बिजिलेंस की जांच रिपोर्ट का इंतजार, अब रामविलास के करीबियों पर होगी कार्रवाई
आईएएस रामविलास यादव व यूपीसीएल/ पिटकुल के प्रबंध निदेशक अनिल यादव एक दूसरे के समधी हैं। अनिल यादव के बेटे व रामविलास की बेटी की शादी देहरादून के एक होटल में धूमधाम से की गई थी। पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने अनिल यादव की नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल यादव की कार्यप्रणाली को लेकर एक राजनीतिक दल ने भी ट्रांसफर समेत अन्य मुद्दों पर विरोध जताया।
अविकल उत्तराखंड
लखनऊ/देहरादून। उत्तराखंड शासन में अपर सचिव व लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व सचिव डा. रामविलास यादव के लखनऊ, देहरादून व गाजीपुर के ठिकानों पर विजिलेंस के छापे यहां से करोड़ों रुपये की संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं। लखनऊ में एक स्कूल, देहरादून व गाजीपुर में डेढ़ दर्जन भूखंडों के और गाजियाबाद में एक फ्लैट होने संबंधी दस्तावेज मिले हैं। शनिवार की सुबह से जारी छापे की कार्रवाई देर शाम तक चलती रही।
सुबह सात बजे ही विजिलेंस की चार टीमों ने देहरादून के सरकारी आवास ए-6 टिहरी हाउस राजपुर रोड, उत्तर प्रदेश में ग्राम परेवा तहसील जखनियां दौलतनगर जिला गाजीपुर, लखनऊ में कुर्सी रोड गुडम्बा और दिलकश विहार कालोनी, रानी कोठी सीतापुर रोड लखनऊ, गुड़म्बा, कुर्सी रोड स्थित जनता विद्यालय में पड़े छापे के बाद चल अचल संपत्ति से जुड़े कई दस्तावेज मिले हैं।
छापे के समय राम विलास यादव व उनके घर के सदस्य गायब हो गए। सिर्फ केयर टेकर ही मिले। दिलकश विहार कालोनी सीतापुर रोड स्थित आवास के सामने एक गैराज में तीन मोटरसाइकिल व कार मिलीं।
लखनऊ के गुडम्बा में रामविलास यादव की पत्नी के नाम पर एक जनता विद्यालय भी चल रहा है । इसकी कीमत 10 करोड़ से अधिक बतायी जा रही है।
गाजीपुर में ट्रस्ट पर किया कब्जा
विजिलेंस सूत्रों के अनुसार यादव ने सरकारी सेवा में रहते हुए स्व. रामकरण दादा मेमोरियल ट्रस्ट गाजीपुर के अध्यक्ष पद पर खुद को काबिज करा लिया। यही नहीं, जिस जमीन पर ट्रस्ट का परिसर था, दिसंबर-2021 में उन्होंने गिफ्ट डीड के आधार पर यह जमीन ट्रस्ट के नाम करा ली। यादव ने अध्यक्ष के रूप में स्टांप का शुल्क भी जमा किया।
गाजीपुर में अपनी और मैनपुरी में पत्नी का तमाम पैतृक संपत्तियों को भाइयों और बहनों के शपथपत्र के आधार पर अपने नाम दर्ज करा लिया।
देहरादून में पुलिस उपाधीक्षक अनुषा बडोला जबकि उत्तर प्रदेश में उपाधीक्षक रेनू लोहानी व अनिल मनराल ने छापेमारी की। ।
रामविलास पूर्व में सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण और एडिशनल डायरेक्टर मंडी परिषद रह चुके हैं। वह वर्तमान में ग्राम विकास विभाग उत्तराखंड में समाज कल्याण, कृषि व ग्राम्य विकास विभाग में अपर सचिव सचिव के पद पर कार्यरत हैं। उनके खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत कुमार मिश्रा की शिकायत पर उत्तराखंड विजिलेंस ने एफआइआर दर्ज की थी।
सपा के करीबी रहे आइएएस रामविलास यादव 2017 में योगी सरकार के आने के बाद 2019 में यूपी से उत्तराखंड आ गए। इसके बाद शासन ने नौ जनवरी 2019 को उनके खिलाफ विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे। विजिलेंस टीम ने आइएएस यादव को पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद आइएएस का पक्ष जानने के लिए तीन सदस्यीय हाईपावर कमेटी बनाई गई, पर यादव ने उसे भी गुमराह किया।
चूंकि यूपी में यादव के खिलाफ जांच चल ही रही थी लिहाजा उत्तर प्रदेश सरकार ने उनकी जांच से जुड़ी फाइलें उत्तराखंड सरकार को भेजकर विजिलेंस की खुली जांच कराने की सिफारिश की थी। इस पर इसी साल अप्रैल में यादव के विरुद्ध विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज किया।
बार बार समन भेजने पर भी यादव विजिलेंस के समक्ष हाजिर नहीं हुए। इस पर विजिलेंस ने अदालत से आदेश लेकर शनिवार को उनके उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के ठिकानों पर छापेमारी कर कई नामी बेनामी सम्पत्तियों का खुलासा किया।
सूत्रों के मुताबिक यादव के रिश्तेदार व करीबी अधिकारियों पर भी विजिलेंस की निगाह है।यादव पर आय से 500 प्रतिशत अधिक संपत्ति का मुख्य आरोप है।उत्तराखंड शासन को जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि आईएएस रामविलास यादव 30 जून को रिटायर हो रहे हैं।
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