दीवाली के बाद अब गोवर्द्धन पूजा की रात भी अंधेरी सुरंग में बीतेगी

दीवाली की सुबह से फंसे 40 मजदूरों को मंगलवार को राहत मिलने की संभावना . 36 घण्टे से जारी है बचाव कार्य

तकनीकी समिति दुर्घटना की वजह तलाशेगी,प्रारंभिक आंकलन किया

हेल्पलाइन नंबर जारी

निर्माणाधीन सुरंग की लंबाई लगभग 4531 मीटर

सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मी. व बड़कोट की तरफ से 1600 मी. सुरंग का निर्माण हो चुका है

अविकल उत्तराखण्ड

उत्तरकाशी। सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में मजदूरों को 36 घण्टे से भी अधिक हो गए हैं। मंगलवार की सुबह तक बचाव दल के फंसे मजदूरों तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि,  सुरंग के ऊपरी भाग से गिर रहे मलबे के कारण बचाव कार्य में बाधा पहुँच रही है।

सिंचाई विभाग के 5 विशेषज्ञ अभियन्ता भी  घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। मजदूरों तक पहुंचने के लिए एक्सपर्ट्स टीम विभिन्न तकनीक अमल में ला रही है। सुरंग में हुई दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए आपदा प्रबंधन की अध्यक्षता में तकनीकी समिति गठित की गई है। इस समिति ने सोमवार को दुर्घटना के कारणों व सुरंग की स्थिति का जायजा लेकर प्रारंभिक आंकलन किया।प्रशासन की ओर से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किये गए हैं।

(01374-222722, 222126, 7500337269-  7455991223, 7818066867)

40 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिये विशेषज्ञों  ने 900 मि.मी. के MS Steel Pipe को मलबे के आर-पार करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

इधर, सीएम धामी के दौरे के बाद एन.एच.ए.आई. आर.बी.एन.एल., एन.एच.सी.एल., एल. एण्ड टी. टी.एच.डी.सी., बी.आर.ओ. एवं एन.एच.आई.डी.सी. एल.  सुरंग के अन्दर मलबे को युद्धस्तर पर हटाये जाने का कार्य किया जा रहा है।

तकनीकी समिति गठित

घटना के कारणों की जाँच के लिए निदेशक, उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र की अध्यक्षता में गठित तकनीकी समिति जिसमें वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग, भूगर्भ एवं खनिकर्म इकाई तथा राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के एक्सपर्ट में घटनास्थल का निरीक्षण किया।

कार्यालय आदेश
आज दिनांक 12.11.2023 को धरासू एवं बड़कोट के मध्य सिल्क्यारा के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग में हुए भूस्खलन के अध्ययन व कारणों की जांच एवं तद्संबंधित आख्या तैयार कर उपलब्ध करवाये जाने हेतु निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र की अध्यक्षता में निम्नवत् एक समिति का गठन किया जाता है:-
1- उप महानिदेशक, भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा नामित अधिकारी ।
2- निदेशक, वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान, देहरादून द्वारा नामित अधिकारी। 3- निदेशक, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून द्वारा नामित अधिकारी ।
4- निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय द्वारा नामित अधिकारी ।
5- भू-वैज्ञानिक, उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण देहरादून।
6- वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक, उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र, देहरादून । उक्त अध्ययन में कारणों के विभिन्न आयामों के अतिरिक्त मलवे की मिट्टी / पत्थरों के Samples प्राप्त कर जाँच तथा सुरंग में भूस्खलन जोन के लम्बत ठीक ऊपर सतह पर पहाड़ की स्थिति का भी परीक्षण कर जांच / रिपोर्ट में सम्मिलित करें।
उक्त समिति दिनांक 13.11.2023 को प्रातः प्रभावित क्षेत्र के लिए प्रस्थान करेगी और क्षेत्र का सर्वेक्षण कर अपनी विस्तृत आख्या प्रस्तुत करेगी।
(डा. रंजीत कुमार सिन्हा) सचिव

बचाव कार्य का प्लान

सुरंग की दीवार पर शॉर्टक्रीटिंग का कार्य भी किया जा रहा है। इसके साथ ही विशेषज्ञों के परामर्श पर फँसे हुये मजदूरों तक पहुँचने के लिये मलबा हटाकर सेटरिंग प्लेट लगा कर उन्हें निकालने के लिये सुरक्षित मार्ग (ESCAPE PASSAGE) तैयार किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

घटनास्थल पर स्ट्रेजिंग एरिया बनाया गया है। यहां पर ड्रिल मशीन व शॉर्ट क्रीट मशीन उपलब्ध हैं। साथ ही सुरंग के बाहर 3 पोकलैण्ड, 2 जेसीबी, 6 ट्रक, 1 हाईड्रा, 2 लोडर तैनात हैं ।

सुरंग के अन्दर 4 पोकलैण्ड, 3 शॉर्टक्रीटिंग मशीन 0ल2 बूमर, 2 हाईड्रा व 2 ट्रक कार्य कर रहे हैं।

उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग -एक नजर

गौरतलब है कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू एवं बड़कोट के मध्य सिल्क्यारा के समीप  लगभग 4531 मीटर लम्बी सुरंग बनाई जारही है। कार्यदायी संस्था NHIDCL ने   सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मी0 तथा बड़कोट की तरफ से 1600 मी० निर्माण हो चुका है।

इस सुरंग में  12 नवम्बर, 2023 की सुबह सिल्क्यारा की तरफ से लगभग 270 मीटर अन्दर लगभग 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा गिरने के कारण 40 व्यक्ति फँस गये थे।

इन राज्यों के मजदूर फंसे

कार्यदायी संस्था एन.एच.आई.डी.सी.एल. द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार फँसे हुये व्यक्तियों में से 2 उत्तराखण्ड के 1 हिमाचल का 4 बिहार के 3 पश्चिम बंगाल के 8 उत्तरप्रदेश के, 5 उड़ीसा के 15 झारखण्ड के एवं 2 असम के हैं।

अभी तक किये गए बचाव कार्य

सुरंग के अंदर कम्प्रेशर के माध्यम से  ऑक्सीजन भेजी जा रही है । और दबावयुक्त हवा के साथ भोजन सामग्री के छोटे-छोटे पैकेट भी फँसे हुये व्यक्तियों तक पहुँचाये जा रहे हैं। फँसे हुये व्यक्तियों के साथ वॉकी-टॉकी के माध्यम से बातचीत हो रही है। सभी व्यक्ति सुरक्षित हैं।

खोज – बचाव कार्यों हेतु पुलिस, एन. डी. आर. एफ. एस. डी. आर.एफ., आई.टी. बी.पी., सीमा सड़क संगठन, स्वास्थ्य विभाग व त्वरित कार्यवाही दल के सदस्यों सहित कुल 160 राहतकर्मी घटनास्थल पर तैनात किये गये हैं।

त्वरित कार्यवाही के दृष्टिगत् घटनास्थल से 5 कि.मी. की दूरी पर स्यालना के पास अस्थायी हैलीपैड का निर्माण किया गया है ।  चिन्यालीसौड़ हैलीपैड को भी राहत कार्यों हेतु चिह्नित किया गया है।

हेल्पलाइन नंबर जारी

प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। (01374-222722, 222126, 7500337269- जनपद आपातकालीन परिचालन केन्द्र व 7455991223, 7818066867-सिल्क्यारा में स्थापित स्थलीय परिचालन केन्द्र)।

स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था

सुरंग से व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने के उपरान्त उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करवाये जाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग की टीमें, विशेषज्ञ व उचित औषधि उपकरण, एम्बुलेंस सहित टनल गेट पर तैनात की गयी हैं।

किसी भी विपरीत परिस्थिति में कार्यवाही हेतु निकटवर्ती जनपदों के चिकित्सालयों के साथ ही एम्स ऋषिकेश को हाई एलर्ट पर रखा गया है तथा ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति हेतु पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन सिलेण्डरों का भण्डारण किया गया है।

जिलाधिकारी उत्तरकाशी, मुख्य विकास अधिकारी, पुलिस अधीक्षक, अपर जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी, डुण्डा / बड़कोट, एन.एच. आई.डी.सी.एल. के मुख्य प्रबन्धक एवं राजस्व टीम मौके पर मौजूद है।

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