2 अक्टूबर को अंकिता भंडारी के मसले पर प्रदेश बन्द.दलित जगदीश हत्याकांड के विरोध में भी सुर हुए तेज
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। …और उत्तराखंड के पहाड़ से मैदान तक लाखों दीपक एकसाथ झिलमिला उठे। निःशब्द..मौन.. सन्नाटा…आक्रोश… और हाथों में अंकिता की याद में जलता दीपक…उत्तराखंड में नवरात्र की रात्रि मां दुर्गा के जयकारे के बीच सुदूर पहाड़ी गांवों से लेकर मैदान के आंचल तक अंकिता की याद में लाखों लोगों ने एक दीप जला संघर्ष का बिगुल फूंका। justice for ankita bhandari
अंकिता भंडारी हत्याकांड के आरोपियों को सजा दिलाने व न्याय की मांग को लेकर शनिवार की रात समूचे उत्तराखंड में लाखों दीपक जल उठे। बच्चे-बूढ़े और जवानों ने अपने अपने स्तर पर अंकित को श्रद्धांजलि देते हुए न्याय की अलख जगाए रखी।
इस यह स्वतः स्फूर्त न्याय के आंदोलन में दलीय सीमाएँ टूटी … प्रदेश की महिलाओं ने एक बीड़ा उठाया। अंकिता हत्याकांड से नाराज जनता गांव,कस्बों व शहरों में अपने अपने तरीके से विरोध की आवाज बुलंद किये हुए हैं।
कई जगहों पर धरना प्रदर्शन का दौर जारी है। बैकफुट पर आयी भाजपा ने भी अंकिता के मसले पर श्रद्धांजलि सभाओं का सिलसिला शुरू कर दिया है। भाजपा की चिंता इस बात सेसाफ झलकती है कि राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को श्रद्धांजलि कार्यक्रमों की शुरुआत करने देहरादून आना पड़ा। कांग्रेस, उक्रांद समेत दर्जनों सामाजिक संगठन अंकिता भंडारी की न्याय की जंग लड़ रहे हैं
इस बीच,पुलकित आर्य समेत तीनों आरोपी को एसआईटी ने रिमांड पर लिया है। पटवारी वैभव सिंह से पूछताछ जारी है। इधर, वीआईपी गेस्ट के नाम का सभी को इंतजार है। इसी गेस्ट को एक्स्ट्रा सर्विस देने से इनकार करने पर अंकिता को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
सवाल लगातार बड़े होते जा रहे हैं। उसी अनुपात में आन्दोलन की गर्मी भी बढ़ती जा रही है। पुलकित आर्य के वंन्तरा रिसॉर्ट पर बुलडोजर चलाने की कहानी भी दिलचस्प होती जा रही है। बहुत से सवालों के जवाब आने अभी बाकी हैं..
बहरहाल, शनिवार को जले दीपक की लौ ने अंकिता भंडारी के हत्यारों के खिलाफ एक बड़ा जनमत खड़ा कर दिया है। अंकिता भंडारी के साथ अल्मोड़ा जिले में हुए सवर्ण लड़की से शादी कर जान गंवा देने वाले दलित जगदीश हत्याकांड का मामला जुड़ने से कानून व्यवस्था पर नये सिरे से सवाल उठने लगे हैं। दलित जगदीश की हत्या के विरोध में भी सुर तेज होने लगे हैं… गांधी-शास्त्री जयंती 2 अक्टूबर को विरोध स्वरूप उत्तराखंड बन्द रहेगा.
महिला उत्तरजन के आह्वान पर विभिन्न सामाजिक सरोकारों के संगठनों ने गाँधी पार्क पर धरना शुरू किया
महिला उत्तरजन के आह्वान पर विभिन्न सामाजिक सरोकारों के संगठनों ने गाँधी पार्क पर अंकिता भंडारी हत्याकांड के दोषियों को कठोर सजा देने, राज्याधीन सेवायोजन मे भृष्टाचार को उखाड़ फेंकने एवं प्रदेश मे व्याप्त लूट खसोट के तंत्र पर कठोर प्रहार करने की मांग को लेकर 03 दिवसीय धरना प्रारम्भ किया गया। धरने मे शामिल होने वाले संगठनों मे उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ, उत्तराखंड सचिवालय संघ, राजकीय शिक्षक संघ, उत्तराखंड बेरोजगार संघ (महिला इकाई), पूर्व बार एसोसिएशन सदस्यगण और समाज के अनेक प्रबुद्धजन सम्मिलित रहे।
महिला उत्तरजन ने यह भी कहा कि उत्तराखंड मे संसाधनों की लूट खसोट तो जारी है ही महिला उत्पीड़न और बाल यौन शोषण की घटनायें भी लगातार बढ़ रही हैं। सरकार को इन पर नियंत्रण के लिए कठोर नीतियाँ बनानी चाहिए और यहाँ की भूमिरक्षा के लिये सख्त भूकानून, जैसा कि हिमाचल प्रदेश और अन्य हिमालयी प्रदेशों में लागू है ; यहाँ लागू किया जाना चाहिए।
आज के धरना कार्यक्रम का प्रारम्भ महिला उत्तरजन की टीम द्वारा जनगीतों से किया गया। धरना स्थल पर जनसभा का आयोजन कर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। आज के धरने में नरेश चंद्र कुलाश्री, श्रीमती दीपा बंगारी, पूजा बिष्ट, “सैनिक शिरोमणि” मनोज ध्यानी, श्रीमती सुशीला पीचीसिया, श्रीमती कमला डिमरी, श्रीमती ज्योत्स्ना कुकरेती, श्रीमती ऊषा रावत, श्रीमती विमला रावत, श्रीमती विमला कैठेेत, श्रीमती सविता जोशी, सुप्रिया सकलानी, सुप्रिया देवली , नरेश बहुगुणा, विनोद कुमार बहुगुणा, उत्तम सिँह रावत, श किशन सिँह, श्रीमती सविता जोशी, एडवोकेट श्रीमती प्रमिला रावत, सरोजनी नौटियाल, विमला नौटियाल, मीना नौटियाल, प्रेमा रावत, ऊषा रावत, बीना कंडार, सुश्री आरती राणा, दीपक करगेती,गिरीश लखेड़ा, श्रीमती गायत्री टमटा श्रीमती राखी रावत, श्रीमती अनीता सोनी आदि बडी संख्या में समाज सेवी उपस्थित रहे।
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