सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने शिक्षा विभाग के शासनादेश में कमी का किया उल्लेख
उत्तराखण्ड सूचना आयोग द्वारा शिक्षक भर्ती शासनादेश की त्रुटि को स्पष्ट किया
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। उत्तराखण्ड सूचना आयोग द्वारा प्रारंभिक शिक्षा विभाग में शिक्षक भर्ती के लिये शासनादेश 21129-11421 212041 558/XXX 1V (1) / 2019-06/2016 संख्या 558/XXX1V(1)/2019-06/2016 दिनांक 29 जुलाई 2019 के नियम 9(2) एवं 15 (3) में विसंगति की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुये बताया कि शैक्षिक महता के नियम – 9(2) में विभिन्न शैक्षिक योग्यताओं का विवरण है परन्तु इसी शासनादेश में नियम 15(3) में प्राप्ताकों के गुणांक का विवरण देते हुये सिर्फ बी.एड प्रशिक्षुओं का ही वर्णन हुआ है, अन्य डिग्रीधारक योग्यता धारकों जैसे .डी.एल.एड., चार वर्षीय बी. एल. एड का उल्लेख नही हुआ है जो कि एक विसंगति है इस ओर विभागीय अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया गया है।
हालांकि गुणांक बनाने की जो मेरिट टेबल’ है उसमें सभी विषय सम्मिलित है।
सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र ने अपने फैसले में कहा है कि आयोग शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से अपेक्षा करता है कि नियमावली में इस प्रकार की त्रुटियाँ शासन के संज्ञान में तुरन्त लायी जानी चाहिए ताकि अभ्यर्थियों को अनावश्यक रूप से न्यायालय का दरवाजा न खटखटाना पड़े।
सूचना आयोग में अपीलार्थिनी सुश्री सुनीता भट्ट बनाम लोक सूचना अधिकारी / संयुक्त निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय, उत्तराखण्ड, के मसले पर आयुक्त विपिन चन्द्र घिल्डियाल ने शासनादेश की विसंगति को दूर करने के निर्देश दिये। शिक्षा विभाग की इस विसंगति के कारण कई योग्य अभ्यर्थी शिक्षक बनने से वंचित रह गए।
सूचना आयोग का आदेश
आयोग द्वारा एक प्रकरण अपीलार्थिनी सुश्री सुनीता भट्ट बनाम लोक सूचना अधिकारी / संयुक्त निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय, उत्तराखण्ड, सहस्त्रधारा रोड़, देहरादून तथा विभागीय अपीलीय अधिकारी / अपर निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय, उत्तराखण्ड, सहस्त्रधारा रोड़, देहरादून में आयोग के संज्ञान में आया कि शिक्षा विभाग के शासनादेश संख्या 558/XXXIV(1) / 2019-06/2016 दिनांक 29 जुलाई 2019 के नियम 9 (2) एवं 15 (3) में विसंगति है। नियम 9 (2) में प्रारम्भिक शिक्षा के अभ्यर्थियों की अर्हताओं का विवरण है और नियम 15 (3) में शैक्षिक योग्यता के प्राप्तांक के गुणांक बनाकर मेरिट बनाने की प्रक्रिया दी गयी है। इस त्रुटि के कारण अपीलार्थिनी एवं अन्य कई योग्य / अर्ह अभ्यर्थी शिक्षा विभाग में शिक्षक बनने से वंचित हो सकते हैं। उक्त के संबंध में आयोग द्वारा सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया गया-
“आज सुनवायी के दौरान लोक सूचना अधिकारी एवं विभागीय अपीलीय अधिकारी के प्रतिनिधियों द्वारा उत्तराखण्ड शासन शिक्षा अनुभाग संख्या 558 / XXXIV(1) / 2019-06/2016 दिनांक 29 जुलाई 2019 की नियमावली के नियम 9 ( 2 ) जिसमें शैक्षिक अर्हता एवं अनुभव का विवरण है तथा नियम 15 (3) जिसमें अध्यापक पात्रता की मेरिट बनाने के लिए विभिन्न शैक्षिक योग्यता के प्राप्तांकों के गुणांक का विवरण दिया गया है जिसके आधार पर अध्यापक पात्रता की मेरिट बनेगी। दोनों नियमों का अवलोकन करने पर शैक्षिक अर्हता के विषय में नियम 9 (2) निम्न प्रकार है:-
“राज्य के किसी भी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान / जिला संशाधन केन्द्र से प्रारम्भिक शिक्षा शास्त्र में द्विवर्षीय डिप्लोमा डी०एल०एड० (जिसे उत्तराखण्ड राज्य में द्विवर्षीय बी०टी०सी० के नाम से जाना जाता था) अथवा उसके समकक्ष राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रारम्भिक शिक्षा शास्त्र में द्विवर्षीय डिप्लोमा डी०एल०एड० / चार वर्षीय बी0एल0एड0 अथवा 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक तथा एन०सी०टी०ई० द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से शिक्षा स्नातक (बी0एड0) / शिक्षा शास्त्र (विशेष शिक्षा) में द्विवर्षीय डिप्लोमा ( डी0एड0) किन्तु इस प्रकार कक्षा । से V तक पढ़ाने के लिए अध्यापक के रूप में नियुक्त व्यक्ति को प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्त होने के दो वर्ष के भीतर एन०सी०टी०ई० द्वारा मान्यता प्राप्त प्राथमिक शिक्षा में 6 महीने का एक सेतु पाठ्यक्रम (ब्रिज कोर्स) आवश्यक रूप से पूरा करना होगा।”
उक्त नियम से स्पष्ट है कि शैक्षिक अर्हता में द्विवर्षीय डिप्लोमा डी.एल. एड/ चार वर्षीय बी.एल.एड. तथा बी.एड. का उल्लेख किया गया है। किन्तु नियम 15 (3) में प्राप्तांकों के गुणांक का विवरण देते हुए बी०एड० प्रशिक्षितों का ही उल्लेख किया गया है और चार वर्षीय बी.एल.एड तथा बी.एड. का उल्लेख करना छूट गया है, जबकि गुणांकों की गणना में दी गयी टेबल के क्रम सं0 04 पर चार वर्षीय बी. एल.एड./बी.एड./डी.एल. (विशेष शिक्षा) सिद्धान्त व प्रयोगात्मक का प्रतिशत दिया गया है। यह स्पष्ट है कि शासनादेश की मूल भावना जो कि टेवल में दिए गए गुणांकों की गणना से प्रकट हो रहा है, में चार वर्षीय बी० एल०एड०/ बी०एड० / डी०एड० (विशेष शिक्षा) सम्मिलित कर मेरिट बनाने का
प्रावधान किया था, किन्तु नियम 15 ( 3 ) की शब्दावली में मात्र बी0एड0 का ही उल्लेख होना व चार वर्षीय बी०एल०एड० तथा डी०एड० (विशेष शिक्षा) का उल्लेख न होना स्पष्ट त्रुटि दर्शाता है, जिसका संज्ञान विभाग के अधिकारियों एवं सचिव, विद्यालय शिक्षा, शिक्षा अनुभाग-1 (बेसिक), उत्तराखण्ड शासन, देहरादून द्वारा लिया जाना अपेक्षित था।
लोक सूचना अधिकारी एवं विभागीय अपीलीय अधिकारी के प्रतिनिधियों द्वारा बताया गया कि इस पर विचार किया गया था किन्तु प्रकरण मा० न्यायालय में लम्बित होने के कारण इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। यह खेद का विषय है कि शासन को अपनी त्रुटि सुधारने के लिये मा0 न्यायालय के आदेश का इंतजार है, जब कि किसी भी दृष्टि से त्रुटि सुधार का मामला न्यायालय की अवमानना का मामला नहीं बनता था। शासन स्तर पर उक्त त्रुटि का संज्ञान होने पर उन्हें उसका सुधार तत्समय ही कर लेना चाहिए था, जो नहीं किया गया है।
शासन की नियमावली में इस स्पष्ट त्रुटि के कारण सम्भवतः कई योग्य अभ्यर्थी वंचित किये गये हैं जिनमें से अपीलार्थिनी भी एक प्रतीत होती है। अतः विभागीय अपीलीय अधिकारी / अपर निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय, उत्तराखण्ड, सहस्त्रधारा रोड़, देहरादून को निर्देशित किया जाता है कि वे उक्त प्रकरण को सचिव, विद्यालय शिक्षा, शिक्षा अनुभाग-1 (बेसिक), उत्तराखण्ड शासन, देहरादून के संज्ञान में लाना सुनिश्चित करें। साथ ही आज के आदेश की एक प्रति सचिव, विद्यालय शिक्षा, शिक्षा अनुभाग-1 (बेसिक), उत्तराखण्ड शासन, देहरादून को इस आशय से प्रेषित की जाती है कि वे उक्त प्रकरण के आवश्यक संशोधन पर विचार कर उचित निर्णय लें।”
आयोग शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से अपेक्षा करता है कि नियमावली में इस प्रकार की त्रुटियाँ शासन के संज्ञान में तुरन्त लायी जानी चाहिए ताकि अभ्यर्थियों को अनावश्यक रूप से न्यायालय का दरवाजा न खटखटाना पड़े।
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