सीएम तीरथ ने कहा कि,नही हटाये जाएंगे हड़ताली मनरेगाकर्मी
सीएम ने सेवा समाप्ति के आदेश पर लगाई रोक
शासन व भाजपा सरकार के बीच दिखा तालमेल का अभाव
20 मई के शासन के निर्देश के बाद ही परियोजना कोऑर्डिनेटर मोहम्मद असलम ने 29 मई 2021 को सेवा समाप्ति के आदेश किया था जारी
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। क्या हड़ताली मनरेगा कर्मियों की सेवा समाप्ति का आदेश करने से पहले सीएम तीरथ रावत की सहमति ली गयी थी। सत्ता के गलियारे में यह सवाल इसलिए उभरा कि सीएम तीरथ ने अब कहा कि मनरेगाकर्मियों को नहीं हटाया जाएगा।
दरअसल, मंगलवार को हड़ताली मनरेगाकर्मियोंने बताया शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल से बात की। उनियाल ने सीएम तीरथ से हटाए जाने सम्बन्धी आदेश पर बात की । तो सीएम ने कहा कि हड़ताली कर्मी नही हटाये जाएंगे।
मंगलवार की रात ही हड़ताली मनरेगा कर्मियों ने मीडिया को सीएम रावत व मंत्री सुबोध उनियाल के बयान को वीडियो समेत वायरल कर दिया। इसके बाद सरकार और शासन के बीच तालमेल को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
इससे पूरे वाकये से एक बात तो यह साबित हो गयी कि (शायद) सीएम तीरथ सिंह रावत को हड़ताली मनरेगाकर्मियों को हटाए जाने के फैसले का पता था। अगर सम्बंधित अधिकारी ने लिखित आदेश से पहले (आदेश की कॉपी tag है) सीएम की अनुमति नही ली तो एक बड़े एक्शन की जरूरत बनती है।हालांकि, अभी तक सेवा समाप्ति के आदेश को विधिवत रद्द नहीं किया गया है।
शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने क्या कहा, देखें वीडियो
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि परियोजना कोऑर्डिनेटर मोहम्मद असलम ने 20 मई के शासन के दिये निर्देशों का हवाला देते हुए सेवा समाप्ति के आदेश जारी किया सभी मुख्य विकास अधिकारी व कार्यक्रम समन्वयकों को आदेश के अनुसार एक्शन लेने को भी कहा गया।
इससे पूरे मामले से साफ जाहिर है कि शासन के आलाधिकारियों ने सोच विचार में बाद ही हड़ताली मनरेगा कर्मियों को काम पर नहीं लौटने पर सेवा से हटाने का फैसला किया। इस भारी भूल चूक पर सीएम तीरथ के एक्शन का भी मनरेगाकर्मियों को इंतजार है।
29 मई के आदेश में कहा गया था कि 31 मई तक काम पर नही लौटने वाले मनरेगा कर्मियों को हटा कर रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी। लेकिन अब सीएम तीरथ सिंह रावत ने पूर्व के आदेश पर रोक लगा दी। दूसरी ओर हड़ताली मनरेगाकर्मियों का कहना है कि इस सम्बंध में लिखित आदेश होने के बाद ही वे काम पर लौटेंगे।
गौरतलब है कि पूर्व के आदेश में कहा गया था कि जो हड़ताली मनरेगा कर्मी 29 मई, शनिवार तक काम पर नही लौटेंगे, उनकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाएगी। शासन के 20 मई के निर्देश के बाद नरेगा परियोजना कोऑर्डिनेटर मोहम्मद असलम ने सभी मुख्य विकास अधिकारी व अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक को पत्र भेजा है। बीते ढाई महीने से अपनी मांगों को लेकर आंदोलित नरेगा कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। महामारी काल में सरकार ने इनके खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है।Uttarakhand manrega movement
यह है वो 29 मई का नौकरी खाने का आदेश
पत्र में साफ लिखा है कि 29 मई 2021 तक जो भी कार्मिकों वापस काम पर नहीं लौटते हैं, उनकी सेवायें तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के आदेश जारी करें। इसके बाद कुल हुए रिक्त हुए पदों की पृथक-पृथक संख्या सहित अपर मुख्य सचिव / अपर राज्य कार्यक्रम समन्वयक के अवलोकनार्थ प्रकोष्ठ कार्यालय की ई-मेल पर 31 मई तक भेजने का कष्ट करें।
पत्र में कहा है कि हड़ताल कर रहे कार्मिकों द्वारा दिनांक 29 मई, 2021 तक प्रस्तावित विकल्पों का चयन करते हुए योगदान दिया जाना है। योगदान ई-मेल के माध्यम से भी स्वीकार किया जा सकता है (यदि सम्बन्धित कार्मिक किसी कारणवश आज 29 मई को भौतिक रूप से कार्यस्थल पर उपस्थित नहीं हो पा रहा है और आगामी कार्यदिवस (सोमवार 31 मई, 2021) को कार्यस्थल पर उपस्थित हो जायेगा) । ऐसे, योगदान कर रहे कार्मिकों की सूचना संलग्न प्रारूप पर दिनांक 29 मई, 2021 को प्रकोष्ठ कार्यालय के ई-मेल mgnregauk2017@gmail.com पर उपलब्ध कराई जानी है।
मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे मनरेगा कर्मचारियों को नहीं हटाया जाएगा। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने काम पर नहीं कि लौटने वाले मनरेगा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने वाले आदेश पर रोक लगा दी है। शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि एक भी मनरेगा कर्मचारी नहीं हटाया जाएगा। उधर, मनरेगा कर्मचारियों के संगठन ने न लिखित आश्वासन मिलने के बाद ही काम पर के लौटने का फैसला किया है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने दिए निर्देश मनरेगा कर्मियों को हटाने का आदेश पलटा
सरकार की ओर से लिखित आदेश मिलने के बाद ही आंदोलन वापस लिया जाएगा- सुंदर मणि सेमवाल, प्रदेश अध्यक्ष मनरेगा संघ
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