गैरसैंण के बजट सत्र में पेश CAG की रिपोर्ट में कई विभागों की “चूक” उजागर

31 मार्च 2020 एवं 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष की लेखापरीक्षा रिपोर्ट में खनन समेत अन्य सेक्टर में वित्तीय गड़बड़ी.सरकार को करोड़ों के राजस्व की हानि

अविकल उत्तराखण्ड

गैरसैंण। बजट सत्र में सरकार ने बुधवार को नियंत्रक एवम महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट पेश की गई।

31 मार्च 2020 एवं 31 मार्च 2021 को समाप्त हुए वर्ष की लेखापरीक्षा प्रतिवेदन में कई विभागों की अनियमितता का उल्लेख किया गया है। 210 पेज की रिपोर्ट में खनन ठेकेदारों पर जुर्माना न लगाकर करोड़ों के राजस्व की हानि हुई। संस्कृति विभाग,वनाग्नि, वृद्धावस्था पेंशन, हेली कम्पनियों, टीडीएस, अर्थदंड वसूलने में विफलता का प्रमुखता से जिक्र किया गया है।

CAG Report

अध्याय-2 : गैर-सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के विभागों और संस्थाओं से संबंधित अनुपालन लेखापरीक्षा

टिप्पणियाँ

उत्तराखण्ड में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के कार्यान्वयन पर विषय विशिष्ट अनुपालन लेखापरीक्षा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रकोष्ठ द्वारा राज्य स्तर पर कार्यान्वित की जा रही प्रत्यक्ष लाभ अंतरण लागू

योजनाओं और कार्यक्रमों का विश्लेषण और पहचान नहीं की गई। लेखापरीक्षा अवधि के दौरान विभिन्न योजनाओं में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के कार्यान्वयन की प्रगति स्थिर रही। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण अधिदेश को पूरा करने हेतु राज्य में कोई भी सार्वभौमिक लाभार्थी डेटाबेस उपलब्ध नहीं था। लाभार्थी प्रबंधन प्रणाली, आधार और बैंक खाता संख्या के सत्यापन / प्रमाणीकरण में कमी, लाभार्थियों की गलत प्रविष्टियों और पेंशन बकाये की गणना के लिए कोई विकल्प नहीं होने जैसी कार्यात्मक अक्षमताओं के साथ चल रही थी। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण का कार्यान्वयन बिना किसी संरचनात्मक / प्रक्रियागत पुनर्रचना के किया गया था। लाभ वितरण हेतु आधार को प्रमाणीकरण के सबूत के रूप में मांगे जाने के लिए राज्य सरकार को शक्ति प्रदान करने हेतु 221 प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजनाओं में से 113 को ‘उत्तराखण्ड आधार अधिनियम, 2017 की धारा 4 के अन्तर्गत अधिसूचित किया गया था। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रकोष्ठ द्वारा कोई शिकायत निवारण तंत्र विकसित नहीं किया गया था।

लाभार्थी प्रबंधन प्रणाली की अक्षमताओं के परिणामस्वरूप पेंशन योजनाओं में और उनके मध्य, दोनों में, एक से अधिक पेंशनभोगियों के विद्यमान होने के दृष्टांत मौजूद हैं। पेंशन के भुगतान में विलंब, पेंशन के अधिक/ कम भुगतान और मृत व्यक्तियों को पेंशन आदि के दृष्टांत थे। अपात्र जनसंख्या, जो पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करती थी, को गलत तरीके से पेंशन योजनाओं में सम्मिलित किया गया था और इसके लिए योजना के डिजाइन की कमियों, कमजोर प्रक्रिया नियंत्रण और त्रुटिपूर्ण प्रक्रियाओं को उत्तरदायी ठहराया जा सकता था। लाभार्थियों की पहचान के लिए सर्वेक्षण की कमी और आवेदन प्रपत्रों के उचित सत्यापन का भी अभाव था। इसके परिणामस्वरूप, पति और पत्नी दोनों लगातार वृद्धावस्था पेंशन प्राप्त कर रहें थे।

वनाग्नि प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग / जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम के प्रभावी उपयोग पर विषयः

विशिष्ट अनुपालन लेखापरीक्षा

राज्य वन विभाग द्वारा रिमोट सेंसिंग का उपयोग कर अग्नि जोखिम क्षेत्रीकरण तैयार किए गए, जिसमें वनों को वनाग्नि के प्रति उनकी संवेदनशीलता के आधार पर वर्गीकृत किया गया। तथापि इस वर्गीकरण का उपयोग संसाधन आवंटन के आधार के रूप में नहीं किया गया था, परिणामस्वरूप निधियों का गलत आवंटन हुआ । अग्नि संभावित क्षेत्रों में बुनियादी सुरक्षा उपकरणों का अभाव था। भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा सृजित अग्नि चेतावनी पर तत्काल फीडबैक प्रस्तुत करने की व्यवस्था

होने के बावजूद विभाग ने भारतीय वन सर्वेक्षण को अग्नि चेतावनी पर फीडबैक नहीं दिये थे। विभागीय प्रतिवेदन प्रणाली अर्थात फॉरेस्ट फायर रिपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम में प्रभागों द्वारा अपलोड किये गए फीडबैक आँकड़ों के विश्लेषण में गंभीर अशुद्धियों का पता चला और इस तथ्य पर संदेह उत्पन्न हुआ कि क्या चेतावनियों की स्थलीय सत्यता वास्तव में वन कार्मिकों द्वारा की जा रही थी। स्वतंत्र विशेषज्ञ संगठनों के आँकड़ों के साथ तुलना में, जले हुए क्षेत्र की कम रिपोर्टिंग और तदनुसार कम आर्थिक क्षति का आकलन पाया गया। 2015 में राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र के साथ समझौता ज्ञापन होने के बावजूद विभाग द्वारा आग लगने के बाद, जले हुए क्षेत्र का आकलन मैन्युअल रूप से किया जा रहा था, जिसके परिणामस्वरूप जले हुए क्षेत्र की कम रिपोर्टिंग हुई।

लेखापरीक्षा प्रस्तर

₹2.69 करोड़ के संचालन शुल्क की वसूली करने में विफलता

उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण हेली कंपनियों से संचालन शुल्क के रूप में ₹ 2.69 करोड़ की धनराशि वसूल करने में विफल रहा।

कमजोर आंतरिक नियंत्रण के कारण ₹ 63.62 लाख का दोहरा भुगतान कमजोर आंतरिक नियंत्रण एवं दोहरे भुगतान हेतु उत्तरदायी अधिकारियों / कर्मचारियों की उदासीनता के कारण उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण को ₹ 63.62 लाख की हानि वहन करनी पड़ी। गणमान्य व्यक्तियों को हेलीकाप्टर सेवाएँ प्रदान करते हुए, उत्तराखण्ड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण ने इन सेवाओं के लिए मूलभूत अभिलेखों/पंजिका/स्वीकृतियों का रख-रखाव नहीं किया।

निष्फल व्यय

संस्कृति विभाग द्वारा खराब वित्तीय प्रबंधन के परिणामस्वरूप ₹ 57.61 लाख का निष्फल व्यय तथा ₹ 31.52 लाख की देयताओं का सृजन हुआ।

ठेकेदार को अदेय लाभ

अधिशासी अभियंता, पी एम जी एस वाई, सिंचाई खण्ड, कोटद्वार की लापरवाही के परिणामस्वरूप ठेकेदार को ₹ 78.91 लाख का अदेय लाभ |

राजस्व की हानि

मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद तथा अधिशासी अभियंता, सिचाई खण्ड, हरिद्वार द्वारा उचित स्टाम्प शुल्क एवं पंजीकरण शुल्क अधिरोपित न किए जाने के कारण राजकोष को ₹ 49.81 लाख के राजस्व की हानि हुई।

अध्याय 3: राजस्व विभागों से संबंधित अनुपालन लेखापरीक्षा टिप्पणियाँ

जिला देहरादून में खनन गतिविधियों पर विषय विशिष्ट अनुपालन लेखापरीक्षा

लेखापरीक्षा ने रिमोट सेंसिंग और जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम तकनीक की मदद से तीन नमूना खनन स्थलों पर अवैध खनन के साक्ष्य पाये। संयुक्त भौतिक सत्यापन के माध्यम से अवैध खनन के तथ्य की पुष्टि हुई। देहरादून में सरकार की अपनी निर्माण एजेंसियों द्वारा 37.17 लाख मीट्रिक टन “अवैध खनन सामग्री” का उपयोग किया गया था। लेखापरीक्षा ने सरकार के अभिवहन पासों की अविश्वसनीयता का खुलासा किया। बड़ी संख्या में निष्क्रिय / अक्रियाशील खदाने अवैध खनन के जोखिम को बढ़ा रही थीं।

भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई, जिला कलेक्टर, पुलिस विभाग, वन विभाग एवं परियोजना प्रस्तावक और गढ़वाल मंडल विकास निगम लिमिटेड जैसी सभी सरकारी एजेंसियां सामूहिक रूप से अवैध खनन को रोकने और उसका पता लगाने में विफल रहीं। भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई, भारत सरकार की खनन निगरानी प्रणाली नामक पहल को विगत पाँच वर्षों से अधिक समय से लागू करने में विफल रही।

लेखापरीक्षा प्रस्तर

अर्थदण्ड के आरोपण में विफलता

बागेश्वर और चमोली के जिला खनन अधिकारियों द्वारा अवैध खनन भण्डारण पर अर्थदण्ड आरोपित करने में विफलता के कारण ₹1.24 करोड़ की राजस्व हानि।

उप खनिजों के अतिरिक्त भण्डारण पर अर्थदण्ड का अनारोपण/न्यूनारोपण

उप खनिजों के अतिरिक्त भण्डारण पर अर्थदण्ड के अनारोपण / न्यूनारोपण के कारण विभाग को ₹ 2.72 करोड़ की राजस्व हानि हुई।

वस्तु एवं सेवा कर के अन्तर्गत प्रतिदाय दावों के प्रसंस्करण पर विषय विशिष्ट अनुपालन लेखापरीक्षा

वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम के प्रावधानों और उसके अन्तर्गत बनाए गए नियमों के बावजूद, विभाग समय पर आवेदकों (इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर से प्रतिदाय के दावे के अतिरिक्त) को प्रतिदाय के लिए पावती जारी नहीं कर सका, प्रतिदाय के आदेश समय पर स्वीकृत नहीं किए गए जिसके परिणामस्वरूप दावेदारों को देय ब्याज की देयता सृजित हुई, शून्य-दर आपूर्ति के कारण अनंतिम प्रतिदाय भी समय पर स्वीकृत नहीं किए गए थे, चयनित मामलों में से कोई भी पश्च लेखापरीक्षा के लिए नहीं भेजा गया था, कर अवधि के अंत में इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में न्यूनतम शेष धनराशि को ध्यान में न रखते हुए ऐसे दावेदारों को अतिरिक्त प्रतिदाय दिया गया था जो किसी भी प्रतिदाय के हकदार नहीं थे, दावेदार को विपरीत शुल्क संरचना से संबंधित अनियमित प्रतिदाय का भुगतान किया गया था। विभाग ने विपरीत शुल्क संरचना के कारण 90 प्रतिशत का अनंतिम प्रतिदाय जारी किया था जो शून्य दर आपूर्ति मामलों के अलावा थे। शून्य-दर आपूर्ति के टर्नओवर पर गलत तरीके से विचार करके अनियमित प्रतिदाय की भी अनुमति प्रदान की गई।

वस्तु एवं सेवा कर के अन्तर्गत ट्रांजिशनल क्रेडिट पर विषय विशिष्ट अनुपालन लेखापरीक्षा

ट्रांजिशनल क्रेडिट, विरासती व्यवस्था से वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था में इनपुट टैक्स क्रेडिट का एक मुश्त प्रवाह है। 200 नमूना मामलों में से 80 प्रतिशत व्यापारियों ने प्रचलित नियमों में निहित लागू शर्तों का पालन किये बिना ट्रांजिशनल क्रेडिट का लाभ प्राप्त किया। 17.5 प्रतिशत नमूने का सत्यापन, विभाग के सत्यापन तंत्र की अपर्याप्तता को दर्शाता है।

कर और अर्थदण्ड का अनारोपण

व्यापारी चार डुप्लीकेट प्रपत्र-सी के सापेक्ष बिक्री पर 12.5 प्रतिशत की अंतर दर से ₹ 6.91 लाख के कर का भुगतान करने हेतु उत्तरदायी था। इसके अतिरिक्त, वह ₹22.38 लाख के अर्थदण्ड के भुगतान हेतु भी उत्तरदायी था ।

कर और अर्थदण्ड की वसूली न करने के कारण राजस्व की हानि

मान्यता प्रमाण पत्र की प्रभावी तिथि से पूर्व के लेन-देन के लिए प्रपत्र- 11 में अनधिकृत घोषणा और उन उत्पादों की बिक्री जो व्यापारी के मान्यता प्रमाण पत्र में सम्मिलित नहीं थे, के परिणामस्वरूप ₹3.52 करोड़ के राजस्व और अर्थदण्ड की हानि ।

तीन वर्षों के पश्चात भी अर्थदण्ड वसूलने में विफलता

राज्य कर विभाग तीन वर्षों से अधिक समय व्यतीत होने के पश्चात भी, व्यापारी से ₹31.86 लाख का अर्थदण्ड वसूल करने में विफल रहा।

टीडीएस को विलंब से जमा करने पर अर्थदण्ड का अनारोपण

टी डी एस को राजकीय कोषागार में विलंब से जमा करने पर राज्य कर विभाग द्वारा ₹32.74 लाख का अर्थदण्ड आरोपित नहीं किया गया।

कर का न्यूनारोपण

राज्य कर विभाग द्वारा त्रुटिपूर्ण तरीके से कर की दर को लागू किए जाने के परिणामस्वरूप ₹ 21.92 लाख के राजस्व और ₹ 21.35 लाख के ब्याज की हानि हुई।

मिथ्या ‘प्रपत्र-सी’ के उपयोग पर अनियमित कर छूट

एक व्यापारी द्वारा लौह और इस्पात की अंतर्राज्यीय बिक्री के लिए कर की रियायती दर पर मिथ्या घोषणा की गई, जिसके परिणामस्वरूप ₹ 11.89 लाख के कर और ₹ 11.89 लाख के ब्याज का न्यूनारोपण हुआ। इसके अतिरिक्त, ₹ 1.58 करोड़ का अर्थदण्ड भी आरोपणीय था।

| अध्याय 4: सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों से संबंधित अनुपालन लेखापरीक्षा टिप्पणियाँ

एक चूककर्ता इकाई के माध्यम से बिक्री के कारण अतिदेय का संचय

उत्तराखण्ड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने फर्म, जो अपने भुगतानों में चूक कर रही थी, के साथ विद्युत विक्रय अनुबंधों को बार-बार नवीनीकृत किया, जिसके परिणामस्वरूप ₹52.94 करोड़ का अधिक बकाया संचित हो गया।

आयकर पर दण्डात्मक ब्याज का परिहार्य भुगतान

सांविधिक आवश्यकताओं के अनुसार अग्रिम कर जमा करने हेतु अपनी आय का आकलन करने में यू जे वी एन लिमिटेड की विफलता के परिणामस्वरूप ₹3.50 करोड़ के ब्याज का परिहार्य भुगतान हुआ।

सेवा कर, अर्थदण्ड और ब्याज की परिहार्य देयता

उत्तराखण्ड परिवहन निगम ने वातानुकूलित बसों के यात्रियों से सेवा कर के अधिरोपण और संग्रहण का आदेश विलम्ब से जारी किया जिसके कारण ₹54.46 लाख का सेवा कर न तो वसूल किया गया और न ही सेवा कर विभाग के पास जमा किया गया। इसके परिणामस्वरूप ₹54.46 लाख के सेवा कर तथा उस पर ₹ 27.23 लाख के अर्थदण्ड एवं ₹ 28.46 लाख ब्याज की परिहार्य देयता सृजित हुई।

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