22 ऋषिगंगा व 148 NTPC प्रोजेक्ट में लापता
PM रिलीफ फण्ड से प्रत्येक मृतक के परिजनों को 2-2 लाख की आर्थिक सहायता। पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी जानकारी
घटनास्थल से लौटकर पत्रकारों से बोले सीएम – मुख्य फोकस बचाव व राहत पर
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून । आपदा प्रभावित सीमांत चमोली के रैंणी व तपोवन से लौटने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि हादसे में।मारे गए लोगों को सरकार 4-4 लाख मुआवजा देगी।
अभी तक मिली सूचना के मुताबिक लगभग 170 लोग लापता है । और सात लोगों के शव मिले। ऋषिगंगा प्रोजेक्ट में लगभग 35 व NTPC के प्रोजेक्ट में 50 लोग काम पर थे।
इस हादसे में 180 के आसपास भेड़ बकरियों के मारे जाने की खबर है । उन्होंने कहा कि सरकार का पूरा ध्यान बचाव और राहत कार्य पर है, नुकसान का आकलन बाद में कर लिया जाएगा।
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को सचिवालय में चमोली में आई प्राकृतिक आपदा को लेकर पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि अब स्थिति नियंत्रण में है, खतरे वाली बात नहीं है। अभी तक 7 बाॅडी रिकवर की गई हैं। उन्होंने बताया कि सुरंग में मलबा अंदर तक जमा है और सुरंग तक पहुंचना अत्यंत कठिन था। मशीन का सुरंग में जाना मुश्किल था, इसलिए आईटीबीपी के जवान रोप के सहारे वहां पहुंचे। सुरंग में 35-40 फीट गाद जमा है। 250 मीटर लंबी इस सुरंग में अपने हौसले के जरिये जवान 150 मीटर तक पहुंच चुके हैं।
उन्होंने कहा कि ऋषि गंगा पर निर्माणाधीन पावर प्रोजेक्ट में करीब 35 लोग काम पर थे । इनके बारे में भी अभी पुष्ट सूचना नहीं मिली है । उन्होंने कहा कि इस प्राकृतिक आपदा से रैंणी गांव के पास एक मोटर वाहन पुल और और चार झूला पुल टूट गए हैं। ऋषि गंगा व धौलीगंगा के आसपास रहने वाले गांवों का संपर्क आपस में टूट गया है ।
उन्होंने बताया कि इस इलाके में 17 गांव हैं ।कुछ गांव के लोग जाड़ों में अन्यत्र चले जाते हैं। लिहाजा 11 गांव के लोगों को राहत सामग्री पहुंचाना शुरू कर दिया है ।उन्होंने कहा कि इलाके में SDRF, आइटीबीपी आर्मी ,डीएम एसपी राहत व बचाव कार्य में जुटे हैं ।
उन्होंने बताया कि वायु सेना और आर्मी के हेलीकॉप्टर मौके पर हैं। एनडीआरएफ की टीम आपदा ग्रस्त इलाकों के लिए रवाना कर दी गई है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मृतकों को चार चार लाख मुआवजा दिया जाएगा ।
उन्होंने बताया कि रैंणी गांव के 5 लोग भी पावर प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट पर काम करते थे । इसके अलावा 180 भेड़ बकरियों के बहने की खबर है उनके साथ चरवाहे वह कुछ घास काट रही महिलाओं की भी लापता होने की खबर है।
सीएम ने कहा कि उन्होंने आपदा प्रभावित इलाके का हवाई सर्वे भी किया और मौके पर सड़क मार्ग से भी पहुंचे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, पतंजलि योगपीठ व उद्योगपति अनिल अंबानी ने पूरे सहयोग की बात कही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घटना रविवार 9:30 से 10:00 के बीच की है । जानकारी मिलते ही शासन प्रशासन तुरंत है अलर्ट हो गया था और उन्हें लगातार अपडेट मिल रहे थे । उन्होंने कहा कि इस समय पूरी प्राथमिकता बचाव व राहत कार्यों पर है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने चमोली जिले में रैणी, तपोवन आदि प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद देहरादून लौटने पर सचिवालय स्थित आपदा कंट्रोल रूम में अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की।
ग्लेशियर का पहाड़ टूटने के बाद ऋषिगंगा व धौलीगंगा पर बने हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में मची तबाही के बाद प्रभावित इलाकों का दौरा कर देहरादून लौटने पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विस्तार से जानकारी दी। देखिये हूबहू सरकारी प्रेस विज्ञप्ति-
*जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में आपदा ग्रस्त क्षेत्र का मुख्यमंत्री ने किया स्थलीय निरीक्षण।*
*अधिकारियों को दिये तत्परता से राहत एवं बचाव कार्यो को सम्पादित करने के निर्देश।*
*मृत आश्रितों को स्वीकृत किये 4-4 लाख की धनराशि।*
*प्रधानमंत्री ने भी दी है 2-2 लाख की आर्थिक मदद।*
*आपदा ग्रस्त क्षेत्र मे स्थिति सामान्य एवं नियन्त्रण में।*
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से उत्पन्न हुई भीषण आपदा के तुरन्त बाद आपदा स्थल का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। घटना स्थल से लौटने के बाद सचिवालय स्थित मीडिया सेन्टर मंे पत्रकारों से वार्ता करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र में ग्लेशियर फटने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन एवं एसडीआरएफ की टीम राहत एवं बचाव कार्यों के लिए घटना स्थल पर पहुंची।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वे गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन एवं डीआईजी गढ़वाल श्रीमती नीरू गर्ग के साथ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली से पूरी जानकारी ली। मुख्य सचिव ओम प्रकाश एवं सचिव आपदा प्रबंधन श्री एस.ए.मुरूगेशन ने आपदा प्रबन्धन केन्द्र सचिवालय में मौजूद रहकर लगातार स्थिति पर नजर रखी तथा आवश्यक दिशा निर्देश भी जिलाधिकारियों को दिये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आपदा से रैणी के समीप स्थित ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना को भारी नुकसान के साथ ही तपोवन स्थित एनटीपीसी की विद्युत परियोजना का भी कुछ नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि इस आपदा में प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार लगभग 125 लोग लापता है। रैणी क्षेत्र के 5 लोगो की भी इसमें अपनी जान गवानी पडी है। अब तक सात लोगों के शव बरामद किये जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि मृतको के आश्रितों को तात्कालिक रूप में 4-4 लाख की आर्थिक सहायता मंजूर की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पहला उदेद्श्य जान माल की सुरक्षा का है। ऋषिगंगा व एनटीपीसी द्वारा उन्हे हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस क्षेत्र में एक बड़ा तथा 4 छोटे पुलों को नुकसान पहुंचा है। इससे प्रभावित लगभग 11 गांवों को आवश्यक सहायता आदि उपलब्ध कराने के लिये आर्मी हेलीपैड एवं एसडीआरएफ के जवानों के साथ ही आर्मी एवं राज्य सरकार के हेलीकाप्टरों की व्यवस्था के साथ ही आवश्यक चिकित्सा सुविधा के लिये डाक्टरो की भी व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि रैणी के निकट नीति घाटी को जोडने वाले जिन सड़कों एवं पुलों को हुए नुकसान से जिन गांवों का सड़क से सम्पर्क टूट गया है उनमें गहर, भंग्यूल, रैणी पल्ली, पैंग, लाता, सुराईथोटा, तोलमा, फगरासु आदि गांव शामिल है, तथा पुलों में रैणी मे जुगजू का झूला पुल, जुवाग्वाड-सतधार झूलापुल, भग्यूल-तपोवन झूलापुल तथा पैंग मुरण्डा पुल बह गया है। रैणी मे शिवजी व जुगजू मे मां भगवती मंदिर भी आपदा मे बह गए है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि अब स्थिति नियंत्रण में है, खतरे वाली बात नहीं है। विद्युत परियोजना की सुरंग में मलबा अंदर तक जमा है और सुरंग तक पहुंचना अत्यंत कठिन था। मशीन का सुरंग में जाना मुश्किल था, इसलिए आईटीबीपी के जवान रोप के सहारे वहां पहुंचे। सुरंग में 35-40 फीट गाद जमा है। 250 मीटर लंबी इस सुरंग में अपने हौसले के जरिये जवान 150 मीटर तक पहुंच चुके हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि एनडीआरएपफ की टीम दिल्ली से आई है और कल और जवान आएंगे। आर्मी, पैरामिलिट्री फोर्स और हमारे डाॅक्टर आपदा स्थल पर तैनात किए गए हैं। ऐरियल सर्वे कर उन्होंने स्वयं स्थिति का जायजा लिया। किसी भी प्रकार की जरूरत पड़ने पर वहां आर्मी, वायुसेना और राज्य के हेलीकाॅप्टर तैनात कर दिए हैं। हमारी मेडिकल टीम हर परिस्थिति के लिए तैयार है और 90 जवानों को भी वहां पहुंचा दिया गया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जब खबर लगी तो उन्होंने उनसे फोन पर बात कर चिंता व्यक्त की और कहा कि मदद की जरूरत पड़ने पर वे मदद के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने मृतक आश्रितो को 02-02 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा भी की है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, सीडीएस जनरल विपिन रावत आदि ने भी हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। आचार्य बालकृष्ण ने सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि वे अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए तैयार हैं और हर स्थिति में सरकार के साथ हैं। शान्तिकुंज एवं विवेकानन्द अस्पताल पीपलकोटी ने भी सहयोग का आश्वासन दिया है।
मुख्यमंत्री ने इस भीषण आपदा से उत्पन्न स्थिति के सम्बन्ध में अफवाह फैलने से बचाने में योगदान देने के लिए मीडिया को भी धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जरूरत की पूर्ति करने की पूरी व्यवस्था हमारे पास है। हमारे पास रेस्क्यू टीम, मेडिकल, हेलीकाॅप्टर, एक्सपर्ट पर्याप्त मात्रा में है। सरकार का पूरा ध्यान जिनका जीवन बचा सकते हैं, उनकी ओर है। उन्होंने बताया कि रूद्रप्रयाग के करीब पानी स्वच्छ है। उन्होंने कहा कि आपदा की सूचना मिलते ही श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के बांध से पानी खाली कर दिया गया था। साथ ही गंगा व अलकनंदा के किनारे तुरंत हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने सचिवालय स्थित आपदा प्रबन्धन केन्द्र का भी निरीक्षण किया तथा शासन के उच्चाधिकारियों के साथ आपदा से उत्पन्न स्थिति पर विचार विमर्श किया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि आपदा प्रभावित क्षेत्र मंे राहत एवं बचाव कार्यो की निरन्तर निगरानी की जाय। उन्होंने कहा कि इसके लिये वांछित धनराशि की अविलम्ब व्यवस्था सुनिश्यित की जाय। बैठक में अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, एस.ए मुरूगेशन, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, डीआइजी श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल, महानिदेशक सूचना डाॅ. मेहरबान सिंह बिष्ट आदि उपस्थित थे।
जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में आई इस भीषण आपदा में बचाव व राहत कार्यो के सम्बन्ध में आईटीबीपी के कमांडेंट शेंदिल कुमार ने बताया कि आईटीबी के 250 जवान रेस्क्यू स्थल पर पहुंच कर रेस्क्यू आॅपरेशन कर रहे हैं। जिसमें मेडिकल आॅफिसर सहित आठ आॅफिसर भी शामिल है। एनटीपीसी पाॅवर हाऊस के आस पास के ईलाके में कार्य कर रहे हैं। 10 से 15 लोग टनल में कहीं फंसे हैं, अभी अनुमान है कि ये लोग जिंदा है। इनको निकालने के प्रयास किये जा रहे हैं। गौचर में आईटीबीपी की आठवीं बटालियन की दो टीमें जिसमें 90 जवान हैं, घटना स्थल के लिए निकल चुके हैं। इसके अलावा गौचर एवं देहरादून में एक-एक कम्पनी आदेश की प्रतीक्षा कर रही है। उत्तरकाशी में मातली एवं महिडाण्डा में भी एक-एक कम्पनी इस टास्क के लिए तैयार है। इसके अलावा स्पेशलिस्ट माउंटयरिंग एवं स्कीइंग इंस्ट्टीयूट औली की दो टीमे तपोवन एरिया में पहुंच चुकी है।
सेना के कर्नल एस. शंकर ने बताया कि जोशीमठ से सेना के 40 जवानों का एक दल तपोवन पहुंच गया है। एक दल जोशीमठ में है। दो सैन्य दल औली से जोशीमठ के लिए रिलीफ आॅपरेशन के लिए आ चुके हैं। रूद्रप्रयाग में दो सैन्य दल तैयार रखे गये है। एक इंजिनियरिंग टास्क फोर्स जोशीमठ से तपोवन पहुंच गया है। 02 मेडिकल आॅफिसर एवं दो एम्बुलेंस तपोवन पहुंच चुके हैं। आर्मी का हैलीपैड सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के लिए चालू है। कम्यूनिकेशन के लिए सिविल लाईन चालू है। बरेली से दो हैलीकाॅप्टर भी जोशीमठ पहुंच गये हैं।
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