अभिभावकों ने कह दिया – बच्चों को नहीं भेजेंगे स्कूल
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने मुख्य शिक्षा अधिकारी के समक्ष रखा अभिभावकों का पक्ष
निजी स्कूल संचालकों की शर्तों से अभिभावक आहत
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने कि स्कूल संचालकों की शर्तों को देखते हुए वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।
एसोसिएशन ने उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग को भी पत्र भेजकर स्कूल खोलने पर आपत्ति जताई है।
मुख्य शिक्षा अधिकारी को भी साफ कर दिया गया है कि जिस तरह की शर्तें स्कूल संचालकों ने अभिभावकों के सामने रखी हैं, उन परिस्थितियों में अभिभावक अपने बच्चे को स्कूल नही भेजेंगे।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान ने कहा कि उत्तराखंड सरकार का अभिभावकों और स्कूल संचालकों की सहमति से स्कूल खोलने का निर्णय सरहानीय कदम है। लेकिन, निजी स्कूल संचालकों ने अभिभावकों और राज्य सरकार के सामने स्कूल खोलने के लिए जो पांच शर्तें रखी हैं, उनसे अभिभावक परेशान हैं। लिहाजा, वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजने का निर्णय कर चुके हैं।
अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों से यह लिखकर मांगना कि यदि स्कूल खुलने पर किसी बच्चे को कुछ हो गया तो उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी अभिभावक की होगी। स्कूल प्रबंधक, प्रिंसिपल, टीचर्स और स्टाफ पर किसी प्रकार का मुकदमा दर्ज नही होगा, यह दर्शाता है कि स्कूल प्रबंधन बच्चों की सुरक्षा को लेकर किसी प्रकार की जिम्मेदारी लेने को तैयार नही है। अध्यक्ष आरिफ खान ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में अभिभावक अपने बच्चे स्कूल भेजकर उनकी जान और भविष्य से खिलवाड़ नही कर सकते।
उन्होंने आयोग से अनुरोध किया कि जब तक कोरोना का प्रकोप कम नही हो जाता और इसकी वैक्सीन नही आ जाती अथवा स्कूल संचालक और सरकार बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं लेती, तब तक राज्य सरकार को स्कूल न खोलने के लिए निर्देशित किया जाए।
आयोग को भेज पत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान के अलावा प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट राजगीता शर्मा, मीडिया प्रभारी सोमपाल सिंह, महानगर उपाध्यक्ष ज्योति आले, पछवादून महासचिव रमन ढींगरा, हनी महेश पाठक, आलोक डोभाल आदि के हस्ताक्षर हैं।
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