भाजपा के तष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 4 दिसम्बर से उत्त्तराखण्ड प्रवास पर
चुनावी साल में मंत्रियों व विधायकों से जुड़े कौन कौन से मुद्दे बन सकते हैं भाजपा की परेशानी का सबब
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। अगले 24 घण्टे के अंदर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तराखण्ड के हरिद्वार से अपनी देशव्यापी यात्रा की शुरुआत करेंगे। संतों का आशीर्वाद लेंगे और भाजपा के नेताओं से सिलसिलेवार मुलाकात भी करेंगे।
चूंकि, उत्त्तराखण्ड में 2022 की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने है। इस लिहाज से त्रिवेंद्र सरकार के पास कामकाज व परफॉरमेंस के लिए बमुश्किल 1 साल बचा है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा चुनावी रणनीति, मुद्दे, मंत्री, सांसदों, विधायकों समेत पूरी सरकार की अब तक की परफॉरमेंस के अलावा शेष 1 साल में किये जाने वाले धरातलीय विकास योजनाओं के अमलीजामा पर भी देहरादून में चर्चा करेंगे।
इसके अलावा संगठन व सरकार के बीच तालमेल को लेकर भी जेपी नड्डा जरूरी फीडबैक भी लेंगे। उत्त्तराखण्ड भाजपा की अंदरूनी धड़ेबाजी व बड़े नेताओं के बीच जारी संवादहीनता भी मंथन का मुद्दा बनेगा। इन सबसे इतर देहरादून प्रवास पर नड्डा को बीते कुछ समय से जबरदस्त चर्चा में रहे कुछ हाईप्रोफाइल-वीवीआईपी मुद्दों की सच्चाई भी परखने का मौका मिलेगा। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष इन मुद्दों से पार्टी को हुए नुकसान के ब्यौरे की भी अंकगणित लगाएंगे।
भाजपा विधायक पूरण फर्त्याल
लगभग 6 महीने पहले सीएम त्रिवेंद्र को अपनी ही ही पार्टी के नेताओं के तीरों का सामना करना पड़ा था। विधायक पूरण फर्त्याल एक सड़क के टेंडर को लेकर मौखिक व लिखित तौर पर मुखर हुए थे।
विधानसभा सत्र में भी अपनी ही सरकार को घेरने की कोशिश की थी। संगठन ने नोटिस भी दिया। विधायक ने जवाब भी दिया। फर्त्याल का मामला अभी भी सुलग रहा है। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा से भी चर्चा सम्भव मानी जा रही है।
पूर्व मंत्री व विधायक बिशन सिंह चुफाल
पूर्व अध्यक्ष, मंत्री व मौजूदा विधायक बिशन सिंह चुफाल तो दिल्ली तक हो आये थे। दिल्ली में नड्डा से चुफाल की मुलाकात विशेष सुर्खियां बनी थी। चुफाल भी शासन स्तर पर बात नही सुने जाने समेत अन्य अंदरूनी मुद्दों को लेकर नड्डा को फीड देने के बाद से शांत बैठे है।
विधायक काऊ-चैंपियन
यही नही, कांग्रेस से भाजपा में आये नेताओं और मूल भाजपायी नेताओं के बीच खिंची लाइन साफ साफ दिख रही है।
बीते दिनों विधायक उमेश शर्मा काऊ की मीडिया को लीक हुई चिट्ठी भी भाजपा सरकार के अंदरूनी झगड़े की तस्वीर दिख गयी थी। काऊ व त्रिवेंद्र एक दूसरे के खिलाफ विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं।
कांग्रेस से ही भाजपा में आये विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन भी हाथ में जाम व हथियार उठा कर उत्त्तराखण्ड को गाली देने (वीडियो वॉयरल) व कुछ दिन पूर्व अभाविप कार्यकर्ता को मोबाइल पर घुड़की (ऑडियो वॉयरल) से सुर्खियों में रहे। संगठन से निलंबन -वापसी के राजनीतिक खेल के बाद चैंपियन अभी शांत बने है। चैंपियन लगभग दो साल पहले सीएम त्रिवेंद्र की खुलेआम आलोचना भी कर चुके हैं।
मंत्री हरक सिंह रावत
कांग्रेस से भाजपा में आये मंत्री हरक सिंह रावत व उनकी पूरी टीम को कर्मकार कल्याण बोर्ड से हटाने व करोड़ो रुपए के घोटाले की जांच भी आजकल उत्तराखण्ड की नंबर वन हैडलाइन बनी हुई है। श्रमिकों के पैसे की हुई बंदरबांट व अपात्रों को मिली साइकिल व अन्य उपकरण का आजकल ऑडिट चल रहा है।
अपनी ही सरकार में पहली बार करोड़ों के घपले की जांच का सामना कर रहे मंत्री हरक सिंह एक बार तो चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर चुके थे। यह सम्भव है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा को कर्मकार बोर्ड के घोटाले की इबारत समझाई जाय। हरक व सरकार दोनों ही ओर से तैयारी जारी है।
विधायक महेश नेगी सेक्स स्कैंडल
अगस्त माह से जारी भाजपा विधायक महेश नेगी पर लगे दुष्कर्म के आरोपों की कहानी साल बीतते बीतते भी सुर्खियों में है। इस सेक्स प्रकरण से भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर काफी आरोपों का सामना करना पड़ा।संगठन भी दो चार बार बोल कर शांत ये।
कम से कम चार बार पुलिस जांच बदली जा चुकी है। हाल ही में पौड़ी महिला थाने को जांच ट्रांसफर होने के बाद इस बहुचर्चित सेक्स प्रकरण के किसी मुकाम तक पहुंचने की उम्मीद जगी है। पुलिस जांच में भाजपा विधायक महेश नेगी व पीड़ित महिला के कई जगह साथ रहने की पुष्टि हो चुकी है। पीड़ित महिला अपनी बेटी व महेश नेगी के डीएनए जांच की मांग कर रही है। चुनावी साल में विपक्षी दल इस मुद्दे को और अधिक हवा देने से नही चुकेगा। नड्डा।के दौरे से इस प्रकरण से हुए डैमेज को कैसे कंट्रोल किया जाय। यह भी अंदरूनी मंथन के केंद्र में रहेगा।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
हालांकि, जिस तरह का उग्र, खुला व सार्वजनिक विरोध पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी, बीसी खंडूरी व निशंक ने झेला। ऐसी नौबत फिलहाल मौजूदा सीएम त्रिवेंद्र रावत के सामने नहीं आयी है। छिटपुट व बिखरे हुए विरोध को झेल लिया गया।
पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी
इसी क्रम में कुछ दिन पहले पूर्व मंत्री लाखीराम जोशी ने हाईकोर्ट की सीबीआई जांच सम्बन्धी फैसले को आधार बनाकर सीधे पीएम मोदी को पत्र लिख सीएम त्रिवेंद्र को हटाने की मांग कर राजनीतिक विस्फोट करने की।कोशिश की थी।
जोशी को कुछ नाराज बड़े नेताओं का बैकअप नही मिल पाया। और संगठन ने 24 घण्टे के अंदर पूर्व मंत्री जोशी को पार्टी से निलंबित कर उठते बगावती आग पर पानी की बौछार डाल दी।
राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्त्तराखण्ड आगमन।पर मंत्री, विधायक अपनी बात तो किसी न किसी तौर पर रखेंगे ही। मंत्री सतपाल महाराज भी पर्यटन से जुड़े कई कार्यक्रमों से नदारद रहे।
जबकि सीएम स्वंय मौजूद थे। मंत्री सतपाल महाराज के अलावा राज्य मंत्री रेखा आर्य के विभाग को।लेकर भी खबरों का बाजार बहुत गर्म रहा। अधिकारी से विवाद फिर जांच को लेकर भी रेखा आर्य मुखर रही।
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