सिख वर्ग के प्रभावशाली हस्तियों की ताजपोशी कर भाजपा ने फेंका पासा
कांग्रेस की परिवर्तन रैली में सिख किसानों की भागीदारी व केंद्रीय राज्य मंत्री के तराई में हुए विरोध को देख भज्जप नेतृत्व हुआ चिंतित
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। पहले मुख्य सचिव एस एस संधू फिर चुनाव सह प्रभारी सरदार आर पी सिंह और अब राज्यपाल रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह। तीनों सिख समुदाय से।
बीते लगभग दो महीने में लिए गए इन खास फैसलों से यह साफ हो गया है कि भाजपा नेतृत्व सिख किसानों की नाराजगी से बेहद तनाव व चिंता में है
किसान आंदोलन में उत्त्तराखण्ड के तराई के सिख किसानों की सक्रियता विशेष तौर पर देखी जा रही है। हाल ही में भाजपा की जनआशीर्वाद यात्रा में केंद्रीय पर्यटन व रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट के विरोध में तराई के सिख किसानों खुलकर सड़क पर उतरे। यही नहीं गिरफ्तारी भी दी। भाजपा नेतृत्व के लिए केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट के अपनी ही लोकसभा में किसान विरोध की घटना किसी बड़े खतरे से कम नहीं मानी गयी। जबकि केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट इसी उधमसिंहनगर-नैनीताल लोकसभा सीट से सांसद हैं।
उत्त्तराखण्ड की तराई में सिख किसानों का व्यापक जनाधार भी है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस सच का बखूबी समझ भी रहा है।
इस बीच,कांग्रेस की तराई में निकली परिवर्तन यात्रा में भी सिख किसानों ने बढ़ चढ़ कर भागीदारी की। और कांग्रेस के नेताओं ने सभी रैलियों में किसान बिल का विरोध करते हुए सिख समुदाय को अपने साथ जोड़ने की सफल कोशिश भी की।
कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर संघ व भाजपा के रणनीतिकार विशेष निगाह भी रखे हुए थे और पल-पल की रिपोर्ट दिल्ली पहुंचाई जा रही थी।
इसके अलावा, आम आदमी पार्टी बीते जाड़ों में अपने नेता भगवत मान का कुमायूँ की तराई में दौरा भी करवा चुकी है। भगवत मान भी सिख किसानों के साथ सफल संवाद व रैली कर भाजपा को चुनौती पेश कर ही चुके हैं।
इन सभी पहलुओं को देख भाजपा को अहसास हुआ कि सिख मतदाता उनके हाथ से निकल जायेगा। नतीजतन,2022 के विधानसभा चुनाव में फिर से जीत की कोशिश में जुटी भाजपा ने सिख किसानों की नाराजगी को दूर करने के लिए एक के बाद एक अहम कुर्सियों पर सिख वर्ग के नामचीन हस्तियों की ताजपोशी की।
भाजपा नेतृत्व ने राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, मुख्य सचिव एस एस संधू और चुनाव सह प्रभारी सरदार आर पी सिंह की ताजपोशी कर उत्त्तराखण्ड के नाराज सिख किसानों को एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है। यह सारी बिसात 2021 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की गई है। भाजपा की ताजातरीन बिछाई गई इस बिसात पर अब विपक्ष क्या चाल चलता है, इंतजार अब यही है।
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