विभिन्न संगठनों ने सरकारी नौकरियों में महिला अभ्यर्थियों के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के समर्थन में किया सचिवालय कूच.
कहा, सरकार अध्यादेश के जरिये दे महिला अभ्यर्थियों को क्षैतिज आरक्षण
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। प्रदेश के विभिन्न संगठनों ने सरकारी सेवाओं में उत्तराखंड की महिला अभ्यर्थियों को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की मांग को लेकर सचिवालय कूच किया। सचिवालय के करीब प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच धक्का मुक्की भी हुई। पुलिस ने बैरीकेड लगा हाथों में तख्ती लिए प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक दिया। परेड ग्राउंड से सचिवालय कूच के दौरान कई छात्राएँ व युवा पारम्परिक वेश भूषा में नजर आये।
सचिवालय कूच कार्यक्रम में उत्तराखंड बेरोजगार संगठन, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रेफॉर्म्स, उत्तराखंड इलेक्शन वॉच, उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ (पंजी0), प्राउड पहाड़ी सोसायटी, छात्र युवा संघर्ष समिति, जनमंच संगठन, पर्यावरण बचाओ अभियान, भ्रष्टाचार मिटाओ संघर्ष समिति, जनवादी महिला समिति, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया, सुराज सेवा दल, उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच आदि कई जन संगठणों से जुड़े लोगों, प्रबुद्ध समाज सेवी, भर्ती अभ्यर्थी व युवा भी मौजूद रहे।
सचिवालय कूच से पूर्व परेड ग्राउंड मे जनसभा व सचिवालय के समीप बैरीकेड पर सभा अयोजित की गईं। जिसे सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया।
बाद में सीएम को सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम मायादत्त जोशी को सौंपा गया। बेरोजगार संगठन के अध्यक्ष बॉबी पँवार ने ज्ञापन को पढ़ा ।
सचिवालय पर पहुंचकर दिया गया ज्ञापन का ड्राफ्ट
सेवा में
श्रीमान माननीय मुख्यमंत्री जी उत्तराखंड सरकार।
विषय-: उत्तराखंड की महिलाओं हेतु राज्यधीन सेवायोजन में 30% आरक्षण दिए जाने हेतु अध्यादेश व संवैधानिक एक्ट बनाए जाने के विषयक।
महोदय
आज दिवस बुधवार दिनांक 2 नवंबर 2022 को उत्तराखंड राज्य आंदोलन के इतिहास का गवाह रहे ऐतिहासिक परेड ग्राउंड उत्तराखंड से उत्तराखंड सचिवालय तक पहुंचकर हम उत्तराखंड की बेटियां बहने बेरोजगार युवा उत्तराखंड राज्य निर्माण के सेनानी गण एवं आंदोलनकारी इस निवेदन के साथ आपको यह मांग पत्र सौंप रहे हैं कि उत्तराखंड राज्य के भीतर सभी प्रकार के राज्य सेवायोजन में उत्तराखंड की महिलाएं ही 30% महिला आरक्षण दिए जाने पर सरकार को संवैधानिक उपाय निर्मित करें।
महोदय हमें बड़े खेत पूर्वक कथन करना पड़ रहा है कि उत्तराखंड के माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा एक निर्णय सुना कर उत्तराखंड की लाख माँ बहनों और बेटियों के अधिकार के साथ-साथ उनके द्वारा उनके अपनों को द्वारा संघर्ष से प्राप्त राज्य उत्तराखंड को संवारने हेतु सुनहरे सपनों को सवारने वाला है न्याय का तकाजा यह है कि उत्तराखंड की बहन और बेटियों के विषम हालत को संवैधानिक होकर समझा जाता और उनको प्रदत्त राज नहीं सेवायोजन में 30% आरक्षण के द्वारा सफल व सशक्तिकरण बनाने के प्रादेशिक नीति को न केवल हरी झंडी दी जाती है बल्कि उसे और कारगर बनाने में सुझाव दिए जाते हैं।
महोदय, सन 1994 के उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में समूचा विश्व भलीभांति परिचित है वह सभी इस बात से भी परिचित हैं कि उत्तराखंड के युवाओं व महिलाओं की दयनीय सामाजिक स्थिति आर्थिक कमजोरी लचर शिक्षा व्यवस्था विषमता भरे जीवन यापन के साधन पलायन की गहरी पीड़ा व असंख्य बेरोजगारी से पूरा उत्तराखंड का समाज उद्वेलित हो उठ खड़ा हुआ था । हमें अपने राज्य के भीतर राज्य सेवा ट्रस्ट सेवा के अभी मंत्र के साथ सेवा करने का अवसर मिलेंगे ऐसी सभी की अभिकल्पना रही है परंतु हमसे तो अवसर ही छीने जा रहे हैं जिसकी हमें कड़े शब्दों से निंदा करते हैं।
महोदय, उत्तराखंड सरकार बिना एक पल की देरी की बगैर राज्य अधीन सेवा योजन में उत्तराखंड की महिलाओं के हेतु 30% महिला आरक्षण पर अध्यादेश लेकर आए उत्तराखंड सरकार आगामी विधानसभा सत्र में राज्य अधीन सेवा योजन में उत्तराखंड की महिलाओं हेतु 30% से अधिक महिला आरक्षण पर लाए जाने वाले अध्यादेश को को बाला प्रभाव से लागू किया जाए।
माननीय मुख्यमंत्री जी हम आपसे बड़े उम्मीद के साथ अपनी आवाज को पहुंचाने के लिए ज्ञापन के माध्यम से आपको अवगत कराना चाहते हैं कि आप इस देवपुर जनता की देवभूमि प्रदेश में महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होने देंगे एवं हमारी मांगों को जल्द से जल्द पूर्ण किया जाएगा।
ज्ञापन में सरकार को कई ठोस सुझाव दिए गए हैँ। और मांग की गईं कि सरकार अविलम्ब महिला आरक्षण प्रदान करने हेतु “अध्यादेश” लेकर आये व आगामी विधानसभा सत्र मे उसे एक्ट बनाकर पारित करें।
ज्ञापन की प्रति प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, उत्तराखंड के राज्यपाल, उत्तराखंड उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश व राज्य के मुख्य सचिव को भी प्रेषित की गईं हैँ।
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