बांग्लादेशी शरणार्थियों को आवंटित भूमि पट्टे पर मिला मालिकाना हक

विधानसभा में धामी सरकार ने उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 ) (संशोधन) विधेयक, 2023 व सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 में किया संशोधन

1971 या इससे पूर्व आये बांग्लादेशी शरणार्थियों को जिला उधमसिंहनगर के 17 गांवों में भूमि पट्टे आवंटित किए गए थे। बचे रुद्रपुर ब्लाक के शरणार्थियों को अब मिला मालिकाना हक.

अविकल उत्तराखण्ड

गैरसैंण। पूर्वी पाकिस्तान से 1971 या उससे पहले आये बांग्लादेशी शरणार्थियों को आवंटित पट्टे की जमीन को कानूनी तौर पर वैध घोषित करते हुए मालिकाना हक दिया गया है। सरकार ने इस बाबत बुधवार को विधानसभा में उत्तराखण्ड जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था (संशोधन) विधेयक पेश किया। साथ ही 17 ग्रामों में आवंटित पट्टों को कानूनी अमलीजामा पहनाने के लिए सरकारी अनुदान अधिनियम 1895 में भी संशोधन किया।

गौरतलब है कि मार्च 2023 को धामी कैबिनेट ने फैसला किया था कि रूद्रपुर में बसे बांग्लादेशी शरणार्थियों को भूमि के पट्टे पर मालिकाना हक दिया जाएगा। हालांकि, पूर्व सीएम विजय बहुगुणा सरकार ने जिले के अधिकांश बांग्लादेशी शरणार्थियों को पट्टे की भूमि पर मालिकाना हक दे दिया था। रुद्रपुर ब्लाक में यह कार्य नहीं हो पाया था।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जनपद उधमसिंहनगर के सीमान्तर्गत वह भूमि जो वर्ष 1971 अथवा उससे पूर्व बांग्लादेश (पूर्ववर्ती पूर्वी पाकिस्तान) से भारत आये शरणार्थियों को जिन्हें भारत सरकार के पुनर्वास योजना के अन्तर्गत गवर्नमेंट ग्रान्ट एक्ट, 1895 के अन्तर्गत जिला पुनर्वास कार्यालय, बरेली और जिला पुनर्वास कार्यालय, रूद्रपुर (पूर्ववर्ती जिला नैनीताल) वर्तमान जिला उधमसिंहनगर द्वारा सितारगंज, जनपद ऊधमसिंहनगर के 17 ग्रामों को आवंटित पट्टों के विधिमान्यकरण किये जाने पर कठिनाइयों का समाधान हो जायेगा

इन भूमि के पट्टों को कानूनी रूप देने के लिए सदन में सरकारी अनुदान अधिनियम में संशोधन पेश करते हुए कहा गया कि भारत सरकार की पुनर्वास योजना के अन्तर्गत सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 के अन्तर्गत जिला पुनर्वास कार्यालय, बरेली और जिला पुनर्वास कार्यालय, रूद्रपुर (पूर्ववर्ती जिला नैनीताल) वर्तमान जिला उधमसिंहनगर द्वारा पट्टे पर भूमि आवंटित की गयी थी तथा मूल पट्टेदारों की सहमति से अन्य व्यक्ति जो 09.01.2000 से पूर्व कब्जा प्राप्त कर इस भूमि पर काबिज हों, ऐसे पट्टेदारों को विधिमान्य किये जाने हेतु उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में (सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 ) की धारा 3 में संशोधन अपरिहार्य है।

संशोधन में कहा गया है कि मूल पट्टेदार की सहमति से अन्य व्यक्ति जो 9 जनवरी 2000 से पूर्व कब्जा प्राप्त कर इस भूमि पर काबिज हों तथा जिन्होंने वर्ष 2013 को प्रवृत्त सर्किल रेट के आधार पर आंकलित कब्जे की भूमि का मूल्य राजकोष में जमा कर दिया गया हो एवं राज्य सरकार द्वारा विहित अन्य शर्तों का अनुपालन करने वाले व्यक्ति का ऐसी भूमि का पट्टा अपने तात्पर्य के अनुसार प्रभावी होगा” ।इस अधिनियम की धारा 2 द्वारा मूल अधिनियम में किये गये संशोधन दिनांक 27.01.2014 से किये गये समझे जाएंगे

उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 ) (संशोधन) विधेयक, 2023 (उत्तराखण्ड विधेयक संख्याः वर्ष, 2023)

इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 ) (संशोधन) अधिनियम, 2023 है।

उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950 ) ( अधिनियम संख्या 1 वर्ष 1951 ) (अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश, 2001 ) ( जिसे इसके पश्चात मूल अधिनियम कहा गया है) की धारा 2 की उपधारा (1) में खण्ड (छ) के स्थान निम्नलिखित खण्ड रख दिया जायेगा, अर्थात्ः- पर

*(छ) जनपद उधमसिंह नगर की सीमान्तर्गत वह भूमि जो 1971 अथवा उससे पूर्व बांग्लादेश (पूर्ववर्ती पूर्वी पाकिस्तान) से भारत आये शरणार्थियों को, जिन्हें भारत सरकार की पुनर्वास योजना के अन्तर्गत गवर्नमेंट ग्रान्ट एक्ट के अधीन जिला पुनर्वास कार्यालय, बरेली और जिला पुनर्वास कार्यालय, रूद्रपुर (पूर्ववर्ती जिला नैनीताल) वर्तमान जिला उधमसिंहनगर द्वारा पट्टे पर आवंटित की गयी थी । “

मूल अधिनियम की धारा 130 के खण्ड (घ) के स्थान पर निम्नलिखित खण्ड रख दिया जायेगा, अर्थात्ः-

*(घ) पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से वर्ष 1971 से पूर्व भारत आए शरणार्थी और जिन्हें वर्ष 1980 से पूर्व भारत सरकार की पुनर्वास योजना के अन्तर्गत तत्कालीन जिला नैनीताल (वर्तमान जिला उधमसिंहनगर) की भौगोलिक सीमा के अन्तर्गत कृषि हेतु सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 के अधीन जिला पुनर्वास कार्यालय, बरेली और जिला पुनर्वास कार्यालय, रूद्रपुर (पूर्ववर्ती जिला नैनीताल) वर्तमान जिला उधमसिंहनगर द्वारा भूमि पट्टे पर आवंटित की गयी थी और इन पट्टाग्रस्त भू-खण्डों पर मूल पट्टेदार की सहमति से अन्य व्यक्तियों द्वारा दिनांक 09.01.2000 से पूर्व कब्जा प्राप्त कर इस भूमि पर काबिज हों तथा जिन्होंने वर्ष 2013 को प्रवृत्त सर्किल रेट के आधार पर आंकलित कब्जे की भूमि का मूल्य राजकोष में जमा कर दिया हो एवं राज्य सरकार द्वारा विहित अन्य शर्तों का अनुपालन करने वाले ऐसे व्यक्ति ।”

इस अधिनियम की धारा 2 एवं 3 द्वारा मूल अधिनियम में किये गये संशोधन दिनांक 27.01.2014 से किये गये समझे जाएंगे और तद्नुसार उक्त तारीख को या उसके पश्चात् और इस अधिनियम के प्रारम्भ के पूर्व मूल अधिनियम के अधीन की गई या की जाने के लिए तात्पर्यत कार्रवाई या किसी बात के होते हुए भी सभी प्रयोजनों के लिए उतनी ही विधिमान्य और प्रभावी रूप से प्रवृत्त होगी।

सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 में किया संशोधन

जनपद उधमसिंहनगर के सीमान्तर्गत वह भूमि जो वर्ष 1971 अथवा उससे पूर्व बांग्लादेश (पूर्ववर्ती पूर्वी पाकिस्तान) से भारत आये शरणार्थियों को जिन्हें भारत सरकार की पुनर्वास योजना के अन्तर्गत सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 के अन्तर्गत जिला पुनर्वास कार्यालय, बरेली और जिला पुनर्वास कार्यालय, रूद्रपुर (पूर्ववर्ती जिला नैनीताल) वर्तमान जिला उधमसिंहनगर द्वारा पट्टे पर भूमि आवंटित की गयी थी तथा मूल पट्टेदारों की सहमति से अन्य व्यक्ति जो दिनांक 09.01.2000 से पूर्व कब्जा प्राप्त कर इस भूमि पर काबिज हों, ऐसे पट्टेदारों को विधिमान्य किये जाने हेतु उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में (सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 ) की धारा 3 में संशोधन अपरिहार्य है।

सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 ( उत्तराखण्ड संशोधन) विधेयक, 2023 (उत्तराखण्ड विधेयक संख्याः वर्ष, 2023)

सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 (अधिनियम संख्या 15 वर्ष, 1895 ) में उत्तराखण्ड राज्य के परिप्रेक्ष्य में अग्रेत्तर संशोधन करने के लिए, इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 ( उत्तराखण्ड संशोधन) अधिनियम, 2023 है ।

सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 ( उ०प्र० संशोधन) अधिनियम, 1860 (जिसे इसके पश्चात मूल अधिनियम कहा गया है) में धारा 3 के पश्चात निम्नलिखित स्पष्टीकरण ( क ) एवं (ख) अंतःस्थापित कर दिये जायेंगे, अर्थात्ः-

स्पष्टीकरण (क ) “ऐसे पट्टेदारों को विधिमान्य पट्टेदार समझा जायेगा अर्थात् ऐसे पट्टेदारों के पट्टे विधिक रूप से मान्य होंगे जिन्हें मूल अधिनियम की धारा 3 के अधीन जनपद उधमसिंहनगर के सीमान्तर्गत पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से वर्ष 1971 से पूर्व भारत आये शरणार्थी और जिन्हें वर्ष 1980 से पूर्व भारत सरकार की पुनर्वास योजना के अन्तर्गत तत्कालीन जिला नैनीताल (वर्तमान में जिला उधमसिंहगनर) की भौगोलिक सीमा के अन्तर्गत कृषि हेतु जिला पुनर्वास कार्यालय, बरेली और जिला पुनर्वास कार्यालय, रूद्रपुर (पूर्ववर्ती जिला नैनीताल) वर्तमान जिला उधमसिंहनगर द्वारा भूमि पट्टे पर आवंटित की गयी एवं राज्य सरकार द्वारा विहित अन्य शर्तों का अनुपालन करने वाले व्यक्ति ।”

स्पष्टीकरण (ख) “ऐसे पट्टेदारों को विधिमान्य पट्टेदार समझा जायेगा अर्थात् ऐसे पट्टेदारों के पट्टे विधिक रूप से मान्य होंगे जिन्हें मूल अधिनियम की धारा 3 के अधीन जनपद उधमसिंहनगर के सीमान्तर्गत पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से वर्ष 1971 से पूर्व भारत आये शरणार्थी और जिन्हें वर्ष 1980 से पूर्व भारत सरकार के पुनर्वास योजना के अन्तर्गत तत्कालीन जिला नैनीताल (वर्तमान में जिला ऊधमसिंहगनर) की भौगोलिक सीमा के अन्तर्गत कृषि हेतु जिला पुनर्वास कार्यालय, बरेली और जिला पुनर्वास कार्यालय, रूद्रपुर (पूर्ववर्ती जिला नैनीताल) वर्तमान जिला उधमसिंहनगर द्वारा भूमि पट्टे पर आवंटित की गयी तथा मूल पट्टेदार की सहमति से अन्य व्यक्ति जो दिनांक 09.01.2000 से पूर्व कब्जा प्राप्त कर इस भूमि पर काबिज हों तथा जिन्होंने वर्ष 2013 को प्रवृत्त सर्किल रेट के आधार पर आंकलित कब्जे की भूमि का मूल्य राजकोष में जमा कर दिया गया हो एवं राज्य सरकार द्वारा विहित अन्य शर्तों का अनुपालन करने वाले व्यक्ति का ऐसी भूमि का पट्टा अपने तात्पर्य के अनुसार प्रभावी होगा” । इस अधिनियम की धारा 2 द्वारा मूल अधिनियम में किये गये संशोधन दिनांक 27.01.2014 से किये गये समझे जाएंगे और तद्नुसार उक्त तारीख को या उसके पश्चात् और इस अधिनियम के प्रारम्भ के पूर्व मूल अधिनियम के अधीन की गई या की जाने के लिए तात्पर्यित कार्रवाई या किसी बात के होते हुए भी सभी प्रयोजनों के लिए उतनी ही विधिमान्य और प्रभावी रूप से प्रवृत्त होगी ।

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