उत्तराखंड मूल के सीए छात्रों को पजल परिवार का सम्मान

तीसरी पजल यात्रा ने गढ़वाली पजल को नेपाल तक पहुँचाया

दिल्ली में साहित्यिक संगोष्ठी में पजल परिवार का आयोजन

अविकल उत्तराखंड

नई दिल्ली । यहां आयोजित एक साहित्यिक संगोष्ठी में पजल परिवार द्वारा उत्तराखंड मूल के प्रतिभाशाली छात्रों श्रेष्ठा नेगी, प्रेरणा कंडारी और आशुतोष कुकरेती को वर्ष 2025 की सीए फाइनल परीक्षा उत्तीर्ण करने पर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर गढ़वाल हितैषिणी सभा के पूर्व अध्यक्ष अजय बिष्ट ने कहा कि “जून माह में ‘कुसुम जगमोरा पजल लोक-साहित्य सम्मान’ देने के बाद पजल परिवार का यह प्रयास भी प्रशंसनीय है।”

गढ़वाली पजल की तीसरी यात्रा पूरी, नेपाल में भी सराही गईं पजलें

जयपाल सिंह रावत ने बताया कि जगमोहन सिंह रावत ‘जगमोरा’ द्वारा एक हज़ार एक पजल रचने के बाद ‘हज़ार ग्राम, हज़ार धाम — हमारी भाषा, हमारी पहचान’ के संदेश के साथ उनकी तीसरी पजल यात्रा 20 जून को नैनीताल के जिया रानी माता मंदिर से शुरू हुई। यह यात्रा चम्पावत, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा के पजल साहित्यिक पड़ावों से होती हुई 23 जून को हल्द्वानी में सम्पन्न हुई।

साहित्यकार सुशील बुड़ाकोटी ‘शैलांचली’ ने बताया कि पूर्व की दो पजल यात्राओं की तरह इस यात्रा में भी पंचमेवा, नारियल, रोट और भेलिकेक की भेंट के साथ उन स्थलों पर पहुँचा गया, जिन पर जगमोरा ने पजलें लिखी हैं। कुमाऊं के सीमांत पिथौरागढ़ में आयोजित आदलि कुशलि पत्रिका के कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन में गढ़वाली पजल की सराहना हुई। पत्रिका की संपादक डॉ. सरस्वती कोहली ने गढ़वाली पजल को उत्तराखंड की लोक साहित्यिक धरोहर बताया।

गोविंद गोपाल ने कहा कि गढ़वाली पजल पैन उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान हैं, जबकि साहित्यकार गणेश नेपाली ने बताया कि नेपाल में भी गढ़वाली पजल को खूब सराहा जा रहा है। नेपाल में इन्हें साहित्यिक संगोष्ठी में सम्मानित करने पर भी विचार किया जा रहा है।

जगमोहन सिंह रावत ‘जगमोरा’ ने कहा कि गढ़वाली पजल अब कुमाऊंनी और नेपाली पाठकों के बीच भी लोकप्रिय हो रही हैं और भारत-नेपाल मैत्री को सशक्त करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। इस यात्रा में उनके साथ कुमाऊंनी पजलकार भूपेंद्र सिंह बृजवाल ‘निर्बाध’ और भूपेंद्र सिंह बिष्ट भी शामिल थे।

संगोष्ठी में डॉ. हेमा उनियाल, यशोदा घिल्डियाल, कुसुम बिष्ट, निर्मला नेगी, शकुंतला जोशी, डॉ. रामेश्वरी नादान, सीमा नेगी भैंसोड़ा, अनिल पंत, प्रताप सिंह थलवाल, सतीश रावत, खजान दत्त शर्मा, दीवान सिंह नेगी, युगराज सिंह रावत, नागेंद्र सिंह रावत, दयाल सिंह नेगी, राजेंद्र सिंह रावत, उमेश चंद्र बंदूणी, ओम ध्यानी, शशि बडोला, देवेंद्र सिंह गुसाईं, कैलाश कुकरेती, अनूप रावत, रविंद्र कंडारी सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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