उत्तराखंड कांग्रेस ने भाजपा व ईडी के खिलाफ किया प्रदर्शन

देखें वीडियो,कांग्रेस नेता-कार्यकर्ता गिरफ्तार,रिहा

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सहित वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा चार्जशीट दाखिल करने और संपत्तियों की जब्ती के विरोध में उत्तराखंड कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राज्यभर में जोरदार प्रदर्शन किया।
यह आंदोलन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रव्यापी आह्वान के तहत आयोजित हुआ।

राजधानी देहरादून में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व चकराता विधायक प्रीतम सिंह और प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के नेतृत्व में सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ता परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए और वहां से जुलूस निकालकर क्रॉस रोड स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई। बैरिकेडिंग तोड़कर मुख्य द्वार पर पहुंचे नेताओं ने सड़क पर धरना दिया, जिसके बाद पुलिस ने सवा एक बजे के आसपास सभी को गिरफ्तार कर पुलिस लाइन ले जाया गया, जहां से बाद में सभी को मुचलकों पर रिहा कर दिया गया।

इस प्रदर्शन में नवप्रभात, हीरा सिंह बिष्ट, आयरेन्द शर्मा, विकास नेगी, राजकुमार, जयेंद्र रमोला, दिनेश सिंह कौशल, सुजाता पॉल, डॉक्टर प्रतिमा सिंह, गिरिराज किशोर हिंदवाण, उर्मिला थापा, शिल्पी अरोड़ा, सुशीला शर्मा, अनुराधा तिवारी, अभिनव थापर, अमरजीत सिंह, संजय किशोर, अर्जुन सोनकर, ऐतात खान, जाहिद अंसारी, रॉबिन त्यागी, अभिषेक तिवारी, लाल चंद शर्मा, गौरव सिंह, मोहन काला, प्रमोद गुप्ता, संजय भारती, अनुज दत्त शर्मा, गोपाल गड़िया, कमर सिद्दीकी, विनीत प्रसाद भट्ट बंटू, सुमित खन्ना समेत सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल रहे।

यशपाल आर्य ने कहा कि मोदी सरकार गांधी परिवार को निशाना बनाकर ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। सोनिया गांधी ने दो बार प्रधानमंत्री पद अस्वीकार कर देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत किया, और उन पर मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आरोप लगाना हास्यास्पद है। राहुल गांधी पूरे देश में भाजपा और आरएसएस की नीतियों के खिलाफ डटकर आवाज उठा रहे हैं, और इसी कारण उन्हें दबाने की साजिशें की जा रही हैं।

प्रीतम सिंह ने कहा कि यदि मोदी सरकार यह सोचती है कि कांग्रेस नेताओं को डराकर खामोश कर देगी, तो यह उनकी भूल है। इतिहास गवाह है कि जब 1977 में इंदिरा गांधी को जेल भेजा गया था, तो जनता सरकार ढाई साल भी नहीं टिक पाई थी।

सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि जिस प्रकार बारह घंटे के नोटिस पर पूरे प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे, वह इस बात का संकेत है कि देश की जनता अब तानाशाही और दमन के खिलाफ व्यापक आंदोलन को तैयार है।

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