1 दिसंबर 1973 को हुई थी गढ़वाल विवि की स्थापना
गढ़वाल विवि का चुनौती के साथ प्रगति का सफर जारी रहा. केंद्रीय शिक्षा मंत्री
सुधीर उनियाल/अविकल उत्त्तराखण्ड
श्रीनगर गढ़वाल। गढ़वाल केंद्रीय विवि के आठवें ऑनलाइन दीक्षांत समारोह में72 छात्रों को पीएच.डी. तथा 83 छात्रों को स्नातकोत्तर की उपाधि प्रदान की गयी। इसके अलावा 39 विषयों में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को 59 स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्री तथा समरोह के मुख्य अतिथि रमेश पोखरियाल ने कहा कि स्थापना के 47वें वर्ष में प्रवेश करते हुए इस विश्वविद्यालय ने कठिन चुनौतियों के बीच भी प्रगति की अपनी यात्रा निरंतर जारी रखी है, परिणामस्वरूप 2009 में इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ।
उन्होंने कहा की नई शिक्षा नीति चरित्र से व्यक्ति और व्यक्ति से राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना पर आधारित है जो न केवल प्रोफेशनल पैदा करेगी बल्कि विश्व नागरिक भी तैयार करेगी।
मंत्री ने कहा कि वह अपने को सौभाग्यशाली समझते हैं की वह इस विश्वविद्यालय के भूतपूर्व छात्र रहे हैं और उन्हें इस विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आने का अवसर मिला है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डॉ. धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने
कहा कि दीक्षांत समारोह सभी उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है उन्हें इसके पश्चात् अपने अर्जित ज्ञान का प्रयोग अपने समाज की बेहतरी के लिए करना है। उन्होंने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें बधाई दी।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉक्टर योगेंद्र नारायण ने कहा कि विश्वविद्यालय की पहचान इस बात से होती है कि वह भारतीय विश्वविद्यालय की सूचियों में किस पायदान पर है, और खुशी व्यक्त की कि हमारा विश्वविद्यालय भारत के केंद्रीय विश्वविद्यालयों की सूची में प्रथम 5 विश्वविद्यालयों में से एक है और इसे और बेहतर करके भारत के समस्त विश्वविद्यालयों की सूची में प्रथम 50 विश्वविद्यालयों में लाना है।
इस अवसर पर स्वागत सम्बोधन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर अन्नपूर्णा नौटियाल ने दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, कुलाधिपति, हिमालयी क्षेत्र के सभी कुलपतियों, नीति आयोग के प्रतिनिधि सहित समारोह में शिरकत कर रहे सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। कुलपति ने बताया कि 1 दिसंबर 1973 को गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी।उन्होंने बताया की वर्तमान में विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों में 11 स्कूलों में 39 विभागों का संचालन हो रहा है ।
इस वर्ष कोविड-19 वैश्विक महामारी के बावजूद एक शैक्षणिक भावना को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय ने इसे ऑनलाइन माध्यम के जरिये दीक्षांत समारोह के रूप में मानाने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के सभी सदस्यों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर एन.एस. पवार ने सभी अतिथियों एवं छात्रों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस अवसर पर दीक्षांत समारोह के संयोजक प्रोफेसर आरसी रमोला, ऑनलाइन के संयोजक प्रोफेसर वाईपी रेहमानी, मीडिया समिति के संयोजक प्रोफेसर एम एम सेमवाल, आशुतोष बहुगुणा, प्रो आर सी भट्ट,डा दीपक राणा, महेश डोभाल, नरेश खंडूरी, राजेन्दर प्रसाद, प्रो आर पी एस नेगी, प्रो इंदु खंडूरी, डॉ प्रीतम सिंह नेगी, डॉ नरेश राणा, ,डॉ नरेश कुमार, प्रो अरूण बहुगुणा श्वेता वर्मा, प्रदीप मल्ल, हीमशीखा गुसाई आदि उपस्थित थे।
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