अविकल उत्त्तराखण्ड
पूर्व सीएम हरीश रावत काफी मुखर होकर अपनी बात कह रहे हैं। सोशल मीडिया पर लगभग हर दिन वह पार्टी के अंदरूनी मुद्दों पर खुलकर चर्चा कर रहे हैं। बुधवार को उनके सुबह और शाम के समय दो ट्वीट सामने आये। उन्होंने कहा कि राज्य में हो रहे जनांदोलन में प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष जायँ।पेश है ट्वीट के पूरे अंश-
मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित होने को लेकर संकोच कैसा? यदि मेरे सम्मान में यह संकोच है तो मैंने स्वयं अपनी तरफ से यह विनती कर ली है कि जिसे भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया जायेगा मैं, उसके पीछे खड़ा हूंगा।
रणनीति के दृष्टिकोण से भी आवश्यक है कि हम भाजपा द्वारा राज्यों में जीत के लिये अपनाये जा रहे फार्मूले का कोई स्थानीय तोड़ निकालें। स्थानीय तोड़ यही हो सकता है कि भाजपा का चेहरा बनाम कांग्रेस का चेहरा, चुनाव में लोगों के सामने रखा जाय ताकि लोग स्थानीय सवालों के तुलनात्मक आधार पर निर्णय करें। मेरा मानना है कि ऐसा करने से चुनाव में हम अच्छा कर पाएंगे, फिर सामूहिकता की अचानक याद क्यों?
जो व्यक्ति किसी भी निर्णय में, इतना बड़ा संगठनात्मक ढांचा है पार्टी का, उस ढांचे में कुछ लोगों की संस्तुति करने के लिए भी मुझे AICC का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, उस समय सामूहिकता का पालन नहीं हुआ है और मैंने उस पर कभी आवाज नहीं उठाई है, पार्टी के अधिकारिक पोस्टरों में मेरा नाम और चेहरा स्थान नहीं पा पाया, मैंने उस पर भी कभी कोई सवाल खड़ा नहीं किया! यहां तक की मुझे कभी-कभी मंचों पर स्थान मिलने को लेकर संदेह रहता है तो मैं, अपने साथ अपना मोड़ा लेकर के चलता हूं ताकि पार्टी के सामने कोई असमंजस न आये तो आज भी मैंने केवल असमंजस को हटाया है, तो ये दनादन क्यों?
उत्तराखंडकांग्रेस ने मुझे सामूहिकता के लायक नहीं समझा है। यह उसी दिन स्पष्ट हो गया था, जब #प्रदेश कांग्रेस के नवनिर्वाचित सदस्यों व पदाधिकारीयों की पहली #बैठक हुई थी, उस बैठक में #मंच से पार्टी के #शुभंकरमहामंत्री संगठन ने 3 बार #नेताओं की जिंदाबाद बुलवाई, AICC के #सचिवगणों की भी जिंदाबाद लगाई गई, मगर नवनियुक्त #AICC_महासचिवहरीशरावत को मंच से जिंदाबाद बुलवाने के लायक नहीं समझा गया। यदि इन बातों को अलग रखकर भी विचार करें, तो भी #मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना पार्टी हित में होगा। प्रदेश में स्थान-स्थान पर जनआंदोलन हो रहे हैं। #राज्य में दो प्रमुख पद हैं, उन जनसंघर्षों को कांग्रेस के साथ जोड़ने के लिये आवश्यक है कि #अध्यक्ष या #नेता_प्रतिपक्ष वहां पहुँचे और अन्याय व पीड़ितों जिनमें कांग्रेसजन भी सम्मिलित हैं, उनके मनोबल को बढ़ाएं। आज हरीश रावत के लिये ऐसा करना संभव नहीं है, हमें युवा हाथों में बागडोर देने के लिये उत्सुक होना चाहिये, पार्टी के भविष्य के लिये जनरेशन चेंज को प्रोत्साहित करना, पार्टी की सेवा है। मैं, अपने को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ, ताकि अन्य राज्यों और क्षेत्रों में भी यह सिलसिला आगे बढ़ सके।
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