बजट में नये टैक्स स्लैब से मध्यम वर्ग और नौकरी पेशा को काफी राहत -सीएम धामी
मध्यम वर्ग को शहद में लिपटी कड़वी गोलियों के अतिरिक्त कुछ नहीं. यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष
वेतनभोगी कर्मचारियों में असमंजस व निराशा-कर्मचारी संगठन
अविकल उत्तराखण्ड
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अमृत काल के केंद्रीय बजट 2023 -24 पेश करने में लिए वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।
2014 से सरकार के प्रयासों से प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़कर 1.97 लाख रुपये हो गई है। इन 9 वर्षों में, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में बढ़ी है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने प्रधानमन्त्री के सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर बजट पेश किया है। समावेशी विकास,वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे और निवेश, क्षमता विस्तार, हरित विकास, युवा शक्ति, और वित्तीय क्षेत्र को समर्पित ये बजट, अमृत काल के विजन को बताता है। यह अमृत काल का पहला बजट है। इस बजट में किसान, मध्य वर्ग, महिला से लेकर समाज के सभी वर्गो के विकास की रूपरेखा है।
केन्द्रीय बजट 2023-24 देश के समावेशी विकास और आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने वाला है।
बजट में खाद्य और पोषण सुरक्षा को सुनिश्चित रखते हुए अगले 1 वर्ष तक सभी प्राथमिकता वाले परिवारों को मुफ्त अनाज की आपूर्ति का निर्णय अत्यन्त सराहनीय है। बजट में राज्यों को 50 साल का ब्याज मुक्त कर्ज एक और साल के लिए बढ़ाया गया है। ये केंद्र की टीम इंडिया की भावना को बताता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि कोष बनाया जाएगा। अगले 3 वर्षों में 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए सहायता मिलेगी। पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान देने के साथ कृषि कर्ज लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा। इससे देश के साथ ही उत्तराखंड राज्य के किसानों, बागवानों, पशुपालको और मत्स्य पालकों को भी लाभ मिलेगा।
जनजातीय समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए पीएम पीवीटीजी विकास मिशन शुरू किया जाएगा। राज्यों की सक्रिय भागीदारी, सरकारी और सार्वजनिक पार्टनरशिप के साथ मिशन मोड पर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार किया जाएगा। उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था के लिए पर्यटन का महत्त्व बहुत अधिक है। निश्चित रूप बजट में पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए की जा रही पहल प्रदेश में पर्यटन विकास में काफी सहायक सिद्ध होगी। वाइब्रेंट विलेज के माध्यम से सीमावर्ती गांवों के विकास पर फोकस किया जायेगा। इससे राज्य के सीमावर्ती गांवों को भी लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि बजट में नया टैक्स स्लैब लाया गया है। इससे मध्यम वर्ग और नौकरी पेशा को काफी राहत मिलेगी। आयकर छूट का दायरा बढ़ाया गया। यह बजट हमारे वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए भी खास रहा है। वरिष्ठ नागरिक खाता स्कीम की सीमा अब 4.5 लाख से बढ़कर 9 लाख की जाएगी।
महिलाओं के लिए नई बचत योजना की घोषणा की गई है। इसमें महिलाओं को 2 लाख की बचत पर 7.5% का ब्याज़ मिलेगा। बजट में जहां गरीबों, मध्यम वर्ग, महिलाओं, युवाओं, उद्यमियों किसानों, शिल्पकारों, वरिष्ठ नागरिकों सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है, वही इकोनॉमी की मजबूती और रक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कुल मिलाकर कहा जाए तो यह बजट सच्चे मायनों में अमृत काल का बजट है। युवाओं, महिलाओं, किसानों, गरीबों, मध्यम वर्ग का बजट है। आशा ही नही, पूर्ण विश्वास है कि उत्तराखण्ड राज्य तथा प्रदेशवासी बजट से पूर्णतः लाभान्वित होंगे।
मध्यम वर्ग को शहद में लिपटी कडवी गोलियों के अतिरिक्त कुछ नहीं. यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष
शिक्षा बजट घटाकर 2.64 % से 2.5 % करना दुर्भाग्यपूर्ण
स्वास्थ्य बजट घटाकर 2.2 % से 1.98 % करना हानिकारक
1.बढती बेरोजगारी
किसानों की दुर्दशा
गगनचुंबी मंहगाई, और
छोटे मझोले उद्योगों के अस्तित्व पर संकट
इन सबके लिए बजट में कुछ भी नहीं।
कृषि, पब्लिक हेल्थ, शिक्षा, मनरेगा, फ़ूड सिक्यूरिटी व सामाजिक सरोकारों, जन कल्याण के बजट आवंटन पिछले वर्ष की तुलना में कम किए गए!
जो किसान-मजदूर, गरीबों, पिछड़ों, दलितों आदिवासियों के लिए खतरे की घंटी!
मध्यम वर्ग को शहद में लिपटी कडवी गोलियों के अतिरिक्त कुछ नहीं. आयकर सुधार उस नयी व्यवस्था में जिसमें छूट देने के प्रावधान नहीं. अमृत काल में उद्योगपतियों को ओर रियायतें लेकिन असंगठित क्षेत्र की उपेक्षा जारी है।
वेतनभोगी कर्मचारियों में असमंजस व निराशा-कर्मचारी संगठन
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखण्ड के प्रदेश अध्यक्ष अरूण पांडे ने कहा कि वित्तमंत्री द्वारा आयकर दाताओं को जो छूट प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है वह मात्र नई कर प्रणाली के अन्तर्गत आयकर जमा करने वाले करदाताओं के लिए ही प्रतीत हो रहा है। इस प्रकार बजट में छूट के किये गये प्राविधान का लाभ पुरानी कर व्यवस्था के अन्तर्गत आयकर जमा करने वाले लोगों को नहीं प्राप्त होगा।
इससे वेतनभोगी कर्मचारियों में असमंजस व निराशा का भाव उत्पन्न हो रहा है। असमंजस अब उन्हें नयी कर व्यवस्था अथवा पुरानी कर व्यवस्था का तुलनान्तमक अध्यन करने के उपरान्त ही यह निर्णय लेना होगा कि उन्हें कौन सी कर प्रणाली के अन्तर्गत आयकर जमा करना है।
निराशा इस बात से है कि वेतनभोगी कार्मिकों द्वारा की जा रही लागातार मांग के बावजूद आयकर से छूट का दायरा एक तो मात्र नई कर प्रणाली के लिए प्रस्तावित किया गया है वरन् साथ ही किये गये प्रस्ताव से भी कोई बहुत अधिक राहत वेतनभोगी कार्मिकों को नहीं मिलती दिख रही है।
पांडे ने प्रदेश के कार्मिकों की तरफ से मांग की है कि संसद में प्रस्तुत प्रस्ताव में संशोधन करते हुए सात लाख के स्थान पर रूपये दस लाख तक की आय को दोनों कर प्रणालियों के लिए कर मुक्त घोषित किया जाय। साथ ही बचत की कुल सीमा में भी बढोत्तरी की जाय।
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