संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए उत्तराखण्ड संस्कृत विवि को विशिष्ट भूमिका निभानी होगी-सचिव

हरिद्वार में संस्कृत के संवर्द्धन से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा बैठक का आयोजन

अविकल उत्तराखंड 

हरिद्वार/बहादराबाद। संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने अधिकारियों एवं शिक्षकों की समीक्षा बैठक ली।
डॉ० सुमन प्रसाद भट्ट ने पावर प्वाइंट प्रज़ेंटेशन के माध्यम से विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रम, छात्रों की संख्या एवं विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराया। सचिव दीपक कुमार ने विश्वविद्यालय के विभिन्न भवनों, पुस्तकालय एवं कम्प्यूटर केंद्र पर विस्तृत जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि संस्कृत उत्तराखण्ड राज्य की द्वितीय राजभाषा है। इसके प्रचार-प्रसार एवं उत्थान के लिए उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय को विशिष्ट भूमिका निभानी होगी।

विश्वविद्यालय के शिक्षकों से संस्कृत का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आप सभी को एकजुट होकर संस्कृत शिक्षा को रोज़गार परक एवं दैनिक बोलचाल की भाषा बनाने पर कार्य करना होगा। संस्कृत सचिव ने संस्कृत पर शोध करने के लिए विभिन्न शीर्षक आवंटित किए तथा निर्देशित किया कि शिक्षक शीघ्र इन शीर्षकों पर परियोजना तैयार कर अनुदान के लिए केंद्र सरकार को आवेदन करें। विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित शोध पत्रिका शोध प्रज्ञा को त्रैमासिक किये जाने का प्रस्ताव भी शासन को भेजने का निर्देश दिया।

बैठक में शिक्षकों ने अपनी प्रोन्नति एडवांस एनक्रीमेन्ट एवं लम्बित देय की समस्या से सचिव को अवगत कराया, इस पर सचिव ने जानकारी दी कि यू.जी.सी. विनमय 2018 की प्रक्रिया शासन स्तर पर स्वीकृति हेतु गतिमान है, जिसकी स्वीकृति होते ही शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण कर दिया जायेगा। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने अतिथि सहित उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया।

कार्यक्रम में डॉ० दिनेश चन्द्र चमोला, डॉ० मोहन चंद्र बलोदी, डॉ० कामाख्या कुमार, डॉ० अरविंद नारायण मिश्र, डॉ० हरीश तिवाड़ी, डॉ० अजय परमार, डॉ० विंदुमती द्विवेदी, डॉ० श्वेता अवस्थी, डॉ० राकेश सिंह, डॉ० लक्ष्मी नारायण जोशी, डॉ० मनोज किशोर पंत, डॉ० उमेश शुक्ल, डॉ० विनय सेठी, डॉ० दामोदर परगांई, डॉ० कंचन, सुशील चमोली, सुनील कुमार, संदीप प्रसाद सहायक कुलसचिव सहित अनेक प्राध्यापक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

सचिव का स्वागत विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, वित्त नियंत्रक लखेन्द्र गौथियाल एवं उपकुलसचिव दिनेश कुमार के द्वारा किया गया।

हरिद्वार – संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार गैरोला ने प्रदेश की द्वितीय राजभाषा संस्कृत के प्रोत्साहन, संरक्षण, संवर्द्धन और नवीन योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु बैठक आयोजित की।

बैठक में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की वार्षिक कार्ययोजना 2024-25 की समीक्षा करते हुए सचिव संस्कृत शिक्षा ने राज्य सरकार द्वारा संस्कृत बालिका शिक्षा को बढ़ावा दिए जाने हेतु अकादमी के माध्यम से दी जा रही गार्गी संस्कृत बालिका छात्रवृत्ति योजना, सभी वर्गों के लिए संस्कृत शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से डा. भीमराव अम्बेडकर संस्कृत अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति छात्रवृत्ति योजना, संस्कृत शिक्षा को जन जन तक पहुंचाने के लिए संस्कृत ग्राम निर्माण योजन, संस्कृत संभाषण शिविर और विविध स्थानों के साथ संगोष्ठी व व्याख्यान शीघ्र करने के लिए कहा गया।

उत्तराखंड राज्य की द्वितीय राजभाषा संस्कृत हैं इस उद्देश से संस्कृत भाषा को प्रोत्साहन दिए जाने हेतु प्रदेश के सभी विभाग, कार्यालयों के नाम व बोर्ड तथा सभी अधिकारी-कर्मचारियों के नाम व पदनाम हिंदी भाषा के साथ-साथ संस्कृत भाषा में भी लिखें जाएं। उक्त हेतु अकादमी प्रदेश के सभी विभागों व केन्द्रीय कार्यालयों से संपर्क कर अनुवाद कार्य में सहयोग प्रदान करें।

संस्कृत शिक्षा सचिव ने संस्कृत भाषा को सार्वभौमिक स्तरीय बनाने के लिए सभी स्तरों पर शीघ्र आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए। साथ ही संस्कृत विश्वविद्यालय, संस्कृत शिक्षा निदेशालय, संस्कृत शिक्षा परिषद् और संस्कृत अकादमी वर्ष 2047 तक संस्कृत भारत बनाने में अपने-अपने स्तर कार्य करना सुनिश्चित करें।
बैठक में संस्कृत अकादमी के सचिव डा वाजश्रवा आर्य, डा हरीश गुरुरानी, गणेश फोंदणी,ओमप्रकाश भट्ट आदि उपस्थित रहे।

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