ग्राफिक एरा में ऑनलाइन हिंदी गौरव सम्मेलन में कई लेखकों ने साझा किए विचार
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून, 11 जनवरी। प्रख्यात साहित्यकार ममता कालिया ने कहा कि जिम्मेदारी के साथ हिंदी के सही रूप को युवाओं तक पहुंचाना जरूरी है। वे ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय हिंदी गौरव सम्मेलन को सम्बोधित कर रही थीं।
कई वक्ताओं ने बुधवार के9 आयोजित इस ऑनलाइन सम्मेलन को संबोधित किया।
सुश्री ममता कालिया ने कहा कि युवाओं को अपनी भाषा पर गर्व करने की जरूरत है, गर्व की भावना हमेशा उन्हें इससे जोड़े रखेगी। हमें मिलकर युवाओ को हिंदी साहित्य को पढ़ने लिखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
मुंबई के लेखक शिरीष खरे ने कहा कि हिंदी को बढ़ावा देने के लिए अन्य भारतीय भाषाओं के साथ एक सेतु बनाने की आवश्यकता है, जिसका उद्देश्य सिर्फ हिंदी को बढ़ावा देने के साथ ही दूसरी भाषा को भी बढ़ावा देना होना चाहिए। इसके लिए हिंदी के साहित्य का अन्य भाषाओं में तथा अन्य भाषाओं के साहित्य का हिंदी में ज्यादा से ज्यादा अनुवाद हो।
कविकुम्भ के सम्पादिका रंजीता सिंह “.फलक” ने कहा कि डिजिटल युग में युवाओ में हिंदी की ओर झुकाव बहुत तेजी से बढ़ा है। डिजिटल माध्यम ने युवाओं में हिंदी के प्रति एक नया आकर्षण उत्पन्न किया है और इसे बोधगम्यता भी दी है।
दिल्ली विश्वविद्यालय की रश्मि रावत ने कहा कि भाषा सिर्फ माध्यम नहीं है अपितु जीवंत ईकाई है। भाषा में ही हम सोचते हैं, ज्ञान का सृजन, संरक्षण और उत्पादन करते हैं। सूचना क्रांति के बाद तो पूरी दुनिया एक गांव सरीखी बन गई और भाषा की ताकत और भी अधिक बढ़ गई है। मगर चिंता की बात यह है कि हम भारत की राष्ट्र भाषा हिंदी की शुद्धता और मिजाज को ले कर बिल्कुल भी सावधान नहीं है।
ग्राफिक एरा के शिक्षक व लेखक डॉ गिरीश लखेड़ा ने कहा कि हिंदी केवल राष्ट्र की अभिव्यक्ति ही नहीं अपितु राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने एवं राष्ट्र की अखण्डता को विश्वफलक पर अंकित करने का सशक्त माध्यम है। डिजिटल युग मे इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। ग्राफिक एरा के शिक्षक गोपाल कृष्ण द्विवेदी ने कहा कि सरल हिन्दी व्यापक रूप से जनमानस तक पहुंचाने के लिए कुछ व्यावहारिक प्रयास किए जाने चाहियें।
लेखक नवीन चौधरी, डॉ भारती शर्मा, डॉ अमल शंकर शुक्ला समेत कई वक्ताओं ने इस ऑनलाइन सम्मेलन को संबोधित किया। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी की काव्यांजलि संस्था के तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन का संचालन काव्यांजलि के अध्यक्ष अभिषेक भारद्वाज ने रोचक अंदाज में किया।
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