सरकारी दौरे पर गए सचिव विनोद रतूड़ी 24 दिसंबर की कैबिनेट बैठक में मौजूद नहीं थे। इसी “गलती” पर हटा दिया संस्कृत शिक्षा विभाग
पूर्व से तय था सचिव का 10 दिवसीय सरकारी दौरे का कार्यक्रम
गढ़वाल के तीन पर्वतीय जिलों के संस्कृत महाविद्यालय का करना था निरीक्षण
हमसे का भूल हुई जो ये सजा हमका मिली,जो जुर्म ही नहीं किया उसकी सजा दे दी
राजकाज -“गलती” पर “गलत फैसला”
अविकल उत्त्तराखण्ड
देहरादून। अजब-गजब। सरकारी दौरे पर प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालयों के निरीक्षण के लिए निकले सचिव से उनके विभाग को इसलिए हटा दिया क्यों कि वे 24 दिसंबर की कैबिनेट की बैठक में मौजूद नहीं थे। कैबिनेट व उच्चाधिकारियों ने बिना असलियत जाने तुरंत ही सचिव विनोद रतूड़ी से संस्कृत शिक्षा विभाग हटा कर प्रभारी सचिव सुरेंद्र नारायण पांडे को दे दिया है। इस पूरे मामले से शासन की कार्यप्रणाली भी कठघरे में खड़ी हो गयी।
मामला कुछ ऐसे घटा। 24 दिसंबर को धामी कैबिनेट की बैठक हुई। लगभग 10 बजे तक चली इस बैठक में संस्कृत शिक्षा से जुड़ा प्रस्ताव पेश होना था। लेकिन पूर्व से तय कार्यक्रम के तहत जिलों के दौरे पर गये विभागीय सचिव आईएएस विनोद प्रसाद रतूड़ी बैठक में मौजूद नहीं थे। इस पर कैबिनेट ने नाराजगी जताई। और कार्मिक सचिव अरविंद ह्यांकी ने आईएएस रतूड़ी से संस्कृत शिक्षा की जिम्मेदारी वापस लेने सम्बन्धी आदेश जारी कर दिया।
यहां यह बात उल्लेखनीय है कि आईएएस विनोद रतूड़ी का 24 दिसम्बर से 2 जनवरी तक चमोली, रुद्रप्रयाग व पौड़ी जिले के संस्कृत महाविद्यालयों का निरीक्षण करने के साथ चमोली जिले के संस्कृत ग्राम रतूड़ा में संस्कृति भवन का शिलान्यास करना था।
यही नहीं, अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, ज्वाल्पाधाम व कोट विकासखंड के सितोंसयुं में ब्रिगेडियर विद्यादत्त जुयाल विद्यालय में भी संस्कृत शिक्षा की स्थिति का आंकलन करना था।
संस्कृत शिक्षा के सचिव रतूड़ी का यह सरकारी दौरा 2 जनवरी तक था। इस दौरान उन्होंने संस्कृत ग्राम रतूड़ा में संस्कृति भवन का शिलान्यास भी किया। क्षेत्र के लिए खुशखबरी का सबब बन इस कार्यक्रम में अन्य अधिकारी व स्टाफ मौजूद रहा।
गौरतलब है कि 24 दिसंबर को सांय 4 बजे देहरादून से चले सचिव विनोद रतूड़ी ने चमोली जिले के संस्कृत ग्राम रतूड़ा में रात्रि विश्राम किया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि शासन स्तर के अधिकारियों के जिलावार दौरे की सूचना उच्चाधिकारियों को भी अवश्य रही होगी। सचिव की गैरमौजूदगी का सच कैबिनेट के समक्ष रखा जाना चाहिए था। लेकिन इन सभी तथ्यों को नजरअंदाज कर मंत्रियों की नाराजगी को सिर माथे पर रखते हुए सरकारी दौरे पर गए सीनियर अधिकारी से पल भर में विभाग हटा दिया गया।
संस्कृत शिक्षा सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी का जिला भ्रमण कार्यक्रम
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