चुनावी रणनीति-कांग्रेस ने शैलारानी के परिजनों की उपेक्षा के मुद्दे को दी हवा
ऐश्वर्या को भाजपा का टिकट नहीं मिला. कांग्रेस को मिला नया चुनावी मुद्दा
अविकल थपलियाल
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा की पूर्व विधायक शैलारानी की पुत्री ऐश्वर्या रावत को टिकट नहीं मिलने के मुद्दे को कांग्रेस ने लपक लिया।पूर्व सीएम हरीश रावत समेत अन्य नेताओं ने इसे शैलारानी के परिजनों के साथ अन्याय करार दिया।
पार्टी प्रत्याशी मनोज रावत के समर्थन में हुई सभा में शैलारानी के परिवार की उपेक्षा के मुद्दे को जोर शोर से उठाया गया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बेशक शैलारानी रावत 2016 की बगावत के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गयी थीं। और बतौर भाजपा विधायक ही उनका निधन हुआ।
कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल का कहना है कि शैलारानी के निधन के समय भाजपा के प्रमुख नेताओं ने उनकी पुत्री को टिकट देने की बात कही थी। लेकिन अब वो अपनी बात से पीछे हट गए।जबकि पूर्व में भाजपा ने कई दिवंगत नेताओं हरबंस कपूर, प्रकाश पंत, सुरेंद्र सिंह जीना, चंदन रामदास व मगनलाल शाह के परिजनों को टिकट दिया। लेकिन शैलारानी रावत की पुत्री को टिकट न देकर उनके साथ अन्याय किया।
केदारनाथ क्षेत्र की उपेक्षा व यात्रा को डायवर्ट करने के मुद्दे के अलावा कांग्रेस शैलारानी रावत के निधन से उपजी सहानुभूति को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश करती दिख रही है। इसीलिए कांग्रेस की पहली जनसभा में तय रणनीति के तहत वइस मसले को भी जोर शोर से उठाया गया।
कांग्रेस की कोशिश यह भी है कि भाजपा विधायक शैलारानी के निधन के बाद क्षेत्र में चल रही सहानुभूति लहर का पूरा लाभ लिया जाय।
गौरतलब है कि ऐश्वर्या रावत टिकट की दौड़ में प्रमुखता से शामिल थी। और मां के निधन के बाद समर्थकों के सम्पर्क में लगातार बनी हुई थी। kedarnath bye election 2024
अब टिकट नहीं मिलने से शैलारानी रावत के समर्थकों में साफ मायूसी दिख रही है। कांग्रेस इन्हीं समर्थकों को भाजपा से बिदकाने की योजना बना कर चल रही है।
इसके अलावा कांग्रेस पार्टी ने 2017 में भाजपा नेत्री आशा नौटियाल के बागी होकर चुनाव लड़ने को भी मतदाताओं के बीच लेकर जा रही है। कांग्रेस के रणनीतिकारों का कहना है कि आशा के बागी चुनाव लड़ने से ही 2017 में शैलारानी रावत की हार हुई थी। और अब भाजपा ने शैलारानी की बेटी की अनदेखी कर परिवार के साथ अन्याय कर दिया।
कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने कहा कि भाजपा महिला शक्ति की बात कर दोहरा मापदण्ड अपनाती रही है। गंगोत्री से भाजपा विधायक गोपाल रावत के निधन के बाद उनके परिजनों को टिकट नहीं देना अपवाद है। लेकिन जितने भी पुरूष विधायक दिवंगत हुए उनके परिजनों को टिकट दिया। लेकिन केदारनाथ की महिला विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद उनकी पुत्री को टिकट न देकर महिला शक्ति का अपमान किया।
नामांकन के बाद केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस ने शैलारानी के निधन से उपजी सहानुभूति लहर को अपने पक्ष में मोड़ने की मुहिम तेज कर दी। फिलवक्त भाजपा से नाराज चल रहे शैलारानी के समर्थक कांग्रेस की इस मुहिम्मन शामिल हो गए तो भाजपा की दिक्कतें बढ़नी स्वाभाविक है।
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