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सात दिन बाद भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं,राजभवन पर टिकी निगाहें - Avikal Uttarakhand

सात दिन बाद भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं,राजभवन पर टिकी निगाहें

…सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का

…कहीं कुलपति डॉ सुनील जोशी के रिटायरमेंट की डेट का इंतजार तो नहीं हो रहा

हाईकोर्ट ने 5 जुलाई के अपने आदेश में आयुर्वेद विवि के कुलपति को हटाने के दिये थे आदेश

अविकल उत्तराखण्ड

देहरादून। ..जिसकी चलती उसकी क्या गलती…हाईकोर्ट का आदेश हुए सात दिन हो गए। लेकिन आयुर्वेद विवि के कुलपति डॉ सुनील जोशी को शासन अभी तक हटा नहीं पाया है। कुलपति पूर्व की तरह अपना काम कर रहे हैं।

फ़ाइल शासन व राजभवन के बीच झूल रही है। इस लालफीताशाही के बीच कुलपति सुनील जोशी के रिटायरमेंट की तारीख 13 जुलाई भी दरवाजे पर दस्तक दे रही है।

एक सप्ताह तक हाईकोर्ट के तत्काल कुलपति को हटाने सम्बन्धी आदेश का पालन नहीं होने से यह संदेश भी साफ चला गया कि प्रदेश के अधिकारी पूरे मामले को कितने हल्के में ले रहे हैं।

आयुष विभाग के सचिव पंकज पांडेय का कहना है कि फ़ाइल राजभवन भेजी गई है। वहां से फ़ाइल आते ही कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि 5 जुलाई को नैनीताल हाईकोर्ट ने आयुर्वेद विवि के कुलपति को हटाने के आदेश दिए थे। और हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए धामी सरकार ने 6 जुलाई को फ़ाइल राज्यपाल के विचारार्थ भेज दी थी।

इतने दिन तक कुलपति सुनील जोशी के हाईप्रोफाइल मामले से जुड़ी फ़ाइल वापस शासन के पास नहीं आयी। इस बीच, 13 जुलाई को जोशी के रिटायरमेंट की तारीख है। और निगाहें राजभवन पर टिकी हैं।

राजभवन के फैसले का इंतजार

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हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में हो रही देरी भो सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह भी सवाल उठ रहा है कि डॉ सुनील जोशी के रिटायरमेंट की तारीख तक यह मसला खींचा जा रहा है।

गौरतलब है कि नियमावली में विशेष परिस्थिति में 15 दिनों के लिए कुलसचिव को स्वतः कुलपति का प्रभार सौंपा जाता है। और हाईकोर्ट के आदेश के बाद आयुर्वेद विवि के कुलसचिव को विशेष परिस्थिति में कुलपति का चार्ज दिया जा सकता था।

यहां यह भी बता दें कि पूर्व में अल्मोड़ा विश्विद्यालय में कुलपति को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बर्खास्त करने की दशा में उसी दिन कार्यवाहक कुलपति की नियुक्ति राजभवन/शासन द्वारा कर दी गयी थी। लेकिन आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील जोशी को हटाने सम्बन्धी आदेश के बाद भी सात दिनों तक चुप्पी और पद पर रिटायर होने का अवसर दिए जाने की कयासबाजी के बीच कई सवाल उभरने लगे हैं।

Pls see-Highcourt order

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