अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। आंदोलित प्रशिक्षित बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट एलोपैथिक महासंघ नौकरी के सवाल पर सरकार से काफी नाराज चल रहे हैं। इस बीच, मानवाधिकार सामाजिक न्याय संगठन ने भी अपना समर्थन दिया है।
प्रशिक्षित बेरोजगार फर्मासिस्ट महासंघ के पदाधिकारियों ने लंबे समय से प्रदेश में फार्मासिस्टों के रिक्त चल रहे पदों की जानकारी दी। बैठक का आयोजन देहरादून के जैन धर्मशाला में आहूत किया गया।
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष महादेव गौड़ ने बताया कि दिन-रात बेरोजगार नियुक्ति की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार ने कभी उनकी सुध लेने की जरूरत नहीं समझी। जिससे बेरोजगारों का सब्र जवाब देने लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने उपकेंद्रों में पद सृजित करने और नियुक्ति की घोषणा की थी उसके बावजूद आज तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अब बेरोजगार इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगे और सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर आन्दोलन करेंगे।
रविवार के कार्यक्रम में मानवधिकार संगठन ने कोरोना काल में किये उत्कृष्ट कार्यों के लिए बेरोजगार फार्मासिस्टों को सम्मानित भी किया।
प्रशिक्षित बेरोजगार महासंघ की प्रमुख मांगे
2015 ड्रग कास्मेटिक एक्ट फार्मेसी एक्ट 1948 का प्रदेश में कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जाय। थोक व फुटकर दवा दुकानों के लिए फार्मासिस्ट को लाइसेंस मुक्त दिया जाय, वर्ष 2016 में 600 संविदा फार्मासिस्टों के पदों की नियुक्ति जारी की गई थी,मगर वर्तमान सरकार ने संविदा फार्मासिस्टों के पदों को निरस्त किया था। महासंघ की मांग है कि निरस्त किये गए विज्ञप्ति को पुनर्जीवित किया जाय एवं स्थाई नियुक्ति दी जाय। जहां दवा वहां फार्मासिस्ट को अनिवार्य किया जाय। उप स्वास्थ्य केंद्रों पर 2021 तक फार्मासिस्ट की नियुक्ति कराई जाय। जहां मेडिकल स्टोर्स हो वहां फार्मासिस्ट होना चाहिए।
इस अवसर पर प्रशिक्षित बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्ट एलोपैथिक महासंघ के पदाधिकारी सुधीर रावत,कुलवेंद्र मटूड़ा,रवींद्र कंडारी,मनोज रावत,मनोज चौहान,कुलदीप शर्मा,अनिल सोनियाल,सौरभ डबराल,सुमन बहुगुणा,प्रवीण रावत,संदीप सिंह आदि उपस्थित रहे।
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