं से। भाजपा भी समझ रही है कि कांग्रेसी खुश तो बहुत हैं आजकल। लेकिन कांग्रेस की खुली दरारों से बह रही असमंजस की बयार से भाजपा ऑक्सीजन खींचने की पूरी जुगत में भी दिख रही है…

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