रश्मि राणा, अनीता रावत व कर्मकार कल्याण बोर्ड के मुद्दे पर हरक-सरकार में आंख मिचौली
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून
बीते 36 घण्टे में उत्त्तराखण्ड में शासन स्तर पर तीन बड़े फैसले हुए। फैसले सरकारी थे लेकिन गूंज सत्ता व राजनीति के गलियारे में दूर तक सुनी गई। वार-पलटवार का खेल दोनों तरफ से जारी है।
रश्मि राणा की बोली तूती
कर्मकार कल्याण बोर्ड के मुद्दे पर झटका खाये आयुष मंत्री हरक सिंह रावत का फैसला काफी बोल्ड रहा। उत्त्तराखण्ड आयुर्वेद विवि की कार्य परिषद में सदस्यों की नियुक्ति में हरक सिंह ने तमाम पुराने भाजपाइयों को दरकिनार कर राजनीतिक कोटे से कोटद्वार की रश्मि सिंह को लिफ्ट किया। मंत्री हरक सिंह कोटद्वार से विधायक हैं और रश्मि सिंह (राणा) कोटद्वार नगर पालिका की अध्यक्ष रह चुकी है। जब रश्मि अध्यक्ष बनी तब बसपा में शामिल थी। 2017 के विधानसभा चुनाव के समय हरक सिंह रावत ने रश्मि सिंह को भाजपा में शामिल करवा लिया। तब से लेकर आज तक रश्मि राणा कैबिनेट मंत्री हरक सिंह के साथ कदमताल कर रही है। कोटद्वार विधानसभा के नीतिगत फैसलों में रश्मि राणा की राय काफी निर्णायक स्थान रखती है।
कोटद्वार विधानसभा से जुड़ी भाजपा की अन्य सक्रिय महिला नेत्रियों के आयुर्वेद विवि की कार्य परिषद में न आना रश्मि राणा और मंत्री हरक सिंह के मजबूत रिश्ते व विश्वास की बानगी पेश करने के लिए काफी है। इस फैसले के बाद कोटद्वार भाजपा में काफी बेचैनी देखी जा रही है। शुरुआती दबी जुबान से भाजपा के पुराने सिपाही मंत्री हरक सिंह के इस निर्णय पर सत्र तो हैं। लेकिन खुल कर नहीं बोल पा रहे। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह के किचन कैबिनेट में रश्मि राणा की बोलती तूती के आगे फिलहाल राजनीतिक कहानी-किस्से का नया दौर शुरू हो गया है। रश्मि राणा भी एक पॉवर सेंटर के तौर पर आंकी जाने लगी है। कर्मकार कल्याण बोर्ड में स्वंय समेत पूरी टीम के बोल्ड होने के ठीक बाद मंत्री हरक सिंह का यह छक्का (रश्मि राणा का मनोनयन) त्रिवेंद्र राज के स्कोर बोर्ड को अवश्य छलनी कर गया।
अनीता रावत बैक टू पवैलियन
दूसरा शासकीय फैसला, तकनीकी विवि की पूर्व कुलसचिव डॉ अनीता रावत को लेकर आया। सचिव आर के सुधांशु ने एक महीने पहले उत्त्तराखण्ड शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र ( यू सर्क) की डायरेक्टर बनाई गई अनीता रावत को पद से हटाते हुए मूल उच्च शिक्षा में भेजे जाने के आदेश किये। लगभग तीन साल पहले अनीता रावत को डिग्री कॉलेज ऋषिकेश से टेक्निकल विवि देहरादून में कुलसचिव की जिम्मेदारी दी गयी।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में अनीता रावत की अच्छी पहुंच बतायी जाती है। यहां कुलपति से विवाद व नियुक्ति का मैटर हाई कोर्ट पहुंचा।
कोर्ट में याचिका भी दायर की गई। कुलसचिव के लिए निर्धारित योग्यता नहीं होने के चलते कोर्ट ने पूर्व में अनीता रावत को पद से हटाने के आदेश किये। इधर, 4 नवंबर शासन ने अनीता रावत को उत्त्तराखण्ड शिक्षा एवम अनुसंधान केंद्र ( यू सर्क) से हटा कर मूल विभाग उच्च शिक्षा में वापस भेज दिया।
Utu में अनीता रावत की नियुक्ति व सामान खरीदारी को लेकर काफी विवाद भी रहा। बहरहाल, त्रिवेंद्र सरकार में लाये गए विवि अम्ब्रेला एक्ट के बाद अनीता रावत को किसी अन्य विवि में एडजस्ट करने के काफी विकल्प खुल गए हैं। ऊंची पहुंच के बावजूद फिलहाल कोर्ट के आदेश के बाद शासन को अनीता रावत के खिलाफ कार्यवाही करने पर मजबूर होना पड़ा।
कर्मकार बोर्ड में नियुक्ति व खुलती करोड़ों की फाइलें
तीसरा फैसला, श्रम मंत्री हरक सिंह रावत की बादशाहत को खुली चुनौती दे गया। 4 नवंबर को शासन ने जबरदस्त चर्चा में आये कर्मकार कल्याण बोर्ड के बाकी सदस्यों की नियुक्ति कर हरक सिंह की नाराजगी को भी करारा जवाब दे दिया। पहले बोर्ड अध्यक्ष के पद से हरक को हटा शमशेर सत्याल को कुर्सी सौंपी। फिर सचिव दमयंती को हटा दीप्ति सिंह को चार्ज दिया।
और अब आधा दर्जन सदस्य बना दिया। पूर्व के सभी हरक समर्थक सदस्य हटा दिए गए। मंत्री हरक सिंह ने कहा, सीएम त्रिवेंद्र से बात करेंगे… चुनाव नहीं लड़ेंगे…विजय बहुगुणा को राज्यसभा भेजिए…और भी न जाने क्या- क्या। उधर, कर्मकार कल्याण बोर्ड में हुई 15 करोड़ की खरीद की फ़ाइल खुल गयी। लेकिन फ़ाइल की लोकेशन ढूंढ़े नहीं मिल रही। शासन में भी जांच हो रही और दून के डीएम भी फाइलें पलट रहे। “आप” को बंटी साइकिल समेत बहुत कुछ हिसाब किताब अभी सामने आएगा।
बीते 36 घण्टे के तीन फैसलों ने वीवीआईपी दरबार में जंग की नई कहानी लिख दी। कभी शासन-सरकार बैकफुट पर तो नाराज मन्त्री हरक सिंह अपने मन की कर गए और कोटद्वार की रश्मि राणा को कुर्सी दिला भाजपा को खुला सन्देश भी दे गए।
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