रुद्रप्रयाग में 40 प्रतिशत युवाओं ने पलायन किया
7835 व्यक्तियों ने पूर्ण रूप से स्थाई पलायन किया
विकासखंड स्तर पर आर्थिकी ढांचे के निर्माण पर जोर
जनपद में कृषि उत्पादन के लिए विशेष क्षेत्र या विकासखण्ड स्तर पर किसान उत्पादक संगठन के गठन पर सिफारिश
रिपोर्ट पर अमल कब होगा, यह सवाल भी अहम
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। पलायन आयोग की एक के बाद एक रिपोर्ट के सार्वजनिक होने का सिलसिला जारी है। इस बार पलायन आयोग ने रुद्रप्रयाग जिले से हुए पलायन के आंकड़े पेश कर एक कार्ययोजना भी सीएम को सुझायी है।
वैसे तो 2011 की जनसंख्या के आंकड़ों के बाद प्रदेश में हुए पलायन की तस्वीर काफी हद तक साफ हो गयी थी। और सभी लोग यह मानने लगे थे कि गांव की आर्थिकी को मजबूत करने से ही पलायन रोका जा सकता है। लेकिन ग्रामीण इलाकों के विकास के लिए ऐसी कोई ठोस योजना नहीं आ पाई। इस बीच, त्रिवेंद्र शासन में पलायन आयोग का गठन किया गया। पलायन आयोग कई रिपोर्ट सौंप चुका है। मंगलवार को भी एक और रिपोर्ट सरकार के नज़र की गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 10 वर्षों में रूद्रप्रयाग जनपद से 316 ग्राम पंचायतों से 22,735 लोगों द्वारा अस्थाई पलायन किया। यह पलायन जनपद के अन्दर एक स्थान से दूसरे स्थान पर हुआ। जबकि 7835 व्यक्तियों द्वारा पूर्ण रूप से स्थाई पलायन किया गया। जनपद में स्थाई पलायन की तुलना में अस्थाई पलायन अधिक हुआ है। लगभग 40 प्रतिशत पलायन 26 से 35 वर्ष के आयु वर्ग द्वारा किया गया। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के अध्यक्ष एन एस नेगी ने रिपोर्ट में यह भी बताया कि रुद्रप्रयाग जनपद के किन किन सेक्टर में काम किया जाना चाहिए। कमोबेश वही सेक्टर गिनाए गए हैं जिनकी चर्चा बड़ी से छोटी बैठकों तक कई बार हो चुकी है।
2011 की जनगणना के अनुसार जनपद रुद्रप्रयाग की जनसंख्या 02 लाख 42 हजार 285 है। जनपद की 80 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है।
ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार जनपद रुद्रप्रयाग विकासखण्ड ऊखीमठ की जनसंख्या में 11 प्रतिशत की वृद्धि एवं विकासखण्ड अगस्त्यमुनि की जनसंख्या में 02 प्रतिशत की कमी आई है। राज्य घरेलू उत्पाद के आधार पर वर्ष 2016-17 (अनन्तिम) अनुमानों में जनपद रुद्रप्रयाग की प्रतिव्यक्ति आय अनुमानित 83,521 रूपये है। रुद्रप्रयाग एवं टिहरी जनपद की प्रति व्यक्ति आय अन्य पर्वतीय जिलों की तुलना में कम है। जनपद का मानव विकास सूचकांक अन्य पर्वतीय जिलों से कम है। जनपद रूद्रप्रयाग में कुल 688 ग्रामों में से 653 आबाद एवं 35 गैर आबाद ग्राम हैं। जनपद के तीनों विकासखण्डों में कुल 20 राजस्व ग्राम/तोक हैं।
ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग ने जनपद के आर्थिक, सामाजिक विकास एवं पलायन को रोकने दिए सुझाव में कहा कि विकासखण्ड स्तर पर आर्थिक विकास का एक ढांचा तैयार किया जाय।
जनपद में होम स्टे योजना को स्थानीय स्तर पर बढ़ावा देना होगा। भूजल पुनर्भरण योजनाओं को प्राथमिकता दी जाय। पानी के पारम्परिक स्रोतों का सूखना गंभीर जल संकट कीओर इशारा कर रहा है।
सामाजिक-आर्थिक उत्थान और ग्रामीण विकास के लिए एक महिला केंद्रित दृष्टिकोण अपना होगा। सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योगों कृषि आधारित, रेडीमेड वस्त्र, कताई-बुनाई लकड़ी आधारित, होटल एवं अन्य सर्विस ईकाइयों को जनपद के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था को मजबूत बनाकर आजीविका प्रदान करनी होंगी।
जनपद में फल, नर्सरियों की संख्या बढ़ाने व फसलों को नुकसान से बचाने के लिए मनरेगा के तहत सुअर रोधी दीवार का निर्माण किया जाना होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए स्वरोजगार योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना एवं कौशल विकास से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी हैं।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन तथा चारधाम सड़क परियोजना से जिले के विकास में तेजी आयेगी तथा इसका लाभ उठाने के लिए जिला प्रशासन विशेष योजना बनाए।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि जनपद में महिलाओं को कौशल विकास से संबंधित प्रशिक्षण के साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देना होगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार आलोक भट्ट एवं तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह उपस्थित थे। पलायन आयोग की रिपोर्ट को जब तक अमलीजामा पहनाया जाएगा, यह सवाल भी अहम है।
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