दिल्ली, पंजाब व हरियाणा आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधानों ने जारी किया हटाने का आदेश, देखें पत्र
अविकल उत्तराखण्ड
हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विवि की तीनों आर्य प्रतिनिधि सभा ने कुलाधिपति डॉ सत्यपाल सिंह को उनके पद से हटा दिया। आर्य प्रतिनिधि सभा दिल्ली, हरियाणा व पंजाब के प्रधानों ने इस बाबत सामूहिक आदेश कर विवि के चांसलर को हटाया।
तीनों आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान ने दो पेज के अपने आदेश में कहा कि कुलाधिपति विवि के कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहे हैं। इसके अलावा कई अन्य आरोप भी लगाए हैं। आदेश में प्रधान धर्मपाल आर्य, राधाकृष्ण आर्य व सुदर्शन शर्मा के हस्ताक्षर हैं।
डॉ सत्यपाल सिंह
मुंबई के पूर्व कमिश्नर व बागपत सांसद डॉ सत्यपाल सिंह ने 2018 में कुलाधिपति की जिम्मेदारी संभाली थी। सत्यपाल सिंह पहली बार 2014 में बागपत से सांसद बनने के बाद केंद्र में मंत्री भी बने थे।
गौरतलब है कि तीन दिन पूर्व 29 दिसंबर को यूजीसी की निर्देश पर 1906 में गठित ऐतिहासिक गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलपति प्रो रूप किशोर शास्त्री को उनके पद से हटा दिया था।
आदेश विदित हो कि आपको दिनांक 30.05.2018 को प्रायोजक संस्थाओं (आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब, आर्य प्रतिनिधि सभा हरयाणा एवं दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा) द्वारा गुरूकुल कांगडी (समविश्वविद्यालय) हरिद्वार का कुलाधिपति नियुक्ति किया गया था। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (सम विश्वविद्यालय संस्थान) विनियम – 2016 के उपबंध-2 में निहित विनियम 6.1.1 के अनुसार प्रायोजक संस्थाएं आपकी नियुक्ति प्राधिकारी हैं एवं आपको कोई भी प्रशासनिक आदेश पारित करने का अधिकार नहीं दिया गया सुलभ संदर्भ हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियम – 2016 के उपबंध-2 में निहित विनियम 6.1.1 को नीचे उद्धतृ किया गया है:- 6.1.1 कुलाधिपतिः विश्वविद्यालय मानी गई संस्था का एक कुलाधिपति होगा जो, उपस्थित रहने पर, विश्वविद्यालय मानी गई संस्था के दीक्षांत समारोहों की अध्यक्षता करेगा किन्तु मुख्य कार्यपालक अधिकारी नहीं होगा। कुलाधिपति, जो प्रायोजक सोसाइटी / न्यास कंपनी द्वारा नियुक्त किया जाएगा, 5 वर्षों की अवधि के लिए पद धारणा करेगा और एक और अवधि के लिए पात्र होगा। उपरोक्त विनियम वर्तमान में लागू विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (सम विश्वविद्यालय संस्थान) विनियम-2019 के विनियम 10.12.1 (i) एंव (ii) में भी यथावत् रखा गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (सम विश्वविद्यालय संस्थान) विनियम-2019 के विनियम 10.12.1 (i) एंव (ii) को नीचे उद्धतृ किया गया है:- (i) सम विश्वविद्यालय संस्थान में एक कुलाधिपति होगा, जो उपस्थित होने पर, सम विश्वविद्यालय संस्थान के दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करेगा परंतु वह मुख्य कार्यकारी अधिकारी नहीं होगा । (ii) कुलाधिपति, जिसे प्रायोजक निकाय द्वारा नियुक्त किया जाएगा, वह पद भार ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष की अवधि के लिए कार्यरत होगा तथा एक और कार्यकाल के लिए पात्र होगा। किन्तु वर्तमान में आपके द्वारा अनधिकृत रूप से प्रायोजक संस्थाओं से सम्मति किये बिना समविश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यों में अनावश्यक व अनधिकृत हस्तक्षेप किया जा रहा है। साथ ही साथ प्रायोजक संस्थाओं के संज्ञान में यह तथ्य भी आया है कि डॉ० सुनील कुमार, जिनको कुलपति द्वारा दिनांक 22.10.2022 को उनकी मूल संस्था हेतु, संस्था विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के कारण कार्यमुक्त कर दिया गया था, किन्तु आपके द्वारा अवैधानिक रूप से प्रशासनिक शक्तियों का उपयोग करते हुए, जो कि आप में निहित नहीं हैं, कुलपति के उपरोक्त आदेश को आपने अपने आदेश दिनांक 23.10.2022 के द्वारा निष्प्रभावी कर डॉ० सुनील कुमार को अवैधानिक रूप से कुलसचिव के पद पर कार्य करने हेतु अधिकृत किया। इस सम्बन्ध में आपको यह भी अवगत कराना है कि आपके द्वारा विधि विरूद्ध आदेश दिनांक 23.10.2022 के क्रम में डॉ० सुनील कुमार द्वारा समविश्वविद्यालय में
संस्था विरोधी गतिविधियों को अनावश्यक रूप से बढ़ावा दिया गया व अवैधानिक तरीके से कुलसचिव के पद पर कार्य किया गया तथा अवैधानिक तरीके से प्रायोजक संस्थाओं के आदेशों का पूर्णतः उल्लंघन कर भ्रामक सूचनाएं दी गईं। आपके द्वारा अवैधानिक रूप से समविश्वविद्यालय में दिनांक 18.07.2021 व पुनः दिनांक 28.12.2022 को शिक्षण व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की बैठक लेकर अवैधानिक प्रशासनिक आदेश पारित कर डॉ० सुनील कुमार को संस्था विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने में सहयोग किया और जानबूझकर आपके संरक्षण में डॉ० सुनील कुमार द्वारा प्रायोजक संस्थाओं के आदेशों का पूर्णतः उल्लंघन किया गया साथ ही साथ प्रायोजक संस्थाओं के संज्ञान में यह भी आया है कि प्रायोजक संस्थाओं के आदेशों के उल्लंघन में आपके द्वारा प्रो० रूप किशोर शास्त्री के विरूद्ध पदच्युत आदेश दिनांक 29.12.2022 अवैधानिक रूप से यू०जी०सी० विनियम-2019 व भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 (2) का उल्लंघन करते हुए केवल प्रायोजक संस्थाओं के आदेशों को निष्प्रभावी करने हेतु जानबूझकर किया गया है, जबकि प्रायोजक संस्थाओं के संज्ञान में यह तथ्य भी आया है कि आपके द्वारा दिनांक 28.12.2022 को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया और बिना किसी जांच के दिनांक 29.12.2022 को प्रो० रूप किशोर शास्त्री के विरूद्ध कुलपति पद से पदच्युत किये जाने का आदेश जारी कर दिया गया और इस सम्बन्ध में प्रायोजक संस्थाओं से कोई सम्मति भी नहीं ली गई। अत्यन्त खेद का विषय है कि आपके निर्देशों के अनुक्रम में डॉ० सुनील कुमार द्वारा भारी भीड ले जाकर प्रो० रूप किशोर शास्त्री को उनके कुलपति निवास से दिनांक 30.12.2022 को जबरन बेईज्जत कर परिवार समेत बाहर निकाल दिया गया, जो कि उपरोक्त कुकृत्य असंवैधानिक होने के साथ ही मानवता विरोधी भी है, आपके द्वारा ऐसा कृकृत्य किया गया, जिससे समविश्वविद्यालय व आर्य समाज की छवि धूमिल हुई है। अतः प्रायोजक संस्थाओं का यह सुनिश्चित मत है कि आपका गुरूकुल कांगडी (समविश्वविद्यालय) हरिद्वार के कुलाधिपति के पद पर बने रहना संस्था व आर्य समाज के हित में नहीं है। प्रायोजक संस्थाएं आपकी नियुक्ति प्राधिकारी होते हुए, आपके संस्था विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के कारण व आपके द्वारा समविश्वविद्यालय में प्रशासनिक शक्तियों को दुरूपयोग करने के कारण, जो कि आपके पद में निहित नहीं हैं, प्रायोजक संस्थाएं लोक हित में आपको तत्काल प्रभाव से समविश्वविद्यालय के कुलाधिपति पद से पदमुक्त करती हैं।
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