9 मार्च को मांग दिवस के रूप में मनाने का लिया फैसला
जैन धर्मशाला के प्रदेशस्तीय बैठक में लिया गया फैसला
राज्य सरकार पर संगठन की मांगों का अनदेखी करने का लगाया आरोप
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। आशा फैसिलिटेटर से जुड़े संगठन ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एक फिर आंदोलन की चेतावनी दी है। संगठन का कहना है कि सरकार को बार-बार लिखित और मौखिक रूप से याद दिलाने के बावजूद भी उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जा रहा है।
मांगों को लेकर गत दिवस जैन धर्मशाला में एक प्रदेशस्तरीय महत्पूर्ण बैठक आयोजित हुई जिसमें संगठन से जुडी महिलाओं ने आगामी आंदोलन की रूप रेखा पर चर्चा की। बैठक की मुख्य अतिथि भारतीय मजदूर संघ की केन्द्रीय महिला प्रभारी इंदु नायर ने सरकार पर महिलाओं का उत्पीडन करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य हो या केन्द्र की सरकार हो महिलाओं की जायज मांगों का समाधान करने के बजाय उनका शोषण कर रही है जो रूवीरक नहीं किया जायेगा।
प्रांतीय महामंत्री रेनू नेगी ने बताया कि आगामी 9 मार्च को अपने-अपने जिलों में रैली निकाल कर मांग दिवस के रूप में मनाया जायेगा। इस दौरान एक ज्ञापन प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी दिया जायेगा। इसके साथ ही एक जिले की रैली भी आयोजित की जाऐगी ।
। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री के द्वारा आशा कार्यकत्री को कोविड के दौरान दौरान कार्य करने पर (1000) एक हजार रुपए देने की घोषणा की थी जो आज तक नहीं मिल पाया है उन्होंने मुख्यमंत्री से उपरोक्त धनराशि को शीघ्र देने की मांग रखी है। बैठक में संगठन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आशा थापा ने भी अध्यक्षता करते हुए अपने विचार व्यक्त किए।
प्रमुख मांगे
1 हम लोंग 30 दिन काम करते है और 20 दिन का पैसा ही मिलता वो भी 300 रूपये एक आशा की प्रति विजिट पर और महीने में 20 विजिट करते है ना कोई मानदेय ना कोई भ्रमण दे ना कोई प्रोत्साहन राशि केवल उत्तराखंड सरकार पो चलाई दे रही है ।
2 एक विजिट पर 800 रुपया दिया जाय।
3 अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमोंं करने पर 500 रुपया दिया जाए।
4 कोविड-19 में किये गए कार्यों के लिए सम्मानजनक प्रोत्साहन राशि दी जाए।
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