रानी और गुनसोला की गोलाबारी में बॉबी के धमाके की गूंज
ग्राउंड जीरो से अविकल थपलियाल की रिपोर्ट
अविकल उत्तराखंड
पीपलडाली। नई टिहरी के आकाश में बादलों की गड़गड़ाहट। आकाशीय बिजली, तेज हवाएं मार्च फाइनल को अपने अंदाज से विदाई दे रही थी। अल्हड़ अलसाया मौसम ..गर्मी की दस्तक और पहाड़ी धुंध के आगोश में छटपटा रहा था। गर्मी को सलामी दूं या ठंड को गुडबॉय करूँ…मौसम की यह कशमकश और टिहरी लोकसभा के अंतर्द्वंद्व का यह साम्य नयी कहानी गढ़ गया।
टिहरी बांध की शान्त झील को अपने कैमरे में कैद करते पर्यटक रात की बारिश के बाद खुशनुमा मौसम के दीदार में व्यस्त। झील में डूबे पुरानी टिहरी के अक्स अभी नहीं दिखे। थोड़ा पानी कम होगा तो राजशाही के चिह्न दिखेंगे। बहरहाल, बांध के आसपास सुरक्षाकर्मी चौकस। चुनाव प्रचार की कोई विशेष हलचल देखने को नहीं मिली।
अलबत्ता पीपलडाली के इन चाचा-भतीजा पर रात की तेज बारिश की ठंडक का कोई विशेष असर नजर नहीं आया। टिहरी वैसे भी विद्रोही और क्रांतिकारी स्वभाव के लिए जानी जाती रही है।
चाचा -भतीजा एक ही परिसर में अपनी अपनी दुकान चला रहे हैं। चाचा प्रताप राणा फल-सब्जी बेच कर गुजारा कर रहे और भतीजा गर्मागर्म चाय पिला रहे। रोजगार-बेरोजगारी का दर्द यहां भी उभरा।
बात छिड़ी तो चाचा अग्निवीर भर्ती योजना से युवाओं को हो रहे नुकसान से चिंतित नजर आए। जब सेना में भर्ती होने का मौका ही नहीं मिलेगा। और भर्ती भी हुई तो चार साल बाद युवा कहां जाएगा। चाचा कहते हैं कि सेना में भर्ती की अग्निवीर योजना पहाड़ी लड़कों के लिए घातक है।
कहते हैं मौजूदा सांसद राज्य लक्ष्मी शाह कहीं नहीं दिखती। किसी के सुख दुख में शामिल नहीं होती।
चाचा अपनी तार्किक रौ में थे। इधर, चाय को उबाल दे रहे भतीजे राकेश राणा का मोदी प्रेम जाग गया। कांग्रेस प्रत्याशी गुनसोला को कमजोर बताते हुए भाजपा की जीत की भविष्यवाणी भी कर दी।
फलों पर बैठ रही मक्खियां उड़ाते हुए चाचा बोले कि टिकट लाखीराम जोशी को मिलना चाहिए था। दो बार मोदी के नाम पर जीत गयी रानी ने कुछ भी नहीं किया। कब तक राजपरिवार मोदी के नाम पर जीतता रहेगा।
भाजपा-कांग्रेस की जंग में उलझे चाचा-भतीजे निर्दलीय बॉबी पंवार की धमक से अनजान नहीं थे। दोनों इस बात पर सहमत थे कि कांग्रेस को बेरोजगारों की जंग लड़ने वाले बॉबी पंवार को प्रत्याशी बनाना चाहिए था।
बॉबी पंवार समर्थकों द्वारा दून में भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी के विरोध की ख़बर का वीडियो भी इनके मोबाइल पर पहुंच चुका था। इस विरोध की घटना से चाचा संतोष में दिखे। लेकिन भतीजे भाजपा की जीत का दावा ही करते रहे। अलबत्ता, यह अवश्य माना कि बॉबी पंवार टिहरी की चुनावी महाभारत के अहम किरदार बन गए हैं।
टिहरी लोकसभा के इस इलाके में निर्दलीय बॉबी पंवार की गूंज और भाजपा प्रत्याशी के विरोध की खबरों के बीच चुनावी लपटें झील के ऊपर से गुजर रही ट्राली की मानिंद हौले हौले रफ्तार पकड़ती दिखी…
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अंकिता… अग्निवीर के आक्रोश से झारखंड के जागेश्वर तक
भाजपा के चुनावी शंखनाद के शोर में डूब गया अग्निवीर भर्ती का मुद्दा
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