अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून।
भारत सरकार के पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने यमुना नदी पर स्थित लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना की पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान कर दी। परियोजना का विकास कार्य कर रहे उत्तराखंड सरकार के उपक्रम यूजेवीएन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल ने जानकारी देते हुए बताया कि त्रिवेंद्र सिंह रावत व सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा के भारत सरकार से निरंतर किए गए आग्रहों के फलस्वरुप लखवाड़ परियोजना की पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त हुई है।
सचिव ऊर्जा एवं अध्यक्ष यूजेवीएन लिमिटेड श्रीमती राधिका झा ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि लखवाड़ जलविद्युत परियोजना उत्तराखंड ही नहीं संपूर्ण राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण है तथा इस परियोजना से पांच राज्यों को सिंचाई एवं पेयजल आपूर्ति के साथ ही विद्युत उत्पादन भी किया जाएगा। इसीलिए इस बहुद्देशीय परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना भी घोषित किया गया है। श्रीमती राधिका झा ने बताया कि परियोजना के निर्माण से 330 मीट्रिक क्यूबिक मीटर अतिरिक्त जल की उपलब्धता होगी । इससे लाभान्वित होने वाले राज्यों में हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड सम्मिलित हैं।
300 मेगावाट की इस परियोजना के क्रियान्वयन से उत्तराखंड को प्रतिवर्ष 572.54 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन का लाभ प्राप्त होगा। इसके साथ ही यमुना नदी में जल की उपलब्धता भी बढ़ेगी जिससे नदी का संरक्षण एवं संवर्धन तो होगा ही साथ ही दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यमुना नदी को पुनर्जीवन भी प्राप्त होगा।
लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना की अनुमानित लागत 5747.17 करोड़ रुपए है जिसमें से जल घटक के 4673.01 करोड़ रुपए के 90% का वहन भारत सरकार के वित्तीय सहयोग से किया जाएगा तथा शेष 10% का वहन लाभान्वित राज्यों द्वारा किया जाएगा।
लखवाड़परियोजना को 1992 के आसपास अपरिहार्य कारणों से रोक दिया गया था। राज्य गठन के बस इस परियोजना को तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी ने NHPC को दिलवाई थी। लेकिन 2012 के लगभग लखवाड़ परियोजना को उत्त्तराखण्ड जल विद्युत निगम को दी। लेकिन पर्यावरणीय स्वीकृति को लेकर कई पेंच फंसते रहे।
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