नैनीताल हाईकोर्ट अपने 5 मार्च के निर्णय में श्वेताभ सुमन, डॉ अरुण कुमार सिंह और राजेंद्र विक्रम सिंह के बेल बांड खारिज करते हुए सजा बहाल रखी थी
अविकल उत्तराखंड
नई दिल्ली/देहरादून। आय से अधिक संपत्ति के मामले में फरार चल रहे पूर्व इनकम टैक्स आयुक्त श्वेताभ सुमन कल 20 मई को देहरादून की सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर सकते हैं। 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में पूर्व इनकम टैक्स अधिकारी के सरेंडर के लिए और अधिक समय की मांग को खारिज करते हुए सात दिन के अंदर सरेंडर के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि एक हफ्ते के अंदर सरेंडर से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी करने को भी कहा।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद लम्बे समय से लुका छिपी कर रहे पूर्व आयकर आयुक्त व उनके सहयोगियों के सामने सरेंडर के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा। पूरी उम्मीद है कि कल शुक्रवार को पूर्व आयकर आयुक्त देहरादून में सरेंडर कर देंगे। श्वेताभ सुमन की देहरादून स्थित कोठी में भी लम्बे समय से ताला लगा है।
सुप्रीम कोर्ट का 13 मई के आदेश
22 अप्रैल 2022 सुप्रीम कोर्ट का आदेश
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर आय से अधिक सम्पत्ति के मामले ने फरार पूर्व इनकम टैक्स कमिश्नर श्वेताभ सुमन को झटका देते हुए तीन सप्ताह के अंदर सरेंडर करने के आदेश दिए थे।
मिली जानकारी के मुताबिक श्वेताभ सुमन ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की थी। अपनी याचिका में पूर्व कमिश्नर ने अदालत से अपील की थी कि उन्हें बिना सरेंडर किये मामले की सुनवाई कर ली जाय। कोर्ट में चली सुनवाई के बाद विद्वान जज ने सरेंडर से छूट की मांग को अस्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया। यही नहीं, पूर्व फरार चल रहे आयकर आयुक्त को तीन सप्ताह के अंदर सरेंडर करने के आदेश दिए ।
5 मार्च 2022, नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश से बढ़ी थी मुश्किलें
इससे पूर्व, नैनीताल हाईकोर्ट ने 5 मार्च 2022को श्वेताभ सुमन सहित तीन लोगों के बेल बांड खारिज करते हुए हिरासत में लेने के आदेश दिए थे। इस आदेश के बाद ये सभी फरार चल रहे थे। इधर, सुप्रीम कोर्ट के ताजे आदेश के बाद श्वेताभ सुमन की मुश्किलें काफी बढ़ गयी ।
नैनीताल हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में उत्तराखंड के पूर्व आयकर आयुक्त श्वेताभ सुमन की सजा बरकरार रखी थी । कोर्ट ने श्वेताभ सुमन, डॉ अरुण कुमार सिंह और राजेंद्र विक्रम सिंह के बेल बांड को खारिज करते हुए सभी को हिरासत में लेने के आदेश दिए थे। जुर्माना अदा नहीं करने पर श्वेताभ सुमन की 5 साल की सजा को बरकरार रखते हुए दो माह की सामान्य सजा के आदेश हाईकोर्ट ने दिए थे। इसके अलावा डॉ अरुण कुमार सिंह व राजेंद्र विक्रम सिंह को पूर्व की सजा बहाल की है।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई थी। मामले के अनुसार हाइकोर्ट ने आय से अधिक संपति के मामले में 1998 बैच के आईएएस आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन व अन्य की अपीलों में सुनवाई की थी।
आपको बता दें कि 2005 में एक गुमनाम शिकायती पत्र के आधार पर इनके खिलाफ दिल्ली के में मुकदमा दर्ज हुआ था।
उसके बाद सीबीआई ने 2015 में आयकर अधिकारी के चौदह ठिकानों पर छापा मारा था। तब वह संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत थे। जांच में सीबीआई ने पाया कि अधिकारी के पास आय से 337 प्रतिशत अधिक संपत्ति है। यह संपत्ति गाजियाबाद, झारखंड, बिहार व देहरादून में है। यह संपत्ति उन्होंने अपनी माता और जीजा के नाम कर रखी थी। उन्होंने अपनी मा गुलाबो देवी के नाम दिल्ली में एक होंडा सिटी कार भी फाइनेंस कराई थी।
फाइनेंस कराने में जो दस्तावेज लगाए गए थे उनमें फोटो अपनी मां की और पेपर किसी अन्य संपत्ति के लगाए गए थे। सीबीआई की जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि सुमन ने गरीबों की मदद के लिए अरविंद सोसायटी का रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लोगों से दान डलवाया। बाद में खाते में ट्रांसफर कर लिया।
सीबीआई कोर्ट में अभियोजन पक्ष की तरफ से 255 और बचाव पक्ष की तरफ से आठ गवाह भी पेश किए गए थे। स्पेशल जज प्रिवेंशन ऑफ क रप्शन (सीबीआई) देहरादून ने 13 फरवरी 2019 को इनको सात साल की सजा सुनाई । साथ में इन पर तीन करोड़ सत्तर लाख चौदह रुपया का जुर्माना भी लगाया था। कोर्ट ने इनकी माता को एक साल, जीजा, दो दोस्तो को चार चार साल की सजा सुनाई थी। इस आदेश के खिलाफ इन्होंने हाइकोर्ट ने अपील की थी।
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