…तो मेसी की उंगलियों में थिरकेगी फीफा वर्ल्ड कप की चमचमाती ट्रॉफी !

FIFA WORLD CUP -2022- final – France vs Argentina.

अर्जेंटीना की झोली खुशियों से भर पाएंगे स्टार खिलाड़ी मेसी.18 दिसंबर को है हाई वोल्टेज फाइनल मुकाबला

लखनऊ से सुफल भट्टाचार्य, वरिष्ठ खेल समीक्षक की रिपोर्ट

मेसी है तो मुमकिन है। अर्जेंटीना के लिए कतर वर्ल्ड कप में यह बात सच साबित हो रही है। अब सिर्फ खिताब और लियोनेल मेसी के बीच एक मैच की दूरी है। ब्यूनस आयर्स हो बार्सिलोना हो या फिर अपना कोलकाता। हर तरफ मेसी-मेसी का ही शोर है। मेसी को बेपनाह चाहने वाले उन्हें पूजने वाले चाहते हैं वर्ल्ड कप की चमचमाती ट्राफी संडे को उनके हाथों में नजर आए, शायद इस वजह से क्योंकि उनकी सक्सेस स्टोरी या उनकी कैबिनेट में बस यह खिताब ही अभी तक उनसे छिटका हुआ है, ठिठका हुआ है, रूठा हुआ है।


विश्व कप के इतिहास में मेसी 25 मैच खेल चुके हैं, जिनमें 11 गोल उनके नाम हैं। आठ गोल करने में उन्होंने मदद की है। कतर में अब तक वह छह मैच में पांच गोल और तीन में मदद कर चुके हैं। उन्हें सिर्फ एक यलो कार्ड मिला है। वह एक आंधी बन चुके हैं। टीमों को उन्हें मार्क करना पड़ रहा है।


थोड़ा पीछे चलते हैं। 32 साल पहले यानि 1990 विश्व कप में कैमरून ने पहले ही मैच में अर्जेंटीना को हार की ओर धकेला था। कैमरून के रोजर मिला का वह गोल और उसके बाद डांस आज भी इस लैटिन अमेरिकी देश को याद है। लेकिन फिर क्या हुआ, यह भी इतिहास बना। अर्जेंटीना ने डिएगो मैराडोना के दम पर फाइनल में प्रवेश किया। यह और बात है कि लोथार मैथॉयस और फ्रेंज बेकनबॉवर की जर्मन रणनीति ने अर्जेंटीना को खिताब नहीं जीतने दिया। महान मैराडोना के लगातार दो बार खिताब जीतने का सपना हकीकत नहीं बन सका।


खैर, मैराडोना के सामने वो जर्मन टीम थी तो लियोनेल मेसी के सामने पिछली चैंपियन फ्रांस होगी। इस बार भी अर्जेंटीना को पहले मैच में हार का सामना करना पड़ा है। लेकिन इसके बाद टीम ने लय हासिल कर ली है। मेसी 2014 में भी अपनी टीम को वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचा चुके हैं। तब खिताब उनके हाथ से छिटक गया था, तब भी जर्मनी ने ही अर्जेंटीना को हराया था। अब मौका फिर मिला है।

एक हसीन मौका। सामने जर्मनी की बजाय फ्रांस है। मेसी जानते हैं, उनके लिए यह शायद आखिरी मौका साबित हो। भले ही अगला विश्व कप उनकी धरती पर खेला जाना हो। मेसी 35 साल के हो चुके हैं, अगले वर्ल्ड कप तक वह 39 के हो जाएंगे। मेसी यह भी जानते हैं जब तक वह वर्ल्ड कप नहीं जीत पाते हैं उनकी बराबरी पेले और मैराडोना से नहीं की जा सकती। डिएगो मैराडोना का आशीर्वाद उनके साथ हैं, फिर लीजेंड मारियो कैम्पस और गैब्रिएल बातिस्तुता जैसे अर्जेंटीनी दिग्गज उनका उत्साह बढ़ाने कतर पहुंच चुके हैं। मेसी रिकार्ड दर रिकार्ड बना रहे हैं।

क्रोएशिया के खिलाफ पेनाल्टी से गोल करने के बाद मेसी अर्जेंटीना के लिए सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी भी बन गए हैं। वह गैब्रिएल बातिस्तुता और मैराडोना को पीछे छोड़ चुके हैं। मेसी फिलहाल जिस टच में है, उसे देखकर यही लग रहा है कि संडे को फाइनल में उन्हें रोक पाना आसान नहीं होगा।
क्रोएशिया के खिलाफ दो गोल अल्वारेज ने दागे थे लेकिन मेसी की छवि इन गोलों में भी नजर आई है। लगभग सभी मैचों में मेसी का टच अर्जेंटीना को नई ऊंचाई की ओर ले जा रहा है।
कतर में सऊदी अरब के खिलाफ मैच के बाद अर्जेंटीना जब-जब मैदान में उतरी है, एक ही शोर हर तरफ उठा है, ‘मेसी तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ है।’


मुकाबलों के दौरान भावुक कर देने वाले क्षण भी आ रहे हैं। सेमीफाइनल में क्रोएशिया को हराने के बाद अर्जेंटीनी कोच लियोनेल स्कोलॉनी की आंखों में आंसू आ गए। वह लम्बी सीटी बजते ही मेसी से लिपट गए। खूब रोए। यह खुशी के आंसू थे। स्कोलॉनी शायद जानते हैं मेसी है तो मुमकिन है। यही हाल बाकी खिलाड़ियों का भी रहा।
सऊदी अरब के खिलाफ हार को छोड़ दें तो वर्तमान कोच स्कोलॉनी के साथ पिछले 38 मैचों में इस लैटिन अमेरिकी टीम को सिर्फ एक मैच में हार का सामना करना पड़ा है। नि:संदेह यह अद्भुत प्रदर्शन है।


सिर्फ मेसी ही नहीं अन्य अर्जेंटीनी खिलाड़ी भी सुपर फार्म में हैं। छह मैचों में चार गोल करने वाले अल्वारेज के अलावा 28 साल के मिडफील्डर रोड्रिगो डे पॉल, डिफेंडर निकोलस ओटामेंडी, मिडफील्डर एलेक्सिस मैकलिस्टर, डिफेंडर लिसांद्रो मार्टिनेज, डिफेंडर टागलिआफिको और हां नेदरलैंड्स के खिलाफ पेनाल्टी बचाने वाले गोलकीपर ‘दिबू’ यानि एमेलियानो मार्टिनेज को भला कैसे भूला जा सकता है।


टीम की बेंच स्ट्रेंथ भी लाजवाब है। एनहेल डि मारिया जैसे खिलाड़ियों को बेंच पर बैठना पड़ रहा है। यूरोपीय फुटबाल को फॉलो करने वाले जानते हैं मारिया किस कद के खिलाड़ी हैं।
यह भी लिखना होगा कि अर्जेंटीना की एक पीढ़ी ने मेसी के खेल को परवान चढ़ते देखा हैं। वर्तमान टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका सपना मेसी के साथ टीम में शामिल होना रहा है। जरा सोचिए क्रोएशिया के खिलाफ जीत के हीरो जूलियन अल्वारेज ने दस साल पहले टीम के ट्रेनिंग कैम्प में मेसी का ऑटोग्राफ लेने के लिए घंटों इंतजार किया था। तब वह मात्र बारह साल के थे। मेसी से ऑटोग्राफ लेना उनका सपना था, अल्वारेज अब मेसी के साथ खेल रहे हैं। उनके जादुई पास पर गोल दाग रहे हैं। अल्वारेज कहते हैं, वह और पूरी टीम मेसी को खिताबी तोहफा देना चाहती है। यही उनकी ख्वाहिश है।


अब आते हैं फ्रांस पर। जिनके राष्ट्रपति खुद कतर पहुंच गए हैं। अपनी टीम का हौसला बढ़ा रहे हैं। फाइनल में भी रहेंगे।
वैसे अर्जेंटीना और फ्रांस की विश्व कप में अदावत पुरानी है। तकरीबन एक सदी पहले, 1930 में अर्जेंटीना ने फ्रांस को एकमात्र गोल से हराया था। फिर 1978 में अर्जेंटीना ने 2-1 से जीत दर्ज की। लेकिन 2018 में अर्जेंटीना को फ्रांस ने नॉकआउट में हरा दिया था। रूस में खेले गए मैच में एमबापे ने मेसी की टीम के अभियान को रोक दिया था।


फ्रांस की टीम में एमबापे-गिरूड-डेम्बेले, ग्रिजमैन-वराने की चर्चा करने से पहले कोच दिदिएर देशचैम्प्स पर बात जरूरी है। क्या आपको मालूम है कि दुनिया में सिर्फ तीन ही फुटबालर ऐसे हुए हैं जो खिलाड़ी और कोच के तौर पर टीम के साथ रहे हैं। मारियो जगालो (ब्राजील) और फ्रेंज बेकनबॉवर (जर्मनी) के बाद देशचैम्प्स तीसरे खिलाड़ी हैं जिनके नाम यह उपलब्धि है। देशचैम्प्स की टीम ने लगातार दूसरी बार फाइनल में प्रवेश किया है। अगर उनकी टीम खिताब जीत लेती है साठ साल बाद वर्ल्ड कप में लगातार दो खिताब जीतने वाली फ्रांस पहली टीम होगी। इससे पहले यह कारनामा ब्राजील ने
किया था।


अब आते हैं फ्रांस की टीम पर। इस टीम का प्रदर्शन भी सपना सरीखा रहा है। टीम के धुरंधर फारवर्ड एमबापे को रोकना मेसी की टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। एमबापे और मेसी फ्रांस की लीग में पेरिस सेंट जर्मेन से खेलते हैं। एमबापे के बारे में कहा जाता है कि क्लब टीम में वह मेसी को पास नहीं देते हैं खुद ही गोल दागने की ताक में रहते हैं। वैसे एमबापे का सफर भी हसीन रहा है। कतर में वह छह मैचों में पांच गोल कर चुके हैं। एमबापे अभी 22 साल के हैं। दूसरा वर्ल्ड कप खेल रहे हैं। पिछले वर्ल्ड कप में एमबापे टीम की खिताबी जीत में खास भूमिका निभा चुके हैं।
एमबापे के साथ गिरूड और ग्रिजमैन का जिक्र भी करना होगा।

गिरूड पांच मैच में चार गोल कर चुके हैं। कमाल के फारवर्ड हैं। उनके अनुभव का लाभ टीम को मिल रहा है। तीसरे फारवर्ड हैं एंटोनी ग्रिजमैन। गोल भले ही उन्होंने कोई नहीं किया, लेकिन तीन गोल में एसिस्ट की भूमिका निभाई। उन्हें प्लेमेकर कहा जा रहा है। डिफेंस में वराने अकेले ही काफी हैं। पूरे मैदान में उनका मूवमेंट देखा जा सकता है। उनका साथ देने के लिए जूल्स कोंडे भी हैं। इसके अलावा गोलकीपर व टीम के कप्तान हुगो लॉरिस को कौन भूल सकता है।


कुल मिलाकर यह तय है कि संडे का फाइनल हाई वोल्टेज वाला मैच होगा। एक तरफ मेसी की स्किल तो दूसरी तरफ एमबापे की तेजी होगी। देखना है किसका पलड़ा भारी रहता है।

सुफल भट्टाचार्य, वरिष्ठ खेल समीक्षक, लखनऊ निवासी

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