अविकल उत्तराखंड
देहरादून। प्रो. सुनील नौटियाल जीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन पर्यावरण, अल्मोड़ा के डायरेक्टर नियुक्त किये गए हैं। कैबिनेट की अपॉइन्मेंट कमेटी ने प्रो नौटियाल के नाम पर मुहर लगाई। मौजूदा समय में प्रो नौटियाल बंगलुरू के institue for social and economic change में कार्यरत हैं।
प्रो.सुनील नौटियाल-एक परिचय
डॉ. सुनील नौटियाल (Alexnder von Humboldt Felllow-Germany, JSPS Fellow Japan, ZALF-Fellow Germany, NIE Fellow India) वर्तमान में बैंगलोर स्थित सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संस्थान बेंगलुरु के एक विभाग (केंद्र) पारिस्थितिक अर्थशास्त्र और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष हैं। उन्होंने अपना शोध कार्य (पीएचडी) जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान (NIHE) में प्रो. आर के मैखुरी के दिशा निर्देशन में संपन्न किया (NIHE. पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) का एक स्वायत्तशासी संस्थान है) और 1998/1999 में एच.एन.बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट (PhD) की उपाधि प्राप्त की। डॉ. नौटियाल की विशेषज्ञता सामाजिक पारिस्थितिकी शोध में है और कार्यक्षेत्र में मुख्यत प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और संरक्षण सतत विकास के लिए सामाजिक आर्थिक और पारिस्थितिक दृष्टिकोण, उत्पादन प्रणाली विश्लेषण संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन और मानव वन्यजीव संघर्ष और सहअस्तित्व भूउपयोग और भू आवरण विश्लेषण, सतत आजीविका विकास पारिस्थितिक मॉडलिंग भूदृश्य अनुसंधान में सुदूर संवेदन (Remote Sensing) और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) की भूमिका, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक पारिस्थितिकी विकास की गतिशीलता जैसे शोध विषय शामिल हैं।
डा नौटियाल सतत परिदृश्य विकास के लिए एक एकीकृत अंतःविषय दृष्टिकोण विकसित करने के लिए काम करते है। इसमें भारत के कृषि पारिस्थितिक क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधन संरक्षण और प्रबंधन और समुदायों की आजीविका से जुड़े नीति और व्यवहार परिवर्तनों के प्रभाव का आकलन करने के लिए पारिस्थितिक और सामाजिक विज्ञान से दृष्टिकोण को एकीकृत करने के लिए एक बिभिन्न प्रारूप शामिल है। उपरोक्त विषयों पर उन्होंने 180 से अधिक शोध पत्र और लेख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं (Scientific Journals / Magazine) में प्रकाशित किये हैं। डॉ
नौटियाल ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन गृहों से 16 पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं।
डा नौटियाल के प्रकाशित शोध कार्यों को अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही वेहतरीन उद्धरण (3520 Citations) मिला है जिसका कि वर्तमान में एच सूचकांक (h-index) 33 और आई.१० सूचकांक 10-index) 65 है। अभी तक उनके द्वारा प्रकाशित किये गए सभी शोध पत्रों (research articles) की शोध पत्रिकाओं का एकत्रित इम्पैक्ट फैक्टर (IF) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 220 से 250 तक है और इन सभी पत्रिकाओं की राष्ट्रीय स्तर पर नास स्कोर (NAAS –
Score) 500 से भी अधिक है। डॉ नौटियाल 06 से अधिक अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड में हैं और 70 से के समीक्षक हैं। अधिक अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय पत्रिकाओं
शोध के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें प्रतिष्ठित पुरुस्कार मिले हैं उनमें से वर्ष २००३ में जापान से जेएसपीएस रिसर्च फेलोशिप (JSPS- Fellowship) पुरस्कार मिला जिसके तहत उन्होंने टोक्यो विश्वविद्यालय में २००३-२००५ तक शोध कार्य किया।
वर्ष २००६ में डा नौटियाल को जर्मनी में प्रतिष्ठित अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट फैलोशिप (Alexander von Humboldt
Fellowship) से सम्मानित किया गया जिसे कि वैज्ञानिक दुनिया में शोध के लिए एक बेहतरीन सम्मान माना जाता है।
हम्बोल्ड्ट फ़ेलोशिप के तहत उन्होंने जर्मनी स्थित Leibniz- Centre for Agricultural Landscape Research
(ZALF) में दो वर्षों तक शोध किया और जर्मनी और भारत के लिए शोध कार्यशीलता हेतु उच्चतम प्रयास किए।
डॉ नौटियाल को शोध प्रकाशनों के लिए ZALF, जर्मनी में २००७-२००८ के लिए सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ताओं में से एक के रूप में नामित किया गया और ZALF द्वारा उनके शोध कार्य और प्रकाशनों के लिए ZALF-Fellow के रूप में सम्मानित किया गया।
वर्ष २०१० में उन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी (एन आई ई) के फेलो के रूप में चुना गया.
उन्होंने वर्ष २०१०-२०११ और २०१३ के दौरान सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल सिस्टम रिसर्च कासेल विश्वविद्यालय जर्मनी (CESR, University of Kassel, Germany) में विजिटिंग साइंटिस्ट के रूप में काम किया है।
राष्ट्रीय स्तर पर डॉ नौटियाल को एलपीयू जालंधर में आयोजित 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस (3-7 जनवरी 2019 में
पर्यावरण विज्ञान खंड के लिए प्लेटिनम जुबली व्याख्यान अवार्ड से सम्मानित किया गया जिसका उद्घाटन भारत के
माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया गया।
वर्ष २०२१ में प्रो नौटियाल को आईसीएसएसआर भारत सरकार (Indian Council of Social Science Research, ICSSR, Govt. of India) के सभी शोध संस्थानों में शीर्ष तीन वैज्ञानिकों की सूची में स्थान दिया गया।
राष्ट्रीय स्तर पर यह मूल्यांकन 2011-2020 की अवधि के लिए सभी शोध संस्थानों में कार्यरत फैकल्टी वैज्ञानिकों के शोध कार्य प्रकाशन उद्धरण एच सूचकांक के लिए किया गया।
पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने जलवायु परिवर्तन के विषयगत क्षेत्रों में 30 अनुसंधान परियोजनाओं में परियोजना निदेशक • प्रमुख अन्वेषक के रूप में भाग लिया है।
उदाहरणतः अनुकूलन और शमन जैव विविधता संरक्षण निगरानी और मानचित्रण monitoring and mapping). प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन पारिस्थितिक मॉडलिंग ग्रामीण पारिस्थितिकी तंत्र और आजीविका विकास परिदृश्य गतिशीलता (landscape dynamics) के सटीक अध्यन्न में सुदूर संवेदन (Remote Sensing) और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) जैसे विषय सम्मलित हैं।
शोध कार्यशीलता के लिए प्रो नौटियाल को जर्मनी और भारत के बीच राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के उत्सव के अवसर पर हम्बोल्ट कोलेग पुरस्कार प्रदान किया गया जिसका उद्देश्य जर्मनी और भारत के बीच बेहतर वैज्ञानिक सहयोग अनंत अवसर को मजबूत किया जाना शामिल था।
पिछले कुछ वर्षों में डॉ नौटियाल अपने संस्थान और देश में विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में लगभग २२ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों कार्यशालाओं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया। उन्होंने सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के लिए फील्ड स्कूल कार्यक्रम का समन्वय किया जिसमें कर्नाटक वन विभाग और वानिकी कॉलेज कृषिविज्ञान विश्वविद्यालय पोन्नमपेट मदिकेरी को भी समाहित कर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।
प्रो नौटियाल 2010 से 2016 तक भारत नार्डिक (India Nordic) अंतराष्ट्रीय पाठ्यक्रम के सयोजक रहे।
Pls clik
भारतवर्ष आदिकाल से ही ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी रहा -सीएम धामी
Total Hits/users- 30,52,000
TOTAL PAGEVIEWS- 79,15,245