लोक संस्कृति का ताना बाना बहुत सारी चीज़ों से बुना होता है। मगर इसके सबसे ज्यादा मजबूत आधार पर बात करें, तो गीत, संगीत, बोली भाषा जैसे पक्ष चमकदार ढंग से उभरते हैं। ढाई दशक से भी ज्यादा समय से पत्रकारिता में सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार विपिन बनियाल के साथ मिलकर “अविकल उत्तराखंड” इन चमकदार पक्षों पर बात शुरू करने जा रहा है, जो आपको जरूर पसन्द आएगी।
विपिन बनियाल/अविकल उत्त्तराखण्ड
लता दीदी का यादगार गढ़वाली गीत मन भरमेगे ….
-1990 में रिलीज हुई गढ़वाली फ़िल्म रैबार की सबसे बड़ी पहचान इसका एक गीत बन गया है। गीत के बोल हैं मन भरमेगे….। इसकी खास बात ये है कि इसे स्वर कोकिला लता मंगेश्कर ने गाया है। बहुत सुंदर शब्द देवी प्रसाद सेमवाल की कलम से निकले, जिसे लता जी के स्तर की धुन में बांधने का काम कुंवर सिंह बावला ने किया है।
लता जी ने इस गीत के लिए चार घंटे का समय निकाला और एक एक शब्द का अर्थ समझ कर गाया। लता जी की आवाज पाकर ये गीत अमर हो गया है। उत्तराखंड के संगीत को लता जी का ये बेशकीमती तोहफा है। इससे सम्बन्धित विस्तृत जानकारी के लिए आप यू ट्यूब चैनल धुन पहाड़ की जरूर देखें।
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