लोकभाषाओं के संरक्षण- संवर्द्धन पर विशेषज्ञों ने किया मंथन

लोकभाषाओं के संरक्षण एवम् संवद्धन पर देश के विभिन्न
विश्वविद्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों से जुटे नामचीन शिक्षाविद


श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय व शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन


उत्तराखण्ड की लोकभाषाओं को संरक्षित करने को लेकर संगठित प्रयासों की ली शपथ

अविकल उत्तराखंड


देहरादून। श्री गुरु राम विश्वविद्यालय एवम् वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी मंे देश के 10 विश्व विश्वविद्यालयों से विषय विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी में उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, दिल्ली राज्यों से 500 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने ‘गुणवत्ता और नवोन्मेषी अनुसंधान शिक्षा में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली की भूमिका: नई शिक्षा नीति 2020‘ विषय पर अपने विचार साझा किए।


सोमवार को श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेज श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकिल एण्ड हेल्थ साइंसेज़ के सभागार में राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि यूकोस्ट के महानिदेशक (प्रो.) डॉ. दुर्गेश पंत, विशिष्ट अतिथि अध्यक्ष वैज्ञाानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार, प्रो. डॉ गिरीश नाथ झा, कुलपति श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय डॉ उदय सिंह रावत ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड विज्ञान एवम् प्रोद्योगिकी परिषद (यूकोस्ट) के महानिदेशक (प्रो.) डॉ. दुर्गेश पंत ने कहा कि किसी भी देश के छोटे से छोटे हिस्से की लोकभाषा बहुमूल्य है। इन लोकभाषओं के अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार व स्थानीय निवासियों को संगठित प्रयास करने चाहिए। समकालीन परिस्थितियों व कई अन्य कारणों से विभिन्न लोक भाषाएं आज समाज से लुप्त होने के कगार पर हैं। उन्होंने नई शिक्षा नीति 2020 में भाषाओं के सरंक्षण एवम् संवद्धन को रेखांकित करते हुए सभी भाषाओं को समान अधिकार व महत्व दिए जाने की बात कही।


श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ उदय सिंह रावत ने विश्वविद्यालय की ओर से लोकभाषाओं के संरक्षण एवम् संवद्धन के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने जानकारी दी कि श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में गढ़वाली व कुमाउंनी भाषा में स्नातक व पीजी पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं।

उन्होने सीएसटीटी (कमिशन फॉर साइंटिफिक एण्ड टैक्निकल टर्मिनोलॉजी, शिक्षा विभाग, भारत सरकार) से सरकारी अंशदान एवम् लेखन कार्य हेतु अन्य संसाधन उपलब्ध करवाए जाने की अपील की। उन्होंने कहा श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के फेकल्टी सदस्य लोक भाषाओं के संरक्षण एवम् संवद्धन में महत्ती भूमिका निभा सकते हैं।


राष्ट्रीय संगोष्ठी के विशिष्ठ अतिथि एवम् चेयरमैन, वैज्ञानिक एवम् तकनीकी शब्दावाली आयोग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार प्रो. डॉ गिरीश नाथ झा ने उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए लोक भाषाओं के सरंक्षण व संवद्धन की बात जोर देकर कही। उन्होंने कहा कि गढ़वाली, कुमाउनी व जौनसारी भाषाओं के संरक्षण के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मात्रभाषा में प्राथमिक शिक्षा देना अनिवार्य हो गया है यह हम सभी के लिए गौरव की बात है। उन्होंने राष्ट्रीय संगोष्ठी में उपस्थिति सभी प्रबुद्धजनों का आह्वाहन किया कि नई पीढ़ी को आंचलिक बोलियों को बोलने, लिखने व लोक परंपराओं को समझाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।


वैज्ञानिक एवम् तकनीकी शब्दावाली आयोग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक अधिकारी एवम् संगोष्ठी प्रभारी इंजीनियर जय सिंह रावत ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सन्दर्भ मंे इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्देश्य तथा वैज्ञानिक शब्दावली की संवैधानिक स्वीकार्यता के विषय में विस्तृत जानकारी दी।


डॉ आशुतोष अंगीरास ने संस्कृत भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संस्कृत एक ऐसी पवित्र भाषा जो लाखों वर्षों से प्रचलन में है। संस्कृत भाषा का अस्तित्व न कभी समाप्त हुआ है और भविष्य में भी प्रचलन में रहेगी यही मानव हित में उचित है।


इस अवसर पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष, सेंटर फॉर फ्रंच एण्ड फ्रेंचोफॉन स्टडीज़ प्रो सुशांत कुमार मिश्रा, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. ओम नाथ विमाली, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. पार्थसारथी ने भी विचार व्यक्त किये। इनोवेशन एण्ड इन्क्यूबेशन सेंटर, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. डॉ द्वारिक प्रसाद मैठाणी ने इस संगोष्ठी की महत्ता बताई व धन्यवाद ज्ञापन दिया।


श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय की चीफ एडिटर पब्लिकेशन इनोवेशन एण्ड इन्क्यूबेशन सेंटर एवम् समन्वयक इंटरप्रिन्योरशिप सैल एवम् संगोष्ठी की समन्वयक प्रोफेसर डॉ पूजा जैन ने जानकारी दी । श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति 2020 के अनुपालन में कार्य रहा है। हिन्दी शब्दावाली के वैज्ञानिक प्रयोग को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए निरंतन कार्य किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत कौशल विकास पर आधारित पाठ्यक्रमों के समावेश की बात कही गई है, इसके अनुपालन में एसजीआरआर विश्वविद्यालन कई विषयों में कौशल विकास एवम् गुणवत्तापूर्णं शिक्षा पर आधारित विशेष पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं।


मंच संचालन डॉ पूजा जैन व डॉ दीपिका जोशी ने किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी को सफल बनाने में एसजीआरआर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ दीपक साहनी, डॉ मनोज गहलोत, डॉ आर.पी सिंह. मनोज तिवारी, डॉ पंकज चमोली, डॉ पल्लवी गुप्ता, डॉ आशा बाला, डॉ शीबा, डॉ प्रिंयका, डॉ प्रिया पांडे, डॉ अनुजा रोहिला का विशेष सहयोग रहा। इस अवसर पर सभी संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, निदेशक, फेकल्टी एवम् छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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