कुलपति ने कहा, सीएम साहब, प्रभारी कुलसचिव व पांच चिकित्सकों को दे दीजिए थोड़ी मोहलत
23 दिसंबर के शासन के पत्र के बाद 17 चिकित्सकों को मूल तैनाती में भेजा, 5 चिकित्सकों को रोके जाने को लिखा पत्र,देखें सभी आदेश व चिठ्ठी पत्री
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। शासन ने आयुर्वेद विवि को कहा, 22 चिकित्सकों की तत्काल सम्बद्धता खत्म कर मूल तैनाती में भेजिये। विवि ने कहा, 17 चिकित्सक रिलीव कर दिए बाकी पांच को कुछ समय तक यहीं कार्य करने दीजिए। मामला आयुर्वेद विवि में सम्बद्ध प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश कुमार अधाना को रोके जाने से जुड़ा है। इस बाबत कुलपति ने सीधे सीएम , मंत्री और सचिव को चिट्ठी लिख दी। चूंकि, पूर्व में हाईकोर्ट प्रभारी कुलसचिव डॉ अधाना को हटाने के बाबत आदेश कर चुका है। लिहाजा, कुलपति की यह ताजी चिठ्ठी सत्ता के गलियारोंमें चर्चा का विषय बनी हुई है।
उल्लेखनीय है कि बीते 23 दिसंबर को शासन की ओर से आयुर्वेद विवि में सम्बद्ध प्रभारी कुलसचिव समेत 22 चिकित्सकों की सम्बद्धता समाप्त करते हुए 24 घण्टे के अंदर मूल विभाग में कार्यभार ग्रहण करने के आदेश हुए थे (नीचे देखें खबर का लिंक)।
शासन के साफ आदेश के बाद मूल विभाग में भेजे जाने के बजाय स्वंय कुलपति प्रो.सुनील कुमार जोशी ने 24 घण्टे के अंदर ही प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश कुमार व 5 चिकित्सकों की सम्बद्धता बनाये रखने के बाबत सीएम व सचिव, आयुष शिक्षा को पत्र लिख दिया। पत्र में विवि में प्रवेशकाउंसिलिंग व संविदा भर्ती को मुख्य आधार बनाया गया है।
पत्र में लिखा है कि डॉ० राजेश कुमार, सम्बद्ध चिकित्साधिकारी, प्रभारी कुलसचिव के पद पर यथावत कार्य करने के दृष्टिगत विश्वविद्यालय की शैक्षणिक सत्र 2022-23 की प्रवेश प्रक्रिया (काउसिलिंग) गतिमान होने के कारण एवं शैक्षिक संवर्ग की संविदा भर्ती पूर्ण होने उपरान्त कार्यमुक्त कर दिया जायेगा।
अतः आपसे सादर अनुरोध है कि डॉ० राजेश कुमार सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों को प्रभारी कुलसचिव के पद पर यथावत कार्य करने की अनुमति प्रदान करने का कष्ट करें।
इसके अलावा पत्र में कहा गया है कि 17 सम्बद्ध चिकित्साधिकारी अपने मूल तैनाती स्थलो हेतु एकतरफा प्रस्थान कर चुके है, शेष 05 चिकित्साधिकारी को विश्वविद्यालय काउसिलिंग को देखते हुए एवं संविदा भर्ती पूर्ण होने के उपरान्त कार्यमुक्त कर दिया जायेगा
यहां यह भी गौरतलब है कि नैनीताल हाईकोर्ट कोर्ट में डॉ राजेश कुमार अधाना को हटाने का शपथ पत्र शासन ने दिया हुआ है। डॉ विनोद कुमार चौहान ने नैनीताल हाईकोर्ट में केस किया हुआ है। (देखें नीचे आदेश)
कोर्ट व शासन के आदेश के बाद आयुर्वेद विवि में प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश कुमार अधाना को आयुर्वेद विवि में ही रोके जाने के बाबत लिखे पत्र को लेकर कानाफूसी शुरू हो गयी है।
इस बीच, शासन के आदेश के बाद 17 चिकित्सक मूल तैनाती स्थल के लिए रिलीव कर दिए हैं। जबकि प्रभारी कुलसचिव डॉ राजेश कुमार अधाना समेत 5 चिकित्सकों को रिलीव नहीं किया गया। इन चिकित्सकों की आयुर्वेद विवि में सम्बद्धता बनाये रखने की कोशिशें जारी है।

सचिव,
आयुष एवं आयुष शिक्षा,
उत्तराखण्ड शासन, देहरादून।
विषय :-
डॉ० राजेश कुमार, सम्बद्ध चिकित्साधिकारी को प्रभारी कुलसचिव के पद पर यथावत कार्य करने हेतु अनुमति प्रदान करने विषयक।
महोदय,
उपरोक्त विषयक शासन के पत्रांक 2659/XL-1/2022-175/2010 T.C.-5 दिनांक 23 दिसम्बर 2022 के क्रम में सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों की सम्बद्धता के सम्बन्ध में अवगत कराना है कि शासन के आदेश संख्या 2604/XL-1/2022-175/2010 T.C-5 दिनांक 17 दिसम्बर 2022 एवं निदेशक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाये, उत्तराखण्ड के पत्र संख्या 9811-20 / जी 125/2022-23/अधि दिनांक 17 दिसम्बर 2022 के सम्बन्ध में संज्ञान में आया है कि 22 सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों में से 17 सम्बद्ध चिकित्साधिकारी एकतरफा कार्यमुक्त होकर अपने मूल तैनानी स्थान हेतु प्रस्थान कर चुके है एवं डॉ० राजेश कुमार, सम्बद्ध चिकित्साधिकारी, प्रभारी कुलसचिव के पद पर यथावत कार्य करने के दृष्टिगत विश्वविद्यालय की शैक्षणिक सत्र 2022-23 की प्रवेश प्रक्रिया (काउसिलिंग) गतिमान होने के कारण एवं शैक्षिक संवर्ग की संविदा भर्ती पूर्ण होने उपरान्त कार्यमुक्त कर दिया जायेगा।
अतः आपसे सादर अनुरोध है कि डॉ० राजेश कुमार सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों को प्रभारी कुलसचिव के पद पर यथावत कार्य करने की अनुमति प्रदान करने का कष्ट करें।
भवदीय
(प्रो० सुनील कुमार जोशी)

मा० मुख्यमंत्री / मा० आयुष मंत्री, उत्तराखण्ड सरकार, देहरादून ।
विषय :-
विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों की शैक्षणिक सत्र 2022-23 की सशर्त मान्यता प्राप्त होने के कारण सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों की सम्बद्धता यथावत रखे जाने विषयक।
महोदय,
उपरोक्त विषयक शासन के पत्रांक 2604/XL-1 / 2022-175/2010 T.C.-5 दिनांक 17 दिसम्बर 2022 एवं निदेशक, आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाये, उत्तराखण्ड के पत्र संख्या 9811-20/जी-125/2022-23/अधि दिनांक 17 दिसम्बर 2022, एवं पुन: शासन के पत्रांक 2659/XL-1/2022-175/2010 T.C.-5 दिनांक 23 दिसम्बर 2022 के क्रम में जो कुलपति / कुलसचिव, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय एवं सम्बन्धित परिसर निदेशक को पृष्ठांकित है, के क्रम में आपको सादर अवगत कराना है कि वर्तमान में विश्वविद्यालय के परिसरों में सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों को भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (NCISM) नई दिल्ली के मानको की पूर्ति हेतु शैक्षणिक सत्र 2022-23 में शिक्षक एवं चिकित्साधिकारी पदो के सापेक्ष दर्शाया गया था। जिसके फलस्वरूप विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों की शैक्षणिक सत्र 2022-23 की सशर्त मान्यता दिनांक 21 दिसम्बर 2022 को प्राप्त हो चुकी है। तथा विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर विभागों में नये विषयों को संचालित करने हेतु Letter of Intent (Lol) प्राप्त हो चुका है। शीघ्र ही नये स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने हेतु Letter of Permission (LoP) प्राप्त होनी है। विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों (ऋषिकुल एवं गुरुकुल परिसर, हरिद्वार तथा आयुर्वेद संकाय, मुख्य परिसर, देहरादून) की NCISM के अन्तर्गत शैक्षणिक सत्र 2022-23 की सशर्त मान्यता को बनाये रखने के लिए सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों की सम्बद्धता यथावत रखा जाना अति आवश्यक है।
भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (NCISM) द्वारा इंगित शैक्षणिक संवर्ग के रिक्त पदों को भरे जाने हेतु विश्वविद्यालय द्वारा विज्ञप्ति संख्या 2713/ उ०आ०वि० / अधि० / विज्ञप्ति / 2022-23 दिनांक 17 दिसम्बर 2022 समाचार पत्रों में प्रकाशित की गयी हैं। साथ ही गैर शैक्षणिक / चिकित्सालय संवर्ग के रिक्त पदों को नितान्त अस्थाई व्यवस्थान्तर्गत भरे जाने हेतु उपनल को भी पत्र संख्या 2733 / उ०आ०वि० / अधि0 / 2022-23 दिनांक 19 दिसम्बर 2022 प्रेषित किया गया है।
P.T.O.

अतः आपसे सादर अनुरोध है कि शेष 05 सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों को विश्वविद्यालय के परिसरों की मान्यता को बनाये रखने के दृष्टिगत तथा छात्रहित एवं जनहित को देखते हुए विश्वविद्यालय में सम्बद्धता यथावत बनाये रखने पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहे ।
संलग्नक : यथोपरि ।
भवदीय
(प्रो० सुनील कुमार जोशी)
कुलपति
ये है 23 दिसंबर के शासन का आदेश

मा० उच्च न्यायालय, उत्तराखंड, नैनीताल द्वारा रिट याचिका संख्या-610 / 2022 डॉ० विश्वजीत मांझी बनाम उत्तराखंड राज्य में दिनांक – 15.12.2022 को निम्नवत् आदेश पारित किये गये हैं- “Since the petitioner has been put to notice today that his attachment stands cancelled, in case he resumes his duties with the Government within the next one week, he shall be paid his salary by the Government from the date of his joining regularly. In case, the petitioner seeks that he be relieved by the University, the University shall relieve the petitioner without any delay.”
2- आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारियों का नियुक्ति प्राधिकारी शासन है। अतः विद्यमान नियमों में नियुक्ति प्राधिकारी को निहित अधिकारों का प्रयोग करते हुये शासन द्वारा मा० न्यायालय द्वारा पारित उपरोक्त आदेशों के समादर एवं उत्तराखंड कर्मचारी आचरण नियमावली के संगत प्राविधानों के परिपालनार्थ शासन स्तर पर सम्यक विचारोपरांत उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में सम्बद्ध समस्त राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारियों की शासन द्वारा सम्बद्धता समाप्त किये जाने के फलस्वरूप उक्त चिकित्साधिकारियों को बिना किसी कार्यमुक्ति आदेश की प्रतिक्षा किये बिना उनकी मूल तैनाती स्थल पर 24 घंटों में कार्यभार ग्रहण करने हेतु निर्देशित किया जाता है। अतः समस्त आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी उक्त निर्धारित अवधि में आदेशों का परिपालन सुनिश्चित करें।
3- उक्त आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारियो द्वारा अपने मूल तैनाती स्थल पर योगदान देने के उपरान्त ही उनके वेतन आहरण के आदेश शासन स्तर से निर्गत किये जायेगें। मा० उच्च न्यायालय द्वारा वादी श्री विश्वजीत मॉझी को शासन के आदेशों के अनुपालन कर अपने मूल तैनाती स्थल पर एक सप्ताह के भीतर योगदान प्रस्तुत करने की तिथि से वेतन देने के आदेश निर्गत किये गये हैं। अतः शासकीय आदेशों के साथ ही मा० उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन किया जाना भी समस्त सम्बद्ध चिकित्साधिकारियों के लिय बाध्यकारी है।
4- अतः उक्त के आलोक में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से सम्बद्धता समाप्त किये गये समस्त राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारियों को आदेशित किया जाता है कि मा० उच्च न्यायालय, उत्तराखंड, नैनीताल द्वारा रिट याचिका संख्या-610/2022 डॉ० विश्वजीत मांझी बनाम उत्तराखंड राज्य के सन्दर्भ में पारित आदेश दिनांक 15.12.2022 का सन्दर्भ लेते हुए शासन के आदेश दिनांक 25.01.2022, 30.05.2022 एवं 17.12.2022 का समयबद्ध अनुपालन करना सुनिश्चित करें।
( गजेन्द्र सिह कफलिया) उप सचिव

नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश,देखें बिंदु 8

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आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों की उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी से सम्बद्धता समाप्त

