पलायन रोकथाम योजना- समाचार / विचार
…तो पलायन रोकथाम योजना पर त्रिवेंद्र सरकार के होमवर्क को नयी सरकार पहनाएगी अमलीजामा ? पलायन से 1200 गांव खाली हो चुके हैं।
चुनावी साल में पलायन रोकथाम योजना के माइक्रो प्लान जुलाई तक बनेंगे ? प्लान के क्रियान्वयन में भी समय लगेगा। फरवरी 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
बुधवार की बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने
आने वाले वर्षों के लिए अधिकारियों को पलायन रोकथाम योजना से सम्बंधित माइक्रो प्लान तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी गांवों की अपनी-अपनी विशेष समस्याएं हैं, जिनके निराकरण के लिए गांव आधारित विशेष योजनाएं ( विलेज स्पेसिफिक प्लान (village specific plan ) बनाया जाए।
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। राज्य गठन के बाद उत्त्तराखण्ड की कमोबेश सभी सरकारें पलायन,रोजगार व स्वरोजगार के चिंताजनक व ज्वलंत मुद्दे को लेकर ओढ़ी गयी गंभीरता दिखाती रही है। लेकिन जमीन पर पलायन को रोकने की कोई ठोस योजना और उस पर अमलीजामा पहनाने की कोई सूरत या मूरत नजर नही आयी।
हालांकि, प्रचंड बहुमत की त्रिवेंद्र सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए पलायन आयोग का गठन किया। हाल ही में आयोग में नये सदस्य भी बनाये। इस आयोग ने 2011 के जनसंख्या के आंकड़ों को आधार बनाते हुए सरकार को दनादन कई रिपोर्ट सौंप दी। कुछ विशेष इलाकों में वहां की जरूरत के हिसाब से स्वरोजगार/रोजगार से जुड़े सेक्टर भी चिन्हित करने की कोशिश की।
इस बीच, कोरोना काल में भी करीब 60 से 80 हजार प्रवासियों ने अपने गांव की ओर रुख किया। उनके स्वरोजगार की भी योजनाएं ही नहीं बनी बल्कि प्रचार प्रसार भी ठीक ठाक पैमाने पर हुआ। उन स्वरोजगार की योजनाओं पर सरकारी व बैंकिंग अडंगों ने अपना खेल कर दिया। लब्बोलुआब यह निकला कि उन योजनाओं के लाभार्थी की संख्या में अपेक्षित इजाफा नहीं हो सका।
पलायन आयोग का विस्तार करते हुए नये सदस्य बनाने के अलावा शासन स्तर पर एम्पावर्ड कमेटी भी बनी।
बुधवार को जब सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत दुर्गम दुर्मी घाटी के दौरे पर थे, ठीक उसी समय मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना के तहत राज्य स्तरीय एम्पावर्ड समिति की बैठक ली।
सचिवालय में आहूत बैठक में उन्होंने पलायन रोकथाम योजना के उद्देश्य चिन्हित किये। दोहराया कि, पलायन प्रभावित गांवों में बसे परिवारों, बेरोजगार युवाओं, रिवर्स माईग्रेन्ट्स आदि को स्वरोजगार उपलब्ध कराना है।
बैठक के दौरान जनपदों के विभिन्न प्रस्ताव स्वीकृत करने की खबर है। जिलों से आये इन प्रस्तावों के अंदर के बिंदुओं को शासन मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंचाए ऐसी उम्मीद सभी को है।
बुधवार की बैठक में मुख्य सचिव ने
आने वाले वर्षों के लिए अधिकारियों को पलायन रोकथाम से सम्बंधित माइक्रो प्लान तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी गांवों की अपनी-अपनी विशेष समस्याएं हैं, जिनके निराकरण के लिए गांव आधारित विशेष योजनाएं ( विलेज स्पेसिफिक प्लान (village specific plan ) बनाया जाए।
मुख्य सचिव ने इस चुनावी साल के जुलाई महीने तक माइक्रो प्लान तैयार करने के निर्देश दिए। अधिकारियों से कुछ तकनीकी पेंच से जुड़ी बात भी कही । मसलन, इन योजनाओं हेतु पहले विभागीय योजनाओं से फंडिंग करने के प्रयास किए जाएं, एवं गैप की फंडिंग मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना से की जाए।
अधिकारियों से मंथन के क्रम में उन्हें बताया गया कि
इस योजना का मुख्य उद्देश्य पलायन की रोकथाम है। ऐसी योजनाओं पर फोकस किया जाए जिनसे पलायन रोका जा सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि फिशरीज से सम्बन्धित प्रस्तावों के लिए सीड आदि की व्यवस्थाएं पहले से सुनिश्चित कर ली जाएं। उन्होंने कहा कि फिश सीड ट्रांसपोर्टेशन के लिए बैटरी ऑपरेटेड ऑक्सीजनाइज्ड टैंक की व्यवस्थाएं की जा सकती हैं, ताकि ट्रांसपोर्टेशन में फिश सीड खराब न हों।
उन्होंने प्रस्तावों भेजे जाने से पहले ईकाॅनोमिक फिजिबिलिटी एनालिसिस एवं टैक्निकल फिजिबिलिटी एनालिसिस करवाए जाने के निर्देश दिए।
उन्होंने यह भी कहा कि चारा बैंक की स्थापना दुग्ध समितियों के समीप ही की जाय। और इनके संचालन का जिम्मा दुग्ध समितियों को ही दिया जा सकता है।
पलायन रोकथाम योजना पर अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार एवं सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम सहित अन्य अधिकारियों ने भी विचार विमर्श किया।
बुधवार की अहम मीटिंग में हुए मंथन और दिए गए निर्देशों से यह साफ हो गया कि पलायन आयोग की विभिन्न रिपोर्ट्स व एम्पावर्ड कमेटी के चिंतन मनन के बावजूद योजनाओं को धरातल पर उतरने में अभी काफी वक्त लगेगा। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने पलायन रोकथाम योजना के माइक्रो प्लान जुलाई तक तैयार करने को कहा है। चूंकि,जुलाई के शुरू होते ही बरसात भी होगी। शासन आपदा से भी जूझेगा। उज़के बाद फिर चुनाव की आचार संहिता आदि आदि।
लिहाजा, इससे यह साफ हो गया है कि अगर त्रिवेंद्र सरकार में पलायन रोकथाम योजना के माइक्रो प्लान फिजिबल साबित हो गए तो 2022 मार्च में आने वाली नयी सरकार ही इन्हें भविष्य के सालों में धरती पर उतारेगी।
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