पलायन आयोग का नाम बदला और कहा कि आउटपुट आना चाहिए

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग का नाम बदलकर पलायन निवारण आयोग कर दिया। 16 सितम्बर 2017 को  तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग का गठन किया था। यह आयोग अभी तक 18 रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है। बीते पांच साल में इन रिपोर्ट का क्रियान्वयन भी नहीं हो पाया। सीएम ने आयोग की संस्तुतियों के क्रियान्वयन के लिए अपर मुख्य सचिव आनन्द वर्द्धन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी कर दिया। बहरहाल, इस आयोग के खाते में कोई उपलब्धि नहीं दिख रही।

अविकल उत्तराखंड

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पलायन आयोग का नाम बदलकर पलायन निवारण आयोग कर दिया। शुक्रवार को ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकने के उद्देश्य से बने इस आयोग का नाम पलायन निवारण आयोग रखा जाए।

आयोग की सिफारिशों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन की अध्यक्षता में एक Insta बनाने के निर्देश भी दिए। कमेटी में आयोग के सदस्य भी शामिल किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए एक ग्राम एक सेवक की अवधारणा पर कार्य किये जाएं।

उन्होंने कहा कि ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग तब तक किस-किस क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है, उन क्षेत्रों में कार्ययोजना के साथ ही कार्य एवं उपलब्धि धरातल पर दिखे, इस दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। किसी भी बैठक का आउटपुट आना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पलायन आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट के माध्यम से जो सुझाव दिये जा रहे हैं, उन सुझावों को अमल में लाने के लिए संबंधित विभागों द्वारा ठोस कार्ययोजनाएं बनाई जाए। जनकल्याणकारी योजनाओं का लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिले, इसके लिए प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए गांवों पर केन्द्रित योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए।

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के संसाधन बढ़ाने एवं अवस्थापना विकास से संबंधित केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का आम जन को पूरा लाभ मिले। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य में सड़क, रेल कनेक्टिविटी के साथ अवस्थापना विकास के क्षेत्र में तेजी से कार्य हो रहे है। उन्होंने कहा कि राज्य में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग को अपने उद्देश्यों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सीमित दायरा न हो। अधिकांश लोगों को आजीविका से कैसे जोड़ा जा सकता है, इस दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए।

ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी ने कहा कि ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग द्वारा राज्य सरकार को 18 रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि काफी लोगों का रूझान रिवर्स माइग्रेशन की दिशा में बढ़ा है। इस अवसर पर ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के सदस्यों ने भी राज्य के समग्र विकास के लिए अपने सुझाव दिये।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, आनन्द बर्द्धन, सचिव शैलेश बगोली, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव आनन्द स्वरूप, सदस्य ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग अनिल शाही, रंजना रावत, सुरेश सुयाल, दिनेश रावत एवं श्री राम प्रकाश पैन्यूली उपस्थित थे।

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