कई कहानियों को जन्म दे गया त्रिवेंद्र का दिल्ली दौरा
दोषी पार्टी नेताओं पर एक्शन की तैयारी
अविकल उत्तराखंड
देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों की बन्दरबांट के चहुंमुखी शोर के बीच पॉलिटिकल गेम देहरादून की पिच से उछल कर अब दिल्ली के राजनीतिक मैदान में शिफ्ट हो गया है।
भर्ती घोटाले में भाजपा नेताओं के सीधे नाम आने से हो रही बदनामी को देखते हुए पीएम मोदी ( PM MODI) ने निगरानी की कमान स्वंय अपने हाथ में ले ली है। मुख्य तौर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग व विधानसभा भर्ती घोटाले में पार्टी के बड़े नेताओं की हो रही किरकिरी को लेकर पार्टी हाईकमान विशेष गंभीर नजर आ रहा है। आने वाले समय में कुछ पार्टी नेताओं पर एक्शन लिए जाने की पटकथा लिख दी गयी।
इस बीच, हाशिये में खड़े पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहले पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और फिर गुरुवार को पीएम मोदी से वन टू वन लगभग 45 मिनट की गुफ्तगू से राज्य की राजनीति में विशेष हलचल देखी जा रही है।
नड्डा से मुलाकात के बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पंचायत चुनाव व संगठन के चुनाव को लेकर चर्चा हुई। साथ ही भर्ती घोटाले पर कहा कि कई लोगों को जेल ही चुकी है। और सरकार की नीयत साफ है। दूध का दूध और पानी का पानी होगा। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। j p Nadda
लंबे समय बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की पीएम मोदी से हुई मुलाकात के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि, आज के ट्वीट में त्रिवेंद्र ने पर्यावरण संरक्षण व रोजगार के मुद्दे पर चर्चा होना बताया गया। केकिन सूत्रों का कहना है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विस भर्ती घोटाले के बाबत कुछ तथ्य भी पेश किए।
दरअसल, विधानसभा में बैकडोर से 72 लोगों की हुई भर्ती व सचिव मुकेश सिंघल को एक साल में मिले तीन प्रमोशन के बाद तत्कालीन विधानसभाध्यक्ष मीडिया व जनता के निशाने ओर आ गए थे। विधानसभा में हुई भर्तियों में कई भाजपा, संघ, कांग्रेस, अधिकारी व अन्य प्रभावशाली लोगों के नाम सामने आने से हलचल मच गई थी।
इसी बीच, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के एक चर्चित बयान ने आग में घी का काम किया। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि अपने कार्यकाल में उन्होंने इन 72 लोगों की फ़ाइल पर हस्ताक्षर नहीं किये थे। और आयोग से भर्ती कराने की बात कही थी। लेकिन बाद में तत्कालीन विस अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल ने बिना वित्तीय स्वीकृति के दिसंबर 2021 में 72 लोगों को बैकडोर से नियुक्ति दे दी। और फिर 2022 मार्च में वित्त मंत्री बनते ही इन कर्मियों के रुके वेतन को भी क्लियर करवा दिया। जबकि उस समय वित्त सचिव अमित नेगी ने अपनी स्वीकृति देने से मना कर दिया था। (Recruitment scams)
विधानसभा भर्ती घोटाले में त्रिवेंद्र के इस बयान के बाद वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पार्टी हाईकमान।के निशाने पर आ गए। और पार्टी पर विपक्ष व बेरोजगार युवाओं के हमले बढ़ गए।
समझा जाता है कि गुरुवार को पीएम मोदी से मुलाकात में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने uksssc भर्ती घोटाले के सरगना हाकम सिंह से अपने रिश्ते व विधानसभा भर्ती घोटाले में अपने रोल पर सफाई दी। हाकम सिंह को 2020 के फारेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले में मुकदमा दर्ज होने के बाद मामला रफा दफा कर दिया था। यह मामला भी हाईकमान की टेबल पर रखा जा चुका था।
सूत्रों का कहना है कि हाईकमान के निर्देश पर त्रिवेंद्र को पहले 2022 के विधानसभा चुनाव की जंग से बाहर कर दिया गया और फिर राज्यसभा नहीं भेजकर बिल्कुल ही हाशिये पर बैठा दिया गया।
भर्ती घोटाले को लेकर प्रदेश भाजपा में चल रही अंदरूनी जंग की हवा लगते ही हाईकमान ने कील कांटे दुरुस्त करने की एक कार्ययोजना बनाई। इसी योजना के तहत पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की सुनी भी गयी और नसीहत भी दी गयी। भाजपा हाईकमान प्रदेश के युवाओं के आक्रोश को हवा देने वाले पार्टी नेताओं को चिन्हित कर अपने हिसाब से पोस्टमार्टम में जुट गयी है।
सूत्रों का कहना है कि जनता में बढ़ रहे आक्रोश को देखते हुए व पार्टी की साख बचाने के लिए भर्ती घपले में घिरे भाजपा नेताओं पर एक्शन लिया जाएगा। सीएम धामी से भी इस मुद्दे पर पार्टी हाईकमान अलग से चर्चा कर रहा है। सीएम धामी बार बार कह चुके हैं कि दोषी कोई भी हो बख्शा नहीं जाएगा।
बहरहाल, बेरोजगार युवाओं की सफल दून रैली के मौके पर प्रदेश के भर्ती घोटालों को लेकर उठे बवंडर के बीच पूर्व सीएम त्रिवेंद्र का दिल्ली जाना कई कहानियों को भी जन्म दे गया …
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