देश दुनिया केे साथ ही उत्तराखंड भी लता दीदी के निधन से आहत
विपिन बनियाल/अविकल उत्त्तराखण्ड
-भारत रत्न सुरों की देवी लता मंगेशकर नहीं रहीं। हर दिल आहत है। हर दिल को आघात लगा है। उनके कौन से गीतों का इस वक्त जिक्र किया जाए, कौन से गीतों को नहीं, तय करना नामुमकिन सा है। लता दी ने हिंदी के अलावा हर प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं में गाया। उत्तराखंड खुशकिस्मत है कि उसके पास लता दी का एक बेशकीमती तोहफा मौजूद है। यह तोहफा है उनकी आवाज में रिकार्ड किया गया गढ़वाली फिल्म रैबार का मन भरमैगे बोल वाला गीत। वर्ष 1988 में यह गीत रिकार्ड कराया गया था।
हालांकि फिल्म वर्ष 1990 में रिलीज हुई थी। फिल्म रैबार के इस गीत को लता जी ने इस कदर खूबसूरत ढंग से गाया था कि कहीं से पता नहीं चलता कि गढ़वाली बोली-भाषा न जानने वाली किसी गायिका ने इस गीत को गाया है। इस गीत को रिकार्ड कराने से पहले उन्होंने चार घंटे तक इस गीत पर मेहनत की थी।
लता जी से रैबार फिल्म के इस गीत के लिए निर्माता किशन एन पटेल ने अनुरोध किया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया था। यह गाना देवी प्रसाद सेमवाल ने लिखा था, जिसका संगीत कुंवर बावला ने तैयार किया था। मन भरमैगे गीत में लता दी की गायिकी को निर्देशक अनुज जोशी उत्तराखंड के लिए वरदान से कम नहीं मानते।
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यही वजह है कि इस गीत को उन्होंने नई लोकेशन और नए कलाकारों के साथ कुछ साल पहले फिर से फिल्माया था। वास्तव में, उत्तराखंड लता दी के इस बेशकीमती तोहफे को हमेशा संभालकर रखना चाहेगा। लता दी को भावभीनी श्रद्धांजलि। कोटि-कोटि नमन। धुन पहाड़ की यू ट्यूब चैनल के लिए तैयार वीडियो में लता जी के इस गाने से जुड़ी पूरी कहानी विस्तार से है। आप इसे देख सकते हैं।
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