तीन जुलाई 2009 को देहरादून में MBA के छात्र रणवीर को फर्जी एनकाउंटर में मार गिराया था. उसे 22 गोली मारी गयी थी.
Ranveer encounter case @ 2009- Five police personnel got bail from Supreme Court today
अविकल उत्तराखण्ड
नई दिल्ली । उत्तराखण्ड के चर्चित व फर्जी रणवीर एनकाउंटर में सुप्रीम कोर्ट ने इंस्पेक्टर संतोष कुमार जायसवाल, उप निरीक्षक नितिन चौहान, नीरज यादव, जी डी भट्ट और कांस्टेबल अजीत को जमानत दे दी। तीन जुलाई 2009 को दून में रायपुर के जंगलों में रणवीर का एनकाउन्टर कर दिया गया था। रणवीर को 22 गोली मारी गयी थी।
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता हर्षवीर प्रताप शर्मा ने बताया कि 17 नवंबर को उप निरीक्षक राजेश व चंद्र मोहन सिंह की जमानत हो गयी। और अब आज कोर्ट ने इन पांच पुलिसकर्मियों को जमानत दी है।
उन्होंने बताया कि रणवीर हत्याकांड में अब सभी अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है। रणवीर हत्याकांड की गूंज पूरे देश में सुनाई दी थी। रणवीर के फर्जी एनकाउंटर के दिन ही तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को दून होते हुए मसूरी जाना था।
9 जून 2014- रणवीर हत्याकांड: उत्तराखंड के 17 पुलिसकर्मियों को उम्रक़ैद
दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 2009 के रणवीर फ़र्जी मुठभेड़ मामले में दोषी ठहराए गए 18 में से 17 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
जेपीएस मलिक की इस अदालत ने बीते शुक्रवार को इस मामले में फर्जी मुठभेड़ में शामिल 18 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया था. इनमें से 17 को हत्या का षड्यंत्र रचने और एक को सबूतों से छेड़छाड़ का दोषी पाया गया था.
इस मामले में अदालत ने शनिवार को सजा पर बहस पूरी कर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. फ़ैसला सुनाने के लिए सोमवार का दिन मुकर्रर किया गया था.
इस मामले में दोषी ठहराए गए शहर पुलिस नियंत्रण कक्ष के प्रमुख ऑपरेटर को अदालत भारतीय दंड संहिता की धारा 218 के तहत रिकॉर्ड में छेड़छाड़ का दोषी पाया था. वो मुकदमे की सुनवाई के दौरान अपनी सज़ा पूरी कर चुके थे. इसलिए उन्हें रिहा कर दिया गया.
फ़्लैश बैक
यह मामला 3 जुलाई 2009 का है जब एक चौकी प्रभारी जेडी भट्ट की सर्विस रिवाल्वर लूटने के आरोप में उत्तराखंड पुलिस ने रणवीर नाम के युवक को मार गिराने का दावा किया था. पुलिस का कहना था कि रणवीर के दो साथी फरार हो गए हैं.
दरअसल रणवीर उत्तर प्रदेश के बागपत के एक छात्र थे जो अपने दोस्तों को साथ देहरादून घूमने गए थे.
सरकार ने इस मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ़ हत्या और अन्य धाराओं में मुकदमे दर्ज करा कर मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी थी.
रणवीर के पिता रवींद्रपाल सिंह के अनुरोध पर इस मामले को दिल्ली की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था.
रणवीर की पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि उनके शरीर पर चोट के 28 निशान थे और उन्हें 22 गोलियां मारी गई थीं.
इस मामले में सज़ा पाए पुलिसकर्मी इस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. (साभार BBC हिंदी)
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