भाजपा नेता व पूर्व बीकेटीसी अध्यक्ष ने कहा, आरोपित नेता इस्तीफा दें
सीबीआई जांच का समर्थन, भट्ट बोलने से बचें
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। बदरी-केदार मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत और पूर्व भाजपा एमएलए विजया बड़थ्वाल से एक कदम आगे बढ़ाते हुए आरोपित पार्टी नेताओं को नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र देने की सलाह दी है। साथ ही सीबीआई जांच की वकालत भी की है। मुद्दे को सही तरीके से हैंडल नहीं करने पर पार्टी संगठन को भी सलाह दे डाली।
यही नहीं, बीकेटीसी के पूर्व अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को हर मसले पर प्रतिक्रिया देने से मना किया। और भाजपा नेताओं की जाति सम्बन्धी बयानों को पार्टी के लिए नुकसानदायक बताया।
अजेंद्र अजय ने ऐसे मौके पर टिप्पणी की है जब कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों व कई सामाजिक संगठनों में सड़क पर उतर कर वीआईपी के खुलासे को लेकर निर्णायक जंग छेड़ दी है।

गौरतलब है कि ज्वालापुर सीट से भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर और उर्मिला सनावर के ऑडियो के वायरल होने के बाद वीआईपी का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है।
नाटकीय मोड़ पर खड़े अंकिता भंडारी मर्डर केस के वीआईपी मसले पर नये सिरे से पार्टी संगठन के बड़े नेताओं के नाम उछले हैं। इनमें से एक दुष्यंत गौतम ने जांच की बात कहकर चार दर्जन न्यूज हैंडलर्स को नोटिस भी भिजवाए हैं।
इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की उर्मिला सनावर पर टिप्पणी और विधायक खजान दास के ‘दलित कार्ड’की आड़ में कांग्रेस को कोसने की रणनीति भी भाजपा को ही नुकसान कर गयी।
इधऱ, बीकेटीसी की फेसबुक पोस्ट में दोषारोपित नेताओं को इस्तीफे की सलाह देकर नयी बहस छेड़ दी है। पार्टी के अंदर यह चर्चा भी तेज जो गयी है कि भाजपा से निकाले जाने के बाद नाराज सुरेश राठौर ने दुष्यंत को मोहरा बनाते हुए उर्मिला सनावर को कई गुप्त राज बता दिए।
हालांकि, शुरू से ही पार्टी संगठन से जुड़े एक अन्य नेता को सम्भावित वीआईपी के तौर पर आंका जा रहा था। लेकिन अब गट्टू समेत कुछ अन्य नाम की भी चर्चा जोरों पर है।

इधऱ, पूर्व बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया था। कार्यकाल नहीं बढ़ने से अजेंद्र अजय मायूस भी बताए जा रहे हैं। अजेंद्र के कार्यकाल में केदारनाथ मंदिर में सोने की पालिश समेत कई अन्य मुद्दे चर्चा में रहे थे।
पढ़ें अजेंद्र अजय की फेसबुक पोस्ट
https://www.facebook.com/share/1KSQNJbv27/?mibextid=wwXIfr
उत्तराखंड में अंकिता भंडारी प्रकरण को लेकर जिस प्रकार का वातावरण बन गया है, वो निश्चित रूप से अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण है। जान-अनजाने पक्ष-विपक्ष की ओर से कई ऐसे तथ्य और बयानबाजी सामने आ रही है, जिससे प्रदेश की छवि धूमिल हो रही है।
कांग्रेस पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए इस प्रकरण को अपने पक्ष में पूरी तरह से भुनाने के दुष्प्रयासों में जुटी हुई है। कांग्रेस से सवाल यह है कि अंकिता भंडारी हत्याकांड की अचानक उन्हें अब इतने समय बाद क्यों याद आई? 2027 के चुनावों को देखते हुए कांग्रेस को अब अंकिता को न्याय दिलाने की याद आई?
मेरा स्पष्ट रूप से मानना है कि अंकिता भंडारी प्रकरण निश्चित रूप से गंभीर विषय है। आम जनमानस के मन में किसी प्रकार की शंका-आशंका ना रहे, इस हेतु जो भी कानूनी कार्यवाही अथवा CBI जाँच आदि की जानी हो, तो करनी चाहिए।
मेरा यह भी सुझाव है कि इस प्रकरण में जो भी नेता दोषारोपित किए गए हैं, उनको पार्टी हित और जन विश्वास कायम रखने के लिए नैतिकता के आधार पर अपने पद से त्याग- पत्र देना चाहिए। उन्हें स्वयं यह घोषणा करनी चाहिए कि वे अपने को निर्दोष साबित करेंगे और तत्पश्चात पार्टी में कोई पद स्वीकार करेंगे।
इसके साथ ही मेरा यह भी सुझाव है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जी को आवश्यक नहीं है कि वो प्रत्येक मामले में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें। मीडिया के समक्ष पार्टी का पक्ष आदि रखने के लिए प्रवक्ता इत्यादि की व्यवस्था बनाई गई है।
अंकिता भंडारी प्रकरण में जाति को लेकर जो बयान मीडिया व सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, वो पार्टी के लिए हानिकारक है। इससे भी अधिक प्रदेश के सामाजिक ताने- बाने के लिए भी घातक है। राजनीति अपनी जगह है, सामाजिक सौहार्द अपनी जगह ।
Pls clik- अंकिता भंडारी मर्डर से जुड़ी अन्य खबरें
सीबीआई जांच का हंगामा और पुलिस ने नागरिकों से मांगे प्रमाण
सीबीआई जांच की मांग पर भाजपा सरकार का पुतला दहन
नए ऑडियो से फिर उठा वीआईपी की भूमिका का सवाल
वनन्तरा रिसॉर्ट के निकट आंदोलनकारियों ने किया प्रदर्शन

