राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन
में उत्तर भारत से जुटे विषय विशेषज्ञ
अध्यापकों तथा अध्यापक शिक्षा के विकास में योग शिक्षा के महत्व पर किया मंथन
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई नई दिल्ली) की ओर से शनिवार को श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार एवम् श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय देहरादून के सहयोग से आयोजित सम्मलेन में उत्तर भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों, पी.जी. कॉलेजों व शिक्षण संस्थानों के करीब 300 विषय विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया। उत्तराखण्ड, नई दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पंजाब व अन्य प्रदेशों के 15 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने राष्ट्रीय सम्मेलन में “अध्यापकों तथा अध्यापक शिक्षा के विकास के लिए योग शिक्षा के महत्व“ पर अपने अनुभव सांझा किए। नई शिक्षा नीति में योग शिक्षा को सम्मिलित किया जाना स्वागत योग्य कदम है।
शनिवार को श्री गुरु राम राय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड हेल्थ साइंसेज के ऑडिटोरियम में राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के चेयरपर्सन डॉ दिनेश प्रसाद सकलानी, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की सदस्य सचिव के.वाई. केसांग शेरपा, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के. शर्मा व श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ उदय सिंह रावत ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ (प्रो.) उदय सिंह रावत ने विश्वविद्यालय की ओर से सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यलाय के योग विभाग की ओर से किये जा रहे कार्यों व उपलब्धियों से अवगत कराया। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज का आभार व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय सम्मेलन के सफल आयोजन हेतु सभी को बधाई दी।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के चेयरपर्सन डॉ डी.पी. सकलानी ने कहा कि वर्तमान समय स्कूली बच्चों में अपार मेधा व अपार सम्भावनाएं हैं। ऐसे बच्चे आने वाले समय में तर्क, वितर्क व शोध ज्ञान में शिक्षकों के सामने अपनी जिज्ञासाओं की बढ़ी चुनौती देंगे। ऐसे में आवश्यक है कि शिक्षक खुद को अपडेट करें व आने वाले समय के लिए अलर्ट हो जाएं।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की सदस्य सचिव के.वाई. केसांग शेरपा (आई.आर.एस.) ने कहा योग भारत की पहचान है पॉच हजार साल पुरानी देश की सबसे प्राचीनतम पद्धतियों में से एक है। उन्होंने कहा कि आदिम काल से मानव जाति व प्रकृति एक बीच एक रिश्ता रहा है।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के. शास्त्री ने कहा महर्षि पंतजलि की प्रेरणा से योगा की शुरूआत हुई। उन्होंने कहा कि योगा जीवन जीने का समग्र तरीका सिखाता है। संस्कृत प्रमोशन फाउंडेशन निदेशक-शिक्षा प्रो. चन्द किरन सलूजा ने कहा नई शिक्षा नीति में योगा को सम्ममिलित किया जाना स्वागत योग्य कदम है। यह शिक्षा, शिक्षण व शिक्षकों को सर्वागीण विकास में महत्वपूर्णं भूमिका निभाएगा। 21वीं सदी की आधुनिक दुनिया में रह रहे हैं जहां पर कृत्रिम बुद्धिमता, कम्प्यूटर, साइबर, इंटरनेट व सूचना प्राद्योगिकी के विभिन्न संसाधन शिक्षा व सूचना के प्रसार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सुनील कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर इक्फाई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम करण सिंह, डॉ ईश्वर भारद्वाज, पूर्व विभागाध्यक्ष योग विभाग, गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय, हरिद्वार, डॉ सम्पदानंदा मिश्रा, रश्तराम स्कूल ऑफ पब्लिक लीडरशिप, सोनीपत हरियाणा, डॉ इंदु शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, योगा विभाग, मोरारजी देसाई, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा, नई दिल्ली, डॉ सपना नंदा, प्राचार्या, राजकीय कॉलेज ऑफ योग एजुकेशन एण्ड हेल्थ, चण्डीगढ़, प्रो. सुरेन्द्र कुमार, विभागाध्यक्ष योगा, गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय, हरिद्वार, मोहित वसदेव, इंटर डिसिप्लनरी सेंटर फॉर स्वामी विवेकानंद स्टडीज पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ ने भी विचार व्यक्त किये।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ दीपक साहनी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। मंच संचालन डॉ बलबीर कौर ने किया। राष्ट्रीय सम्मेलन को सफल बनाने में डॉ मालविका कांडपाल, डीन, एकेडमिक्स, डॉ कृतिमा उपाध्याय, डीन, स्कूल ऑफ एजुकेशन तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. टी प्रीतम सिंह, आ.के. चतुर्वेदी, क्षेत्रीय निदेशक उत्तर क्षेत्रीय समिति, रविन्द्र सिंह, क्षेत्रीय निदेशक, पूर्वी क्षेत्रीय समिति, अभिमन्यु यादव, अनुभाग अधिकारी, प्रियंक जैन अनुभाग अधिकारी तथा अनिल कुमार का विशेष योगदान रहा।
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