आओ अब इगास इगास खेलें ..बल्ल

इगास-बग्वाल पर राजनीतिक युद्ध शुरू

…हुजूर आते आते बहुत देर कर दी

अविकल थपलियाल

देहरादून। चुनाव का मौसम है इसलिए मौका भी बन गया और दस्तूर भी। होने को तो इगास-बग्वाल पर सरकारी छुट्टी कई साल पहले ही हो जानी चाहिए थी। लेकिन अगर छठ के राजकीय अवकाश की घोषणा न होती तो शायद इस बार भी इगास बग्वाल पर पॉलिटिकल- सरकारी तंत्र सिर्फ इगास इगास कहकर ही लॉलीपॉप थमा देता।

इगास से पूर्व मनाए गए छठ पर्व पर छुट्टी की घोषणा से ही उत्त्तराखण्ड की बूढ़ी दीवाली पर सरकारी अवकाश का रास्ता साफ हुआ।

उत्त्तराखण्ड के सामाजिक – सांस्कृतिक-पारंपरिक ताने बाने को समेटे इगास बग्वाल आजकल सभी की जुबां पर है। पर्वतीय राज्य उत्त्तराखण्ड में जनभावनाओं का प्रतीक बन चुके इगास बग्वाल को कमोबेश सभी राजनीतिक दल भुनाने की कोशिश में हैं। बीते 21 साल में इस बार राजनीतिक दल इस बार कुछ विशेष सक्रिय दिखे।

यहां तक कि राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह ने भी उत्त्तराखण्ड की बूढ़ी दीवाली इगास बग्वाल लोकपर्व पर अपनी भागीदारी निभाई। 14 नवंबर को भाजपा, कांग्रेस, आप,उक्रांद , आंदोलनकारी संगठनों समेत कई संस्थाओं ने समूचे प्रदेश में इगास बग्वाल से जुड़े पारंपरिक रीति रिवाज मनाते हुए बूढ़ी दीवाली मनाई। पहाड़ के लोकगीतों पर देर रात तक नृत्य हुआ।

2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए कुछ नेताओं ने ठीक ठाक भीड़ जोड़ इगास बग्वाल की ओर ध्यान खींचा। यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि वे ही पहाड़ी परम्पराओं के असली वाहक हैं।

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दरअसल, बीते कुछ सालों से सोशल मीडिया पर इगास बग्वाल के समर्थन में चल रहे निरंतर अभियान के बाद प्रदेश की अधिसंख्यक आबादी को पारंपरिक पर्व इगास बग्वाल के बारे में पता चला। इगास बग्वाल को लेकर इतिहास के पन्ने पलटे जाने लगे । कई किवदंतियां सामने आई।

2017 में भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार के समय राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी व अन्य सामाजिक संस्थाओं ने भी अपने गांवों में इगास बग्वाल मनाने की बात शुरू की थी।

इधर, त्रिवेंद्र व तीरथ की विदाई के बाद तीसरे सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पहले छठ पर्व और फिर इगास बग्वाल पर छुट्टी की घोषणा कर बिहारी व पर्वतीय मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की। लोकपर्वों पर छुट्टी की घोषणा कर धामी विपक्ष के अलावा अपने ही दल के अंदर भी राजनीतिक बढ़त लेते हुए दिख रहे हैं।।

चुनावी साल में देर से ही सही इगास बग्वाल को याद कर भाजपा ने प्रदेश की संस्कृति व परंपरा पर सामाजिक व पॉलिटिकल बहस तो छेड़ ही दी है। पहाड़ की परंपरा व जन सरोकारों से जुड़ी ताकतें व जनता इगास बग्वाल मनाने के बाद अपने दूसरे कार्यों में व्यस्त हो जाएंगे। लेकिन विधानसभा चुनावों के लिए रात दिन एक कर रहे राजनीतिक दल वोट पड़ने तक इगास-इगास की लौ से उलझते नजर आएंगे..

गांव गांव में मनाई गई इगास,प्रवासी पहुंचे


राज्य सरकार तथा इसके सांसदों व विधायकों की अपील का लोगो पर असर दिखाई देने लगा है l सरकार की अपील कि ‘इगास-बग्वाल गॉव में मनाये’ की तर्ज पर जनपद पौड़ी के चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र के ऐरोली (तल्ली) में ग्रामवाशियो द्वारा लगभग ४० बर्षो बाद गॉव में इगास- बग्वाल मनाई गई l

इस कार्यक्रम में दिल्ली, देहरादून, मुंबई, लखनऊ, कोटद्वार, हरिद्वार से १२ परिवार गॉव पहुंचे तथा त्यौहार मनाया l ऐरोली (तल्ली) विकासखंड पोखरा के अंतर्गत एक पिछड़ा गॉव है जहा पर आजादी के इतने साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है l गॉव में मोटर मार्ग भी नहीं है. इन्ही सब कारणों से गॉव से विगत में काफी पलायन हुआ है आज गॉव में सिर्फ ४ परिवार वास करते हैl


इस अवसर पर ग्रामीणों द्वारा एक सभा भी आयोजित की गई जिश्में भविष्य में गॉव के विकास पर चर्चा हुई. साथ ही बाहर बस रहे लोगो से फ़ोन पर चर्चा की गई. इस बात पर सहमति बनी की गॉव-वासी अपना एक कोष बनायेगे जिशसे गॉव के रास्ते, मंदिर, पनघट, नौले, स्कूल की मरम्मत कराई जायेगी. साथ ही सरकार से अनुरोध किया जायेगा कि गॉव तक पहुंच के लिए एक रोड का निर्माण शीघ्र सपन्न किया जाए जिशसे भविष्य में अधिक से अधिक परिवार गॉव आ सके. गांव को जोड़ने के लिए २ किलोमीटर से कम मोटर रोड की आवश्यकता है l

रोड बनते ही सभी परिवार अपने घरो की मरमत्त करवाएंगे तथा साल के कुछ महीने गांव में बिताएंगे l ग्रामीणों द्वारा गॉव विकास के लिये एक विकास योजना भी तैयार की जायेगीl ग्रामवाशियों ने पहले ही एक व्हाटस-ऍप ग्रुप बना रखा है जिशसे सभी संपर्क में रहते है. सभी ग्रामवाशियों द्वारा गॉव के सर्वांगीण विकास में सरकार के सहयोग की अपेक्षा की गई l

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