बसपा, निर्दलीय व उक्रांद के प्रत्यशियों ने मिलाए ‘ हाथ’
भाजपा-कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं का दून में डेरा
स्थिति ‘तनावपूर्ण’ लेकिन नियंत्रण में
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। उत्त्तराखण्ड की नयी सरकार बनने में बेशक अभी थोड़ी देर है लेकिन 10 मार्च की मतगणना से पहले प्रदेश में तीसरे मोर्चे की जड़ें जम गई हैं। हालांकि, मतगणना से पूर्व कांग्रेस व भाजपा के केंद्रीय नेता उत्त्तराखण्ड पहुंच नयी सरकार की संभावनाओं को टटोलते हुए प्रमुख रणनीतिकारों ने सत्ता की गोटी बिछाना शुरू कर दिया है।
बेचैनी, डर, घबराहट व आशंका के माहौल में बन्द कमरे में सत्ता का जाल बुना जा रहा है। सभी के दावे जीत के हैं लेकिन किंतु परन्तु की कहानी भी साथ साथ चल रही है।
इस चुनाव में जीत सकने योग्य निर्दलीय, बसपा व उक्रांद के बीच एक अलग मोर्चा बनाने की भी तैयारी चल रही है। त्रिशंकु नतीजे आने पर इस मोर्चे के विजयी प्रत्याशियों की दोनों दलों को जरूरत पड़ेगी। प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों में लगभग 8 से 10 सीटों पर गैर भाजपा-कांग्रेस उम्मीदवारों ने जोरदार तरीके से चुनाव लड़ा।
सूत्रों के मुताबिक एक निर्दलीय प्रत्याशी ने इस मोर्चे के लिए बसपा , उक्रांद व अन्य जीत सकने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों से बातचीत भी है। इस निर्दलीय प्रत्याशी की कोशिश है कि किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में तीसरे मोर्चे की सरकार बनाने में अहम भूमिका हो जाएगी।
इस बीच, कांग्रेस व भाजपा के वरिष्ठ नेता भी सम्भावित ‘तीसरे मोर्चे’ के नेताओं से अपने अपने स्तर पर बात कर रहे हैं। बहुमत के आंकड़े से दूर रहने वाले इन दोनों दलों की पूरी कोशिश ‘तीसरे मोर्चे’ को साधने की रहेगी।
गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने देहरादून पहुँच सत्ता प्रबंधन को लेकर पार्टी नेताओं से गहन मंथन कर राजनीतिक हलचल मचा दी। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय की उत्त्तराखण्ड आमद के बाद कांग्रेस ने खरीद फरोख्त की आशंका जताते हुए तोड़फोड़ की बात कही थी।
इस बीच, कांग्रेस खेमे से छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, मोहन प्रकाश, गौरव वल्लभ, एम बी पटेल व देवेंद्र यादव ने देहरादून में डेरा जमा लिया है। उधर, भाजपा कैम्प से 2016 में हरीश रावत सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाने वाले कैलाश विजयवर्गीय व केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी भी देहरादून में मौजूद हैं।
हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव के मतदान के बाद भी ऐसे ही तीसरे मोर्चे की कवायद हुई थी। लेकिन चुनाव परिणाम ने इनकी रणनीति पर पानी फेर दिया था। बसपा व उक्रांद का खाता ही नहीं खुला। और दो निर्दलीय ही चुनाव जीत सके थे। भाजपा को 57 व कांग्रेस को 11 सीट मिली थी।
बहरहाल, राज्य गठन के बाद पहली बार मतगणना से पूर्व भाजपा व कांग्रेस के किले में पर्याप्त ‘गोला बारूद’ जमा कर लिया गया है। स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है चैतू…
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